फडणवीस समंदर तो शिंदे हैं किला! लौटकर वापस आने और मजबूती से खड़े होने के लिए कर रहे संघर्ष
Maharashtra new CM: महाराष्ट्र का सीएम कौन होगा, इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है. ऐसा कहा जा रहा हि न तो फडणवीस झुकने के लिए तैयार हैं और न ही शिंदे... ऐसे में सीएम पद की गुत्थी सुलझने की जगह उलझती जा रही है...

27 नवंबर 2024... दिन बुधवार... महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने जब कहा कि सरकार गठन की तरफ से उनकी ओर से कोई दिक्कत नहीं होगी तो लोगों को लगा कि अब तो महाराष्ट्र को उसका अगला सीएम मिल ही जाएगा... लेकिन आज 2 दिसंबर है, लेकिन सीएम पद पर सस्पेंस अभी भी बना हुआ है.
महाराष्ट्र का सीएम कौन होगा, यह गुत्थी सुलझने की बजाय और उलझती जा रही है. अब शिंदे ने कहा है कि जनता उन्हें ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं. वे गृह मंत्रालय के लिए भी अड़ गए हैं. कुल मिलाकर कहा जाए कि शिंदे ने बगावत का रुख अख्तियार कर लिया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
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एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या-क्या कहा?
एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने सीएम कार्यकाल के दौरान कराए गए कामों को गिनाते रहे और महायुति की जीत का क्रेडिट खुद लेने में भी नहीं हिचके. उन्होंने कहा कि बीजेपी सीएम पद को लेकर जो भी फैसला लेगी, वह उन्हें स्वीकार होगा. इस दौरान शिंदे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि मैंने आपने को कभी सीएम नहीं समझा. मैंने आम आदमी की तरह काम किया है. मेरे लिए सीएम का मतलब कॉमन मैन है.
लोहागढ़ के किला महाराष्ट्र का सबसे मजबूत किला माना जाता है. यहां पर छत्रपति शिवाजी महाराज मुगलों से लूटा हुआ खजाना रखते थे. ऐसी चर्चा है कि शिंदे भी अब अपनी मांग पर किले के समान ही अडिग हो गए हैं. यही वजह है कि 23 नवंबर को चुनावी नतीजे आने के बावजूद अभी तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है.
शिंदे क्यों नहीं झुकना चाहते?
शिवसेना का मानना है कि चुनाव शिंदे के चेहरे और नेतृत्व पर लडा़ गया था. इसलिए मुख्यमंत्री शिंदे को ही बनना चाहिए. दूसरी बड़ी वजह यह है कि शिंदे मराठा समुदाय से आते हैं. चुनाव के नतीजे तय करने में मराठों का अहम योगदान रहता है. लाडकी बहिन योजना भी चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई.
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लोकसभा चुनाव 2024 में महायुति को मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. कहा गया कि मराठा महायुति से नाराज हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव में मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र समेत पूरे राज्य में महायुति ने शानदार प्रदर्शन किया. बीजेपी को 132, जबकि शिवसेना को 57 और एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली.
'लोगों को लगता है कि सीएम मुझे बनना चाहिए'
एकनाथ शिंदे के सुर अब बदल गए हैं. अब वे कह रहे हैं कि जनता के लिए किए गए कामों की वजह से लोगों को लगता है कि सीएम मुझे बनना चाहिए. मैं जनता की समस्याओं और उनके दर्द को अच्छी तरह से समझता हूं. हालांकि, शिंदे का अब भी यही कहना है कि पीएम मोदी और अमित शाह जो फैसला लेंगे, वह उन्हें स्वीकार होगा. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब फैसला मोदी और शाह ही लेंगे तो शिंदे क्यों सरकार गठन में देरी कर रहे हैं..
गृह मंत्रालय की जिद पर क्यों अड़े हैं शिंदे?
जब 2022 में शिवसेना-बीजेपी की सरकार बनी तो देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बनाए गए. गृह मंत्रालय भी उन्हीं को सौंपा गया. ऐसे में शिंदे भी चाहते हैं कि डिप्टी सीएम के साथ गृह मंत्रालय भी उन्हें ही मिले, जिसे बीजेपी मानने को तैयार नहीं है.
