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कभी दुश्मन देश पाक और चीन के नेता भी बने थे गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट, परेड में हुए थे शामिल

इस आयोजन में हर साल एक विदेशी नेता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है. इस साल इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को यह सम्मान दिया गया है. यह घटनाएं यह दिखाती हैं कि भारत अपने राष्ट्रीय पर्वों के जरिए दुनिया को मित्रता और शांति का संदेश देता है. चाहे संबंधों में कितनी ही कड़वाहट क्यों न हो, भारत ने हमेशा अपने दरवाजे खुले रखे हैं.

कभी दुश्मन देश पाक और चीन के नेता भी बने थे गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट, परेड में हुए थे शामिल
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 26 Jan 2025 1:23 PM

26 जनवरी का दिन भारत के लिए गर्व और खुशी का प्रतीक है. यह वही दिन है जब 1950 में भारत ने अपना संविधान अपनाया और गणतंत्र बना. हर साल इस दिन, राष्ट्रीय राजधानी में स्थित कर्तव्य पथ पर भव्य परेड का आयोजन होता है. इस परेड में देश की ताकत, सांस्कृतिक विविधता और एकता की झलक देखने को मिलती है. खास बात यह है कि इस आयोजन में हर साल एक विदेशी नेता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है. इस साल इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को यह सम्मान दिया गया है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत ने अपने इन आयोजनों में कभी पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया है? आइए, इस दिलचस्प इतिहास के कुछ पन्ने पलटते हैं.

जब पाकिस्तान के नेता बने मुख्य अतिथि

भारत हमेशा अपनी विशाल सोच और उदारता के लिए पहचाना जाता है. यहां तक कि अपने दुश्मन देशों के नेताओं को भी भारत ने गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर आमंत्रित किया है. 1955 की बात है, जब पाकिस्तान के गवर्नर जनरल गुलाम मुहम्मद को भारत ने मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया. यह वह समय था जब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव तो था, लेकिन इस दावत ने भारत की उदार छवि को और मजबूत किया.

इसके बाद 1965 में पाकिस्तानी सरकार के खाद्य और कृषि मंत्री राणा अब्दुल हमीद को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया. यह भारत के उस बड़े दिल का उदाहरण था, जिसने राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखकर मित्रता और सद्भाव का संदेश दिया.

चीन के नेता गणतंत्र दिवस पर पहुंचे

भारत और चीन के बीच संबंधों में भी अक्सर तनाव देखने को मिलता है. लेकिन भारत ने इस पड़ोसी देश को भी सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित करने से परहेज नहीं किया. 1958 में भारत ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के मार्शल येन जियानयिंग को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया. यह कदम भारत की कूटनीति और सकारात्मक रिश्ते बनाने की इच्छा का प्रतीक था. यह घटनाएं यह दिखाती हैं कि भारत अपने राष्ट्रीय पर्वों के जरिए दुनिया को मित्रता और शांति का संदेश देता है.

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