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यूं ही नहीं बन जाता कोई फडणवीस! 22 की उम्र में पार्षद, फिर बने सबसे कम उम्र के मेयर- कहानी निखरने की

देवेंद्र फडणवीस ने एक बार कहा था कि वे आधुनिक अभिमन्यु हैं, जिसे चक्रव्यूह तोड़ना आता है. अपनी बात को उन्होंने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सही साबित किया. आज वे तीसरी बार सीएम बनने जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि उन्होंने कैसे वापसी की...

यूं ही नहीं बन जाता कोई फडणवीस! 22 की उम्र में पार्षद, फिर बने सबसे कम उम्र के मेयर- कहानी निखरने की
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( Image Source:  ANI )

Maharashtra CM Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आज ताजपोशी होगी. वे तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेंगे. उन्हें मुंबई के आजाद मैदान में शपथ दिलाई जाएगी. फडणवीस ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए सीएम की कुर्सी पर तीसरी बार बैठने जा रहे हैं.

फडणवीस 22 साल की उम्र में पार्षद बने. पांच साल बाद, वे नागपुर के इतिहास में सबसे कम उम्र के मेयर बने. यही नहीं, उन्हें 39 साल की उम्र में विधायक और 43 साल की उम्र में महाराष्ट्र भाजपा का अध्यक्ष चुना गया. एक साल बाद, वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने, जो शरद पवार के बाद दूसरे सबसे कम उम्र के सीएम थे.

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2019 में टूटा सपना

फडणवीस ने 2019 में भी सीएम पद की शपथ ली थी, लेकिन उन्हें महज 80 घंटे में ही इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उन्होंने डिप्टी सीएम का पद स्वीकार किया. फडणवीस ने अपनी सूझबूझ, धैर्य और त्याग के माध्यम से अपना राजनीतिक कद कई गुना बढ़ा लिया.

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2014 में बीजेपी ने पहली बार पार किया 100 सीटों का आंकड़ा

महाराष्ट्र बीजेपी का अध्यक्ष बनने के एक साल बाद फडणवीस ने 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 122 सीटों पर जीत दिलाई थी. मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने राज्य में पहली बार 100 सीटों का आंकड़ा पार किया था. बीजेप ने शिवसेना के साथ गठबंधन में सरकार बनाई, जिसमें फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. अपने पहले कार्यकाल में फडणवीस ने मुंबई तटीय सड़क योजना और नागपुर मेट्रो सहित कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का नेतृत्व किया, जिससे शहरी मतदाताओं के बीच उन्हें काफी लोकप्रियता हासिल हुई.

'देश के लिए नागपुर का उपहार हैं फडणवीस'

पीएम मोदी ने भी फडणवीस के राजनीतिक कौशल और विकास के दृष्टिकोण की प्रशंसा की है. उन्होंने उन्हें 'देश के लिए नागपुर का उपहार' कहा. 2019 में, जब फडणवीस ने अपना पहला कार्यकाल पूरा किया, तो वे 1970 के दशक मेंपूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले वसंतराव नाइक के बाद महाराष्ट्र के दूसरे मुख्यमंत्री बने।

असफलता और बलिदान

भाजपा और शिवसेना ने 2019 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा, लेकिन सीएम पद को लेकर दोनों में मतभेद पैदा हो गया. उद्धव ठाकरे ने बारी-बारी से शिवसेना और बीजेपी का सीएम बनने पर जोर दिया, लेकिन बीजेपी इस पर राजी नहीं हुई. आखिरकार, उद्धव ठाकरे ने गठबंधन को तोड़ लिया. इसके बाद फडणवीस ने विधायकों की संख्या बल जुटाने के लिए एनसीपी के अजीत पवार के साथ गठबंधन किया और मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली, लेकिन उनकी यह सरकार कुछ घंटे तक ही चल पाई. अंत में फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसमें उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनाए गए.

2022 में बने डिप्टी सीएम

फडणवीस विपक्ष के नेता बने और सही समय का इंतजार किया. यह समय 2022 में आया, जब उद्धव ठाकरे के सहयोगी एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी. उनके इस बगावत की वजह से शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई. शिंदे की शिवसेना ने भाजपा से हाथ मिलाने का फैसला किया, जिसके बाद फडणवीस को वफादारी की कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा. सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी आलाकमान शिंदे को मुख्यमंत्री बनने देने पर सहमत हो गया. फडणवीस ने अनिच्छा से ही सही, लेकिन डिप्टी सीएम बनना स्वीकार कर लिया. यह कोई आसान फैसला नहीं था, क्योंकि एक पूर्व मुख्यमंत्री के लिए नंबर 2 बनना आसान नहीं था, लेकिन इस फैसले ने फडणवीस को पार्टी के एक वफादार सिपाही के रूप में स्थापित कर दिया, जो त्याग करने के लिए तैयार था.

...और समंदर वापस आ गया

इस साल जब भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि कुछ महीनों बाद तस्वीर कितनी बदल जाएगी. 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महाराष्ट्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 148 सीटों में से 132 सीटें जीतीं. 288 सदस्यीय विधानसभा में महायुति की सीटें 230 तक पहुंच गईं... लेकिन जब कई सहयोगी दल शामिल हों तो सरकार बनाना हमेशा एक कठिन काम होता है.

'आधुनिक अभिमन्यु' ने तोड़ दिया 'चक्रव्यूह'

एकनाथ शिंदे की सेना मुख्यमंत्री पद अपने पास रखना चाहती थी. उसने तर्क दिया कि चुनाव उनके नेतृत्व में जीता गया था, लेकिन भाजपा विधायकों ने फडणवीस का समर्थन किया, यह कहते हुए कि उन्होंने 2022 में नंबर 2 की सीट ली थी. पार्टी को विशाल जनादेश दिलाने के लिए उन्हें पुरस्कृत करने की आवश्यकता है. फडणवीस ने एक बार कहा था कि वह एक 'आधुनिक अभिमन्यु' हैं, जो चक्रव्यूह को तोड़ना जानते हैं. उनके चक्रव्यूह में धैर्य, निष्ठा और बलिदान की आवश्यकता थी. उन्होंने तीनों को पूरा किया और मजबूत होकर उभरे. उन्होंने एक बार विधानसभा में कहा था- मेरा पानी उतरता देख मेरे किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समंदर हूं, वापस लौटकर जरूर आऊंगा.

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