'मैंने कुछ गलत नहीं कहा', मुसलमानों पर दिए बयान पर कायम हैं इलाहाबाद HC के जस्टिस शेखर कुमार यादव
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव को मुस्लिमों को निशाने बनाने वाले उनके एक बयान को लेकर पेश होने को कहा था. नोटिस को आए करीब एक महीने के बाद जज शेखर ने सीजेआई संजीव खन्ना को पत्र लिखकर अपने बयान पर बने रहने की बात कही है. यानी उनके हिसाब से उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा.

Allahabad High Court: हमारे देश में सभी को अपने विचार व्यक्त करने और बोलने की आजादी दी है. लेकिन कई बार कुछ लोग अपने आपत्तिजनक बयानों की वजह से सुर्खियों में आ जाते हैं. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव को एक बयान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव को मुस्लिमों को निशाने बनाने वाले उनके एक बयान को लेकर पेश होने को कहा था. नोटिस को आए करीब एक महीने के बाद जज शेखर ने सीजेआई संजीव खन्ना को पत्र लिखकर अपने बयान पर बने रहने की बात कही है. यानी उनके हिसाब से उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा.
जस्टिस यादव ने अपने बयान को रखा कायम
जस्टिस यादव ने सीजेआई को पत्र लिखकर स्पष्ट किया कि उनके बयान से न्यायिक आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली ने 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने यादव की टिप्पणी पर स्पष्टीकरण मांगा था. एक कानून छात्र और एक आईपीएस अधिकारी द्वारा उनके बयान के खिलाफ शिकायत की थी. आईपीएस अधिकारी को सरकार ने अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया था.
SC के नोटिस पर क्या बोले जस्टिस यादव
जस्टिस यादव ने अपने दिए हुए भाषण पर कहा कि उनका भाषण कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और उन्होंने यह भी दावा किया कि अदालत के वे सदस्य जो सार्वजनिक रूप से अपनी बात नहीं रख सकते उन्हें न्यायिक बिरादरी के वरिष्ठों द्वारा सुरक्षा दी जानी चाहिए. उन्होंने अपने बयान पर कोई अफसोस नहीं जताया और कहा कि उनका भाषण संविधान में शामिल सामाजिक मुद्दों पर विचार रखने के लिए था न कि किसी समुदाय के प्रति घृणा फैलाने के लिए.
मुसलमानों पर की थी टिप्पणी
रिपोर्ट के मुताबिक, 8 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की लाइब्रेरी में आयोजित विश्व हिंदू परिषद के कानूनी प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में उन्होंने भाषण दिया था. जस्टिस यादव ने कहा था कि हिंदुओं ने सुधार किए हैं जबकि मुसलमानों ने नहीं किए. आपका यह भ्रम है कि अगर कोई कानून (यूसीसी) लाया गया तो वह आपके शरियत, इस्लाम और कुरान के खिलाफ होगा. लेकिन मैं एक और बात कहना चाहता हूं कि चाहे वह आपका व्यक्तिगत कानून हो, हमारा हिंदू कानून हो, आपका कुरान हो या हमारा गीत जैसे मैंने कहा हम अपनी प्रथाओं में बुराइयों का समाधान कर चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि कठमुल्ले देश के लिए घातक हैं.