2005 में 3 विमानों से हुई शुरुआत, 2010 में एयर इंडिया को छोड़ा पीछे और 2012 में... कैसे IndiGo बनी भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन?
भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इस समय अपने सबसे गंभीर ऑपरेशनल संकट से गुजर रही है. एक ही दिन में 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द हो गईं, हजारों यात्री देशभर के बड़े एयरपोर्ट्स पर फंसे रहे और ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गिरकर सिर्फ 19.7% रह गया. नए Flight Duty Time Limitation (FDTL) नियमों की गलत प्लानिंग, पायलटों की कमी, तकनीकी गड़बड़ी और विंटर शेड्यूल की भीड़ ने हालात और बिगाड़ दिए. हालांकि, यह वही इंडिगो है जिसने 2006 में सिर्फ 3 विमानों से शुरुआत कर आज 64% से ज्यादा घरेलू बाजार पर कब्जा जमा लिया है.
IndiGo Crisis 2025, Low Cost Airline Success Story: इंडिगो एयरलाइंस लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. एक ही दिन में 1000 से अधिक उड़ानें रद्द हुईं और देश के कई बड़े एयरपोर्ट्स पर हजारों यात्री घंटों तक फंसे रहे. हालात इतने बिगड़ गए कि एक दिन मुंबई में 118, बेंगलुरु में 100, हैदराबाद में 75, कोलकाता में 35, चेन्नई में 26 और गोवा में 11 फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं. एयरलाइन का कहना है कि मौजूदा हालात सामान्य होने में अभी दो से तीन दिन और लग सकते हैं. क्रू की कमी, प्लानिंग में खामियां, तकनीकी दिक्कतें और विंटर सीजन की भारी भीड़... इन सभी ने मिलकर इंडिगो को गंभीर संकट में डाल दिया है.
बुधवार को IndiGo का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गिरकर सिर्फ 19.7% रह गया, जो उस कंपनी के लिए बड़ा झटका है, जिसने समय की पाबंदी को अपनी पहचान बनाया था. हालात की गंभीरता को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA ने इंडिगो के सीनियर अधिकारियों को तलब किया, वहीं CEO पीटर एल्बर्स ने आंतरिक तौर पर स्वीकार किया कि समय पर परिचालन बहाल करना आसान नहीं होगा.
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एक छोटी शुरुआत, जिसने बदली भारतीय आसमान की तस्वीर
आज चाहे इंडिगो संकट में नजर आ रही हो, लेकिन यह सच है कि यह भारतीय विमानन इतिहास की सबसे बड़ी सफलता की कहानी भी है. इंडिगो की शुरुआत 2005 में राहुल भाटिया (इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज) और एविएशन एक्सपर्ट राकेश गंगवाल ने मिलकर की थी. दोनों का सपना था एक ऐसी सस्ती, सटीक और अनुशासित एयरलाइन बनाना, जो आम लोगों को हवाई यात्रा से जोड़े.
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2010 में इंडिगो ने एयर इंडिया को छोड़ा पीछे
2005 के पेरिस एयर शो में इंडिगो ने पहले ही 100 एयरबस A320 विमानों का बड़ा ऑर्डर देकर सभी को चौंका दिया. 4 अगस्त 2006 को इंडिगो ने दिल्ली-मुंबई रूट पर अपनी पहली उड़ान भरी. महज़ एक साल में उसने 10 लाख यात्रियों का आंकड़ा पार कर लिया. 2010 में इंडिगो ने एयर इंडिया को पछाड़कर देश की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बनने का मुकाम हासिल किया. 2012 में यह भारत की नंबर-1 एयरलाइन बन गई और उसी साल 5 करोड़ यात्रियों को ढोने का रिकॉर्ड बनाया.
तेज़ रफ्तार विस्तार और रिकॉर्ड तोड़ विमान ऑर्डर
इंडिगो का विस्तार पूरी तरह सुनियोजित रणनीति पर आधारित रहा;
- 2007 तक 14 विमान
- 2009 में 25 विमान
- 2015 में 100 विमान
- 2019 तक 250 विमान
- 2023 में 300 विमान
2019 में इंडिगो ने 300 एयरबस A320neo का करीब ₹2.3 लाख करोड़ का ऑर्डर दिया
2019 में इंडिगो ने 300 एयरबस A320neo का करीब ₹2.3 लाख करोड़ का ऑर्डर दिया. इसके बाद 2023 में 500 विमानों का करीब 50 अरब डॉलर का ऐतिहासिक ऑर्डर देकर ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री में भी तहलका मचा दिया. इसके अलावा इंडिगो ने 30 एयरबस A350-900 और 70 अतिरिक्त वाइड बॉडी विमानों के विकल्प भी सुरक्षित किए. FY23 तक इंडिगो का रेवेन्यू करीब ₹55,878 करोड़ और मुनाफा करीब ₹2,998 करोड़ रहा. घरेलू बाजार में इसका हिस्सा 62% से ज्यादा हो चुका है, जो आज 64% के करीब पहुंच गया है.
इंडिगो का बिजनेस मॉडल: सादगी में ताकत
इंडिगो की सफलता की सबसे बड़ी ताकत उसका लो-कॉस्ट बिजनेस मॉडल रहा:
- एक ही विमान श्रेणी से रखरखाव का खर्च कम
- पॉइंट-टू-पॉइंट रूट, महंगे हब सिस्टम से दूरी
- विमान खरीद पर सेल-एंड-लीज मॉडल
- तेज टर्नअराउंड और अधिक उड़ानें
- लगेज, फूड और प्रायोरिटी सेवाओं से अतिरिक्त कमाई
लग्ज़री और तामझाम से दूर रहकर इंडिगो ने यात्रियों को भरोसेमंद और किफायती सफर दिया. जब किंगफिशर और जेट एयरवेज जैसी एयरलाइंस डगमगाईं, तब इंडिगो ने अपनी पकड़ और मजबूत की.
कोरोना काल में अग्निपरीक्षा
- कोरोना महामारी के दौरान इंडिगो को भी भारी नुकसान हुआ. FY20 में उसे ₹2,750 करोड़ और FY21 में ₹5,830 करोड़ का घाटा उठाना पड़ा, लेकिन इसी दौर में इंडिगो ने 10 विमानों को कार्गो फ्रेटर में बदला और माल ढुलाई से बड़ा रेवेन्यू खड़ा कर लिया.
- टियर-2 और टियर-3 शहरों को कनेक्ट करना, लीज री-नेगोशिएशन और खर्चों में कटौती ने इंडिगो को दोबारा पटरी पर ला दिया.
- FY22 और FY23 में एयरलाइन मुनाफे में लौट आई और साल में 10 करोड़ यात्रियों को ढोने वाली पहली भारतीय एयरलाइन बनी.
संस्थापकों की जोड़ी में पड़ी दरार
राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल की जोड़ी ने इंडिगो को आसमान की ऊंचाई तक पहुंचाया, लेकिन 2019 के बाद दोनों के बीच मतभेद सामने आने लगे. 2022 में गंगवाल बोर्ड से बाहर हो गए और 2025 तक उन्होंने अपनी हिस्सेदारी भी बेच दी.
अब क्यों डगमगाई इंडिगो?
नवंबर 2025 से लागू हुए नए Flight Duty Time Limitations (FDTL) नियम इंडिगो के लिए बड़ी परेशानी बन गए. कंपनी ने नए नियमों के हिसाब से जरूरी क्रू प्लानिंग नहीं की. नतीजा यह हुआ कि बड़ी संख्या में पायलट एक साथ अनिवार्य रेस्ट पर चले गए और उड़ानों की बाढ़ में स्टाफ की भारी कमी हो गई. DGCA को मजबूरन इन नियमों को अस्थायी रूप से स्थगित करना पड़ा ताकि हालात काबू में लाए जा सकें.
भविष्य: चुनौती भी, मौके भी
आज भले ही इंडिगो संकट से गुजर रही हो, लेकिन यह अब भी भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है. उसकी नजरें अंतरराष्ट्रीय बाजार और वाइड बॉडी विमानों पर टिकी हैं. हालांकि, बढ़ती लागत, कर्मचारियों की कमी, एयर इंडिया की वापसी और वैश्विक अनिश्चितताएं इसकी राह को मुश्किल बना सकती हैं.





