सांसदों-विधायकों को खड़े होकर करें सलाम, माननीयों को सम्मान देने के आदेश पर महाराष्ट्र में मचा बवाल
महाराष्ट्र में नए सरकारी प्रस्ताव (जीआर) लागू होने के बाद बवाल मचा हुआ है. पहली बार औपचारिक रूप से सभी सरकारी कर्मचारियों को यह निर्देश दिया गया है कि जब भी कोई सांसद या विधायक कार्यालय में प्रवेश करें, कर्मचारी अपनी कुर्सी से खड़े हो जाएं
महाराष्ट्र के मुख्य सचिव राजेश कुमार द्वारा जारी एक नए सरकारी प्रस्ताव (जीआर) ने राज्य की नौकरशाही और राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा छेड़ दी है. इस जीआर में पहली बार औपचारिक रूप से सभी सरकारी कर्मचारियों को यह निर्देश दिया गया है कि जब भी कोई सांसद या विधायक कार्यालय में प्रवेश करें, कर्मचारी अपनी कुर्सी से खड़े हो जाएं और संपूर्ण बातचीत के दौरान पूर्ण विनम्रता और गरिमापूर्ण व्यवहार बनाए रखें.
गुरुवार को जारी यह प्रस्ताव साल 2015 से 2021 के बीच जारी विभिन्न निर्देशों को समेकित करके एक व्यापक प्रोटोकॉल के रूप में सामने आया है. इसका उद्देश्य निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच पारदर्शी संवाद, बेहतर समन्वय तथा जवाबदेही को मजबूत करना बताया जा रहा है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन नियमों का पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
क्या है जीआर का उद्देश्य?
सरकार के अनुसार यह अद्यतन प्रोटोकॉल अधिकारियों के व्यवहार, संचार शैली और विधायकों की शिकायतों के निपटारे को अधिक प्रभावी बनाने के लिए तैयार किया गया है. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि सभी अधिकारी ध्यानपूर्वक सुनें, गरिमापूर्ण भाषा का उपयोग करें और नियमों के दायरे में त्वरित सहायता प्रदान करें.
सांसद-विधायकों के सम्मान से जुड़े प्रमुख निर्देश
1. कमरे में प्रवेश पर खड़े होना अनिवार्य
जब कोई विधायक या सांसद कमरे में प्रवेश करें या बाहर निकलें तो अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी सीट से खड़ा होना होगा.
2. शिष्टाचार और विनम्र संवाद
सभी चर्चा के दौरान पूरा सम्मान, ध्यानपूर्वक सुनना और नियमों के तहत सहायता प्रदान करने पर जोर.
फोन कॉल पर भी “विनम्र और सम्मानजनक भाषा” का उपयोग अनिवार्य.
3. बैठक के लिए निश्चित समय-सारिणी
जिला व क्षेत्रीय अधिकारी हर महीने के पहले और तीसरे गुरुवार को विधायकों, सांसदों और नागरिकों के साथ बैठक के लिए दो घंटे का समय निर्धारित करेंगे.
जरूरी मामलों में विधायक कार्यालय समय में किसी भी समय अधिकारी से मिल सकते हैं.
4. सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रण और प्रोटोकॉल
स्थानीय सांसद और विधायक सभी महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित किए जाएं.
नाम-पट्टिका और बैठने की व्यवस्था उनके पूर्वाधिकार के अनुसार हो.
पत्राचार और जवाबदेही से जुड़े नियम
5. पत्रों का अलग रजिस्टर अनिवार्य
विधायकों से प्राप्त सभी पत्रों के लिए अलग-अलग भौतिक या डिजिटल रजिस्टर बनाए जाएंगे.
6. 60 दिनों में अनिवार्य जवाब
प्रत्येक पत्र का उत्तर 60 दिनों के भीतर दिया जाना होगा.
देरी होने पर कारणों और आगे की कार्रवाई का विवरण देते हुए अंतरिम उत्तर भेजना अनिवार्य.
7. जनकल्याण सूचना नि:शुल्क उपलब्ध
जनहित से जुड़ी सूचनाएं बिना किसी शुल्क के दी जाएंगी, जब तक कि आरटीआई अधिनियम के तहत ऐसी जानकारी रोकी न गई हो.
प्रोटोकॉल से व्यवस्था होगी मजबूत
सरकार ने कहा कि ये दिशानिर्देश जनता के हित में निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच सुचारू समन्वय सुनिश्चित करेंगे और शिकायतों के समाधान में तेजी लाएंगे.