'मैं समंदर हूं, लौटकर जरूर आऊंगा'
मुझे लौटता देख मेरे किनारों पर घर मत बना लेना, मैं समंदर हूं लौटकर जरूर आऊंगा... देवेंद्र फडणवीस की यह लाइन चुनाव नतीजे आने के बाद काफी चर्चा में है. फडणवीस 2014 में शिवसेना-बीजेपी की सरकार में सीएम बने थे. उस समय बीजेपी ने 122 सीटों पर जीत दर्ज की थी. फडणवीस महाराष्ट्र में बीजेपी के पहले सीएम हैं. इसके बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 सीटें मिलीं, लेकिन उद्धव ठाकरे सीएम बनने की जिद पर अड़ गए, जिससे गठबंधन टूट गया. इसके बाद 30 मई 2022 को शिंदे ने सीएम, जबकि फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली.
शिंदे को लेकर असमंजस में क्यों है बीजेपी?
बीजेपी अगर शिंदे की शिवसेना का साथ छोड़ दे तो भी वह आसानी से सरकार बना सकती है. फिर भी बीजेपी शिंदे का साथ नहीं छोड़ना चाहती. इसकी बड़ी वजह है- मराठा. दरअसल, मनोज जरांगे पाटिल मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. इस आंदोलन की वजह से ओबीसी एकजुट हो रहे हैं. शिंदे मराठा समुदाय के बड़े चेहरे हैं. बृहन्मुंबई नगर पालिका के चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी अगर शिंदे का साथ छोड़ती है तो उसे काफी नुकसान हो सकता है.
देवेंद्र फडणवीस क्या बनेंगे मुख्यमंत्री?
बीजेपी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं. वे ब्राह्मण समुदाय से आते हैं. उन्हें मुख्यमंत्री बनाने से मराठा समुदाय के नाराज होने का डर है. इससे बड़ा वोट बैंक बीजेपी के हाथ से छिटक सकता है. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि शिंदे को सीएम बना दिया जाएगा, क्योंकि बीजेपी के पास भी कई बड़े मराठा चेहरे हैं. इसमें आशीष शेलार, विनोद तावड़े और राधाकृष्ण विखे पाटिल जैसे नेता शामिल हैं.
शिवसेना का दावा है कि जब तक शिंदे सीएम हैं, तब तक शिवसेना (यूबीटी) के प्रभाव को बेअसर किया जा सकता है. आगे मुंबई नगर निगम के चुनाव होने हैं, जिस पर फिलहाल शिवसेना (यूबीटी) का कब्जा है. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मुंबई की 10 सीटों पर जीत दर्ज की है. ऐसे में उसके जीतने की ज्यादा संभावना नजर आ रही है. अगर शिंदे बीजेपी का साथ छोड़ते हैं तो फिर उद्धव ठाकरे को फायदा पहुंच सकता है.
बीजेपी ने नियुक्त किए केंद्रीय पर्यवेक्षक
बीजेपी आलाकमान ने महाराष्ट्र के लिए विनोद रुपाणी और निर्मला सीतारमण को पर्यवेक्षक बनाया है. दोनों अगले सीएम पर फैसला लेंगे. रुपाणी गुजरात के पूर्व सीएम रह चुके हैं, जबकि सीतारमण केंद्रीय वित्त मंत्री हैं. दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में शपथ ले सकते हैं.
आ देखें जरा, किसमें कितना है दम?
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि शिंदे की शिवसेना उन मंत्रालयों की मांग कर रही है, जो पिछले ढाई साल से उसके पास हैं. इसके अलावा, वह चाहती है एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जाए. वह इसके लिए बीजेपी पर दबाव भी बना रही है. हालांकि, बीजेपी ने साफ संकेत दे दिया है कि शिंदे चाहे जितना भी दबाव बना लें, सीएम तो बीजेपी का ही होगा.Eknath Shinde , Maharashtra new CM , Devendra Fadnavis , Shivsena , एकनाथ शिंदे , महाराष्ट्र के नए सीएम , देवेंद्र फडणवीस , शिवसेना