Begin typing your search...

भगवान जगन्नाथ का रथ बना टेक्नो-चमत्कार, सुखोई के टायर ने संभाली परंपरा की कमान

कोलकाता की प्रसिद्ध रथ यात्रा इस बार ऐतिहासिक मोड़ ले रही है. 48 वर्षों से बोइंग विमान के टायरों पर चलने वाला भगवान जगन्नाथ का रथ अब सुखोई फाइटर जेट के पहियों पर चलेगा. यह बदलाव इस्कॉन की तकनीकी सूझबूझ और ‘जुगाड़’ संस्कृति का अनोखा उदाहरण है, जहां परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा.

भगवान जगन्नाथ का रथ बना टेक्नो-चमत्कार, सुखोई के टायर ने संभाली परंपरा की कमान
X
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 1 Jun 2025 10:55 AM

कोलकाता की ऐतिहासिक रथ यात्रा इस बार एक अभूतपूर्व तकनीकी बदलाव की गवाह बनेगी. पिछले 48 वर्षों से रथ को बोइंग विमान के पुराने टायरों पर चलाया जाता रहा, लेकिन अब इस परंपरा में बदलाव किया गया है. इस बार भगवान जगन्नाथ का रथ रूस के सुखोई लड़ाकू विमानों के टायरों से सुसज्जित होगा. यह न केवल धार्मिक बल्कि तकनीकी दृष्टिकोण से भी एक अनोखा प्रयोग है.

भारतीय जुगाड़ संस्कृति का एक शानदार उदाहरण इस बार रथ यात्रा में देखने को मिलेगा. दरअसल, पिछले कई वर्षों से बोइंग के टायरों का रिप्लेसमेंट नहीं मिल पा रहा था. इसके बाद इस्कॉन कोलकाता ने एक वैकल्पिक रास्ता तलाशा और सुखोई के टायरों को रथ में इस्तेमाल करने का फैसला लिया. आयोजकों ने बताया कि ये टायर न केवल साइज में उपयुक्त थे बल्कि भार वहन की दृष्टि से भी आदर्श साबित हुए.

क्यों मांगे सुखोई के पहिए?

इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने बताया कि जब उन्होंने सुखोई टायर निर्माता कंपनी से कोटेशन मांगा तो कंपनी के अधिकारियों को हैरानी हुई. कंपनी को समझ नहीं आया कि उनके लड़ाकू विमान के टायरों की मांग धार्मिक रथ यात्रा के लिए क्यों की जा रही है. बाद में जब पूरी जानकारी दी गई तो कंपनी ने एक टीम को रथ की स्थिति देखने कोलकाता भेजा और फिर चार टायर उपलब्ध कराए.

परंपरा और आधुनिकता का संगम बना रथ

इस बदलाव के साथ भगवान जगन्नाथ का रथ इस बार परंपरा और आधुनिकता का संगम बनकर भक्तों के सामने आएगा. सुखोई के टायर न केवल विश्वसनीय हैं, बल्कि इनका सैन्य महत्व भी इन्हें खास बनाता है. रथ यात्रा के दौरान रथ लगभग 1.4 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगा. यह संयोजन तकनीकी नवाचार और आध्यात्मिक परंपरा के बीच एक नयी कहानी रचता है.

नई पीढ़ी के लिए श्रद्धा और विज्ञान का अद्भुत मेल

कोलकाता की रथ यात्रा इस साल युवा पीढ़ी के लिए एक नया संदेश लेकर आई है. यह केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे परंपराओं को सहेजते हुए तकनीक का उपयोग किया जा सकता है. सुखोई के टायरों पर सवार यह रथ रफ्तार भले ही धीमी हो, लेकिन संदेश तेज और स्पष्ट है कि आस्था और नवाचार एक साथ चल सकते हैं.

India News
अगला लेख