ऑनलाइन बना 'बम एक्सपर्ट', पहाड़ियों पर की थी टेस्टिंग, डिजिटल आतंकियों ने हैदराबाद को ही क्यों बनाया था निशाना?
हैदराबाद में बड़ा आतंकी हमला टाल दिया गया है. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में ISIS से जुड़े दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया. दोनों पर सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथ फैलाने और बम धमाके की योजना का आरोप है. विजयनगरम में विस्फोटकों की ट्रायलिंग के सबूत भी मिले हैं. पूरे देश में नेटवर्क तलाशा जा रहा है.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त खुफिया निगरानी ने साइबर स्पेस से मिले संकेतों पर ध्यान दिया, जहां दो युवकों विजयनगरम का सिराज‑उर‑रहमान और हैदराबाद का सैयद समीर कुशलता से एन्क्रिप्टेड चैट रूम में आईएसआईएस से जुड़े निर्देश ले रहे थे. एजेंसियों ने देखा कि दोनों अक्सर विस्फोटक रसायनों और बम सर्किट स्कीमेटिक्स की फाइलें शेयर करते थे, जिससे एक बड़े आतंकी मंसूबे की आहट मिली.
पिछले छह महीनों से रहमान की गतिविधियों पर आईबी और तेलंगाना काउंटर‑इंटेलिजेंस की पैनी नज़र थी. कोड‑नाम से चल रही इस ऑपरेशन में डेटा ट्रैफ़िक पैटर्न, ड्रोन‑फ़ुटेज और ई‑कॉमर्स खरीद सूची को मिलाकर एक समयरेखा तैयार की गई. जैसे ही विस्फोटक सामग्री का बड़ा ऑर्डर ट्रैक हुआ, दोनों राज्यों की यूनिट्स ने विजयनगरम पुलिस के साथ मिलकर ऑपरेशन शुरू कर दिया.
कमरे से मिला विस्फोटक का जखीरा
सिराज के किराए के मकान पर छापे के दौरान अमोनियम नाइट्रेट, पिसा हुआ सल्फर, पोटैशियम परमैंगनेट और एल्युमिनियम पाउडर बरामद हुआ. बरामद बैग से टाइमर‑डिवाइस, सोल्डरिंग गन और प्रेशर कुकर के ढक्कन भी मिले, जो दर्शाते हैं कि बम‑किट लगभग तैयार थी. इन सामग्रियों को विशाखापट्टनम पोर्ट से आए एक पार्सल के ज़रिए हासिल किया गया था. आरोपियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से बम बनाना सीखा था.
सुनसान पहाड़ियों में रिहर्सल
पूछताछ में आरोपियों ने माना कि उन्होंने विजयनगरम के बाहरी इलाके में दो छोटे‑मोटे विस्फोट कर क्षमता जांची थी. ट्रायल सफल होने पर अगला लक्ष्य ‘भीड़‑भाड़ वाले महानगरीय क्षेत्र’ में वास्तविक धमाका करना था. सुरक्षा अधिकारी अब यह पता लगाने में जुटे हैं कि हैदराबाद ही अंतिम टार्गेट था या किसी धार्मिक सभा पर भी नज़र थी.
कट्टरपंथी भर्ती का नया फ़ॉर्मूला
शुरूआती जांच के अनुसार दोनों आरोपियों को सऊदी‑स्थित आईएसआईएस संचालकों ने सोशल‑मीडिया इन्फ्लुएंस और गेमिंग फ़ोरम के ज़रिए फुसलाया. वर्चुअल ‘मुल्क बचाओ मिशन’ जैसे स्लोगन से शुरू हुई बातचीत जल्द ही बम‑निर्माण वीडियो ट्यूटोरियल और क्रिप्टोकरंसी फ़ंडिंग लिंक पर आ पहुंची. यह पूरा नेटवर्क नई उम्र के रिमोट‑कंट्रोल्ड मॉड्यूल का संकेत देता है.
राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्क की तलाश
गिरफ़्तारी के बाद एनआईए और स्पेशल सेल ने डिजिटल फ़ोरेंसिक टीमों को अलर्ट पर रखा है. क्लाउड‑बैकअप और डार्क‑वेब लॉग इन से उन हैंडल्स की पहचