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अग्निवीरों के लिए बड़ा तोहफा! सेना में 75% तक खुल सकता है परमानेंट सर्विस का रास्ता, जैसलमेर में सेना का मंथन

भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारी जैसलमेर में जुटे हैं, जहां शुरू हुआ आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस आने वाले सालों के लिए सेना की कार्यप्रणाली और नीतियों में बड़े बदलाव तय कर सकता है. इस बार का सम्मेलन खास इसलिए है क्योंकि इसमें अग्निवीर योजना में रिटेंशन रेट को 25% से बढ़ाकर 75% तक करने का प्रस्ताव रखा गया है.

अग्निवीरों के लिए बड़ा तोहफा! सेना में 75% तक खुल सकता है परमानेंट सर्विस का रास्ता, जैसलमेर में सेना का मंथन
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( Image Source:  AI Perplexity )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 23 Oct 2025 1:15 PM IST

अग्निवीरों के लिए बड़ी खबर सामने आई है. अब भारतीय सेना में उनकी स्थायी सेवा का रास्ता पहले से कहीं ज्यादा खुल सकता है. जैसलमेर में शुरू हो रहे आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में अग्निवीर योजना को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है. अभी तक चार साल की सेवा पूरी करने के बाद केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही सेना में स्थायी रूप से शामिल किया जाता है.

लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अब इस दर को 75 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव चर्चा में है. अगर यह मंजूर होता है, तो यह उन युवाओं के लिए बड़ी राहत होगी जो देश सेवा का सपना लेकर सेना में शामिल हुए हैं.

अगले साल पूरा होगा पहला अग्निवीर बैच का कार्यकाल

अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए पहले अग्निवीरों का चार साल का कार्यकाल अगले साल पूरा होने वाला है. ऐसे में यह तय करना बेहद अहम है कि उनमें से कितनों को परमानेंट सर्विस में रखा जाएगा. अभी केवल 25% अग्निवीरों को ही आगे सेवा में रखा जाता है, लेकिन अब यह अनुपात 75% तक बढ़ाने पर विचार हो रहा है. इस प्रस्ताव का मकसद सेना में ट्रेन्ड और एक्सपीरियंस युवाओं को अधिक समय तक बनाए रखना, ताकि वे लंबे समय तक राष्ट्रसेवा में योगदान दे सकें.

वेटरन्स की विशेषज्ञता का लाभ उठाने की तैयारी

सेना में रिटायर हो चुके वेटरन्स (पूर्व सैनिकों) की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में उनके अनुभव का उपयोग कैसे किया जाए, यह भी एक बड़ा मुद्दा है. अभी पूर्व सैनिक आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी और ECHS पॉलिक्लिनिक जैसी सीमित भूमिकाओं में काम कर रहे हैं. लेकिन अब योजना है कि उन्हें अलग-अलग मिलिट्री यूनिट्स में सलाहकार या प्रशिक्षक की भूमिका में जोड़ा जाए.

तीनों सेनाओं के बीच ‘जॉइंटनेस’ बढ़ाने पर जोर

सम्मेलन में एक और अहम मुद्दा तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय है. हाल ही में सरकार ने तीन जॉइंट्स मिलिट्री स्टेशन बनाने और आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की एजुकेशन ब्रांच को मिलाकर ट्राई-सर्विस एजुकेशन कोर बनाने की घोषणा की थी. अब चर्चा इस बात पर है कि शेयर्ड ट्रेनिंग, समान उपकरणों का इस्तेमाल, और इंटीग्रेटेड सप्लाई चेन के ज़रिए तीनों सेनाओं को कैसे ज्यादा प्रभावी बनाया जाए.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला बड़ा रिव्यू प्लेटफॉर्म

यह सम्मेलन ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद हो रहा पहला बड़ा समीक्षा मंच है. इसका मकसददेश की सुरक्षा स्थिति का आकलन करना और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति तय करना है. जैसलमेर में कमांडर्स सैन्य तैयारियों, क्षतिग्रस्त उपकरणों की मरम्मत, आवश्यक सामग्री की आपात खरीद और गोलाबारूद की पर्याप्त उपलब्धता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे.

समीक्षा एजेंडे में मिशन सुधर्शन चक्र

सूत्रों के अनुसार, मिशन सुधर्शन चक्र की प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी. यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें सेनाओं के बीच समन्वय और विभिन्न हितधारकों की भागीदारी शामिल है. जैसलमेर में चल रहा यह सम्मेलन केवल नीतिगत नहीं, बल्कि सेना के भविष्य की नई रूपरेखा तैयार करने का प्रयास है. अग्निवीरों की रिटेंशन दर बढ़ाने से लेकर तीनों सेनाओं के एकीकरण तक, ये फैसले भारतीय सेना को आने वाले दशक में और मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.

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