Begin typing your search...

36 वर्षीय हथिनी महादेवी को जंजीरों से मिली आज़ादी! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया एतिहासिक फैसला, फिर भी हो रहा विरोध; आखिर क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने 36 वर्षीय हथिनी महादेवी को जंजीरों से आज़ाद कर जामनगर स्थित वंतारा के राधे कृष्ण टेम्पल एलीफेंट वेलफेयर ट्रस्ट में भेजने का आदेश दिया है. यह फैसला PETA इंडिया और महाराष्ट्र वन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया, जिसमें उसकी बिगड़ती शारीरिक और मानसिक हालत पर चिंता जताई गई थी. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कोल्हापुर में विरोध प्रदर्शन भी देखने कोम मिला.

36 वर्षीय हथिनी महादेवी को जंजीरों से मिली आज़ादी! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया एतिहासिक फैसला, फिर भी हो रहा विरोध; आखिर क्यों?
X
( Image Source:  Social Media )

Supreme Court Elephant Mahadevi Rescue Order: सालों तक जंजीरों में जकड़ी रही कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका स्थित जैन मठ की 36 वर्षीय हथिनी महादेवी को आखिरकार स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर मिल गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए उसे जामनगर स्थित वनतारा के राधे कृष्ण टेम्पल एलीफेंट वेलफेयर ट्रस्ट (RKTEWT) में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. यह ऐतिहासिक फैसला PETA इंडिया और महाराष्ट्र वन विभाग की उस रिपोर्ट के आधार पर आया है, जिसमें महादेवी की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर गहरी चिंता जताई गई थी.

हालांकि, महादेवी को वनतारा भेजने के फैसले के बाद कोल्हापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. लोगों ने पुलिस वाहनों पर पत्थर फेंके और जियो का बहिष्कार करने की अपील की. महादेवी उर्फ माधुरी हथिनी को वापस लाने के लिए लोगों ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया.

सीएम फडणवीस ने बुलाई बैठक

सीएम फडणवीस ने मामले में चर्चा करने के लिए मंगलवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई है. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महादेवी को वनतारा भेजना का निर्णय सुप्रीम कोर्ट का है, राज्य सरकार का नहीं.

2017 में महादेवी ने मठ के मुख्य पुजारी की ली जान

तीन साल की उम्र में शेड में जंजीरों से बांध दी गई महादेवी ने कंक्रीट की फर्श पर रहते हुए गंभीर गठिया, पंजों की सड़न और नाखूनों की असामान्य वृद्धि जैसी कई बीमारियों का सामना किया. 2017 में उसकी मानसिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि उसने मठ के मुख्य पुजारी की जान ले ली थी. हालांकि पहले भट्टारक मठ ने खुद महादेवी के पुनर्वास की इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना रुख बदलते हुए हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए 28 जुलाई 2025 को महादेवी को तत्काल स्थानांतरित करने का आदेश दिया.

वनतारा में महादेवी को मिलेगा नया जीवन

अब महादेवी वनतारा में अन्य हाथियों के साथ एक खुले और प्राकृतिक माहौल में रह सकेगी, जहां हाइड्रोथेरेपी जैसी आधुनिक चिकित्सा सेवाएं और विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की देखरेख में उसका उपचार किया जाएगा.

PETA और FIAPO का सुझाव

PETA इंडिया और FIAPO ने मंदिर प्रबंधन को मैकेनिकल हाथी का प्रस्ताव दिया है ताकि मंदिर की परंपराएं बनी रहें, लेकिन जीवित जानवरों को यातना से बचाया जा सके.

PETA इंडिया की निदेशक खुशबू गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'संवेदनशीलता और न्याय का प्रतीक' बताया. उन्होंने कहा कि महादेवी को आखिरकार सम्मान और आज़ादी से जीने का हक मिला है.

India News
अगला लेख