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'उन्होंने एक्शन लिया हमने रिएक्शन दिया', मुझे बिल्कुल अफसोस नहीं; बी आर गवई पर हमला करने वाले वकील राकेश ने और क्या कहा?

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक असामान्य और चौंकाने वाली घटना ने कोर्ट परिसर का माहौल बदल दिया. 71 साल के वकील राकेश किशोर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की. अब इस मामले में उनका कहना है कि यह सिर्फ कोर्ट के एक्शन का रिएक्शन था.

उन्होंने एक्शन लिया हमने रिएक्शन दिया, मुझे बिल्कुल अफसोस नहीं; बी आर गवई पर हमला करने वाले वकील राकेश ने और क्या कहा?
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 7 Oct 2025 12:40 PM IST

6 अक्टूबर के दिन देश की सबसे बड़ी अदालत में वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील राकेश किशोर ने अचानक सीजीआई बी.आर.गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की. हालांकि सुरक्षा कर्मियों की तत्परता से यह कोशिश नाकाम हो गई. लेकिन इस घटना ने पूरे न्यायिक गलियारों में सनसनी फैला दी.

अब इस पर उनका कहना है कि उन्होंने यह काम दैवीय शक्ति के प्रभाव में किया. साथ ही, उन्हें कोई पछतावा नहीं जताया और कहा कि वह जेल जाने को तैयार हैं. यह सिर्फ उनके एक्शन का रिएक्शन है.

खजुराहो मामले ने बढ़ाया गुस्सा

राकेश किशोर दिल्ली के मयूर विहार के रहने वाले हैं. उनका कहना है कि सनातन धर्म से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट अक्सर ऐसा आदेश पास करता है, जो सनातनी लोगों को आहत करता है. खासकर वे उस जनहित याचिका से आहत थे, जिसमें खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की बहाली का मामला था. राकेश किशोर के अनुसार, CJI ने याचिकाकर्ता का मजाक उड़ाया और कहा कि याचिकाकर्ता 'मूर्ति के सामने जाकर प्रार्थना करे और मूर्ति से कहे कि अपना सिर खुद दोबारा बना ले.'

अन्य समुदायों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट की अलग प्रतिक्रिया

किशोर ने तुलना करते हुए कहा कि जब अन्य समुदायों से जुड़े मामले आते हैं, तो कोर्ट बड़े कदम उठाती है. उन्होंने हल्द्वानी का उदाहरण दिया, जहां रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा था. तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने कब्जाधारकों के खिलाफ कार्रवाई पर स्टे लगा दिया, जो आज तक लागू है. उनका मानना है कि यदि याचिकाकर्ता को राहत नहीं दी जानी थी, तो ठीक, लेकिन मजाक उड़ाना और ध्यान लगाने की सलाह देना न्यायसंगत नहीं था. यही कारण था कि किशोर गहराई से आहत हुए.

एक्शन का रिएक्शन दिया

राकेश किशोर ने बताया कि वे हिंसा के खिलाफ हैं, लेकिन यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि एक अहिंसक, ईमानदार और निष्पक्ष व्यक्ति को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा. इसके आगे उन्होंने अपनी योग्यता का भी हवाला देते हुए कहा कि मैं गोल्ड मेडलिस्ट हूं, नशे में नहीं था और न ही कोई दवा ली थी. उनके एक्शन का ये मेरा रिएक्शन था. मुझे किसी बात का डर या अफसोस नहीं है.

नूपुर शर्मा का भी किया जिक्र

किशोर ने भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का उदाहरण देते हुए कहा कि जब उनका मामला आया, तो कोर्ट ने कहा कि उन्होंने माहौल खराब कर दिया. लेकिन जब बात सनातन धर्म की आती है, चाहे वह जल्लीकट्टू का आयोजन हो या दही हांडी की ऊंचाई तय करना-सुप्रीम कोर्ट अक्सर ऐसे आदेश पास करती है जो धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करते हैं.

पुलिस जांच और रिहाई

दिल्ली पुलिस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने राकेश किशोर के खिलाफ औपचारिक आरोप लगाने से इनकार किया. इसके बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट परिसर में तीन घंटे तक पूछताछ की. पूछताछ के बाद दोपहर दो बजे किशोर को रिहा कर दिया गया और उनका जूता भी लौटा दिया गया.

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