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एकनाथ शिंदे जरूरी या मजबूरी? शिवसेना की मांग बना बीजेपी के गले की फांस

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित हुए थे, लेकिन सीएम कौन होगा, इस पर अभी तक सस्पेंस बरकरार है. इन सबके बीच शिवसेना ने अपने लिए गृह मंत्रालय की मांग की है, जो बीजेपी के लिए गले की फांस बन गया है. आइए आपको बताते हैं कि एकनाथ शिंदे बीजेपी के लिए जरूर हैं या मजबूरी...

एकनाथ शिंदे जरूरी या मजबूरी? शिवसेना की मांग बना बीजेपी के गले की फांस
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( Image Source:  ANI )

Eknath Shinde: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित होने के बावजूद अभी तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे अचानक अपने गांव चले गए, जिसकी वजह से 29 नवंबर को महायुति की मुंबई में होने वाली बैठक रद्द कर दी गई. सीएम पद की रेस में देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे चल रहे हैं. अजित पवार की एनसीपी ने भी कह दिया है कि सीएम बीजेपी का ही होगा.

सीएम पर सस्पेंस भले ही बना हो, लेकिन शपथ ग्रहण की तारीख सामने आ गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2 दिसंबर को बीजेपी विधायकों की बैठक होगी. इस बैठक में विधायक दल का नेता चुना जाएगा. इसके बाद 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में सीएम शपथ लेंगे. हालांकि, इस बीच खबर सामने आ रही है कि शिंदे की शिवसेना ने अपने लिए गृह मंत्रालय की मांग की है.

शिवसेना ने की गृह मंत्रालय की मांग

शिवसेना के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि नई सरकार में शिवेसना को गृह मंत्रालय मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि गृह विभाग आम तौर पर डिप्टी सीएम के पास होता है. वहीं, महायुति अभी तक सीएम फेस पर कोई फैसला नहीं ले पाई है.

शिंदे जरूरी या मजबूरी?

महाराष्ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम के बीच यह सवाल उठ रहा है कि बीजेपी सीएम कैंडिडेट पर फैसला क्यों नहीं ले पा रही है. क्या उसे एकनाथ शिंदे की नाराजगी का डर है. आखिर बीजेपी के लिए शिंदे जरूरी हैं या मजबूरी? दरअसल, शिंदे मराठा समुदाय से आते हैं. इस समुदाय से सबसे ज्यादा विधायक हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में 288 विधायकों में से करीब 160 विधायक मराठा समुदाय से थे. लोकसभा चुनाव में भी 50 फीसदी से ज्यादा सीटों पर मराठा उम्मीदवार की जीत हुई.

अगर बात 2024 के लोकसभा चुनाव की करें तो मराठों ने महायुति को सिरे से खारिज कर दिया था. बीजेपी को 9, शिवसेना को 7 और एनसीपी को महज 1 सीट मिली थी. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 23 सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में शिंदे को नजरअंदाज करना बीजेपी को भारी पड़ सकता है.

मराठों ने महायुति पर जताया भरोसा

मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में मराठों की आबादी ज्यादा है. यहां 116 विधानसभा सीटें हैं. महायुति ने इस बार के चुनाव में मराठा बाहुल्य सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया है. इसका क्रेडिट भी एकनाथ शिंदे और उनके द्वारा शुरू की गई लाडकी बहिण योजना को दिया जाता है. इसलिए बीजेपी के लिए शिंदे जरूरी भी हैं और मजबूरी भी हैं.

क्या शिंदे का बेटा बनेगा डिप्टी सीएम?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवसेना और बीजेपी के बीच बातचीत पूरी न हो पाने की वजह एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि शिंदे अपने बेटे के लिए डिप्टी सीएम का पद चाहते हैं, जिस पर बीजेपी राजी नहीं है. बीजेपी का साफ तौर पर कहना है कि श्रीकांत इस पद के लिए अनुभवी नहीं हैं. फडणवीस और अजित पवार अनुभवी थे.

श्रीकांत शिंदे कौन हैं?

श्रीकांत शिंदे का जन्म 4 फरवरी 1987 को हुआ. वे महाराष्ट्र की कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं. उन्होंने 2014 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी.

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