Begin typing your search...

जरूरी नहीं कि महिला जो कहे वो सच हो... झूठी शिकायतों पर हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

Kerala High Court: केरल हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत दी. अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता एक महिला है, यह कोई धारणा नहीं है कि सभी मामलों में उसके बयान ही सच हों. क्योंकि आजकल ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है, ऐसे कई मामले बीते दिनों देखने को मिले हैं. पुलिस को लगता है कि पुरुषों के खिलाफ ऐसी महिलाओं के आरोप झूठे हैं, तो वे शिकायतकर्ताओं के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकते हैं

जरूरी नहीं कि महिला जो कहे वो सच हो... झूठी शिकायतों पर हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
X
( Image Source:  CANVA )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 1 March 2025 9:54 AM IST

Kerala High Court: देश में पिछले कुछ समय से अपनी पत्नी से परेशान होकर पति के फांसी लगाने के कई मामले सामने आए. चाहे वो वह अतुल सुभाष का केस हो या आगरा के आईटी कंपनी के मैनेजर मानव शर्मा का. इस बीच केरल हाई कोर्ट ने एक ऐसी टिप्पणी की है, जिसने सबको हैरान कर दिया है. एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, 'शिकायत करने वाले महिला जो भी कहे, जरूरी नहीं वो सच हो.'

केरल हाई कोर्ट के जस्टिस पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने यौन उत्पीड़न के आरोपी को जमानत दी. जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यौन अपराधों सहित आपराधिक मामलों में यह धारणा नहीं बनाई जा सकती कि शिकायतकर्ता महिला ने जो कुछ कहा है वह पूरी तरह सत्य है, क्योंकि आजकल ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा है, ऐसे कई मामले बीते दिनों देखने को मिले हैं.

क्या है मामला?

इस मामले में महिला ने कहा कि जहां वह पहले काम करती थी, उसके मैनेजर ने शारीरिक संबंध बनाने के इरादे से मेरा हाथ पकड़ लिया था. उसने मेरे साथ गाली-गलौज और धमकियां दी. इसके बाद महिला ने पुलिस में उसके खिलाफ शिकायत दी. एक पेन ड्राइव भी दी थी. जिसमें महिला ने जो कुछ कहा था व सब उसमें रिकॉर्ड था. इसके बाद बिना जांच के किए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था. फिर आरोपी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

शिकायत की जांच जरूरी- कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने आरोपी की प्रारंभिक शिकायत की जांच नहीं की. आरोपी ने मैनेजर ने ठीक से काम न करने पर महिला को नौकरी से निकाल दिया था. इसके बाद महिला ने उसे गाली दी थी और धमकी दी थी. अदालत ने कहा कि आपराधिक मामले की जांच का मतलब शिकायतकर्ता और आरोपी के मामले की जांच करना है. एक तरफ जांच कभी नहीं की जाती आरोप लगाने और आरोपी दोनों की जांच जरूरी है.

कोर्ट ने आगे कहा कि केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता एक महिला है, यह कोई धारणा नहीं है कि सभी मामलों में उसके बयान ही सत्य हैं, और पुलिस आरोपी के मामले पर विचार किए बिना उसके बयान के आधार पर एक्शन ले. अदालत ने आगे कहा कि यदि पुलिस को लगता है कि पुरुषों के खिलाफ ऐसी महिलाओं के आरोप झूठे हैं, तो वे शिकायतकर्ताओं के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकते हैं. क्योंकि कानून इसकी इजाजत देता है. झूठे आरोपों के कारण किसी नागरिक को हुए नुकसान की भरपाई केवल पैसे देकर नहीं की जा सकती.

India News
अगला लेख