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गवई से पहले भी निशाने पर रहे हैं कई जज, कभी फेंकी सैंडल तो कभी दी सरेआम धमकी, जानें कब-कब हुए ऐसे हमले

सीजेआई गवई से पहले भी कई जजों को अलग-अलग तरह के हमलों का सामना करना पड़ा है. कभी उन्हें सैंडल फेंककर अपमानित किया गया, तो कभी सरेआम धमकियां दी गईं. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जो न्यायपालिका की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हैं. आइए जानते हैं कब-कब और कैसे ये हमले हुए.

गवई से पहले भी निशाने पर रहे हैं कई जज, कभी फेंकी सैंडल तो कभी दी सरेआम धमकी, जानें कब-कब हुए ऐसे हमले
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( Image Source:  ANI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 7 Oct 2025 3:40 PM IST

देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक ऐसा वाकया हुआ जिसने पूरे न्यायिक जगत को चौंका दिया. 6 अक्टूबर की सुबह कोर्ट नंबर 1 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी.आर.गवई पर एक 71 साल के वकील ने जूता फेंक दिया. ये घटना कोर्ट की कार्यवाही के दौरान हुई. लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि CJI गवई ने पूरी शालीनता के साथ इसे नजरअंदाज कर दिया.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट में ऐसी घटनाएं दुर्लभ हैं, लेकिन देश के निचले न्यायालयों में जजों पर कभी सैंडल फेंकी गई, तो कभी उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई. चलिए जानते हैं कब-कब हुए ये हमले.

जज को मिला 500 करोड़ का फिरौती पत्र

इस साल सितंबर की महीने में मध्य प्रदेश के रीवा जिले के एक सिटिंग जज को डाक से एक चौंकाने वाला पत्र मिला. उसमें लिखा था कि अगर वे “जिंदा रहना चाहते हैं” तो 500 करोड़ रुपये दें. जांच में सामने आया कि यह पत्र उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से भेजा गया था. पुलिस ने बताया कि पत्र भेजने वाला 74 साल का रिटायर्ड स्कूल टीचर था, जिसने किसी रिश्तेदार को फंसाने की कोशिश की थी

महिला जज को दी जान से मारने की धमकी

इस ही साल अप्रैल की महीने में चेक बाउंस केस में टीचर दोषी ठहराया गया. इस पर वह रिटार्यड टीचर और उसका वकील गुस्से में आ गए. उन्होंने कोर्ट में ही महिला जज शिवांगी मंगल को गालियां दीं और धमकाया. इतना ही नहीं, उन्होंने जान से मारने की धमकी देते हुए कहा कि 'तू है क्या चीज... बाहर मिल, देखता हूं कैसे जिंदा घर जाती है.' इस घटना के बाद जज ने अपने ऑर्डर में पूरी बात दर्ज की और पुलिस ने मामला दर्ज किया.

जज उत्तम आनंद की हत्या

साल 2022 के जुलाई के महीने में धनबाद (झारखंड) के एडिशनल सेशंस जज उत्तम आनंद की हत्या ने पूरे देश को हिला दिया था. सुबह की सैर पर निकले जज को एक ऑटो रिक्शा ने सीधा टक्कर मारी थी. बाद में जांच में पता चला कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि सोची-समझी हत्या थी. अदालत ने दोषियों को मौत की सजा सुनाई.

अक्टूबर 2015: महिला जज से अभद्रता

दिल्ली की एक अदालत में एक वकील ने महिला मजिस्ट्रेट से बेहद आपत्तिजनक और गंदी भाषा में बात की. महिला जज ने शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद वकील के खिलाफ FIR हुई. मामला उस वक्त का था जब वकील ने एक ड्रिंक एंड ड्राइव केस में गाड़ी छोड़ने की अर्जी दी थी.

जूता फेंकने की पुरानी घटना

यह बात साल 2009 की है. जब ऐसा ही एक मामला सामने आया था. एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक्स जज अरिजित पसायत पर सैंडल फेंका था. उसके साथ चार और लोगों ने मिलकर कोर्ट में अपमानजनक शब्द कहे थे.

बढ़ते खतरे और सवाल

हाल के वर्षों में अदालतों में जजों के प्रति असम्मान और आक्रामकता के कई मामले सामने आए हैं. छोटे जिलों की अदालतों में जजों पर हमले, गाली-गलौज या धमकी जैसी घटनाएं न्यायपालिका की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाती हैं. कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि जजों की सुरक्षा सिर्फ पुलिस या अदालत की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की भी है. जब अदालतों का सम्मान कम होता है, तो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर पड़ती हैं.


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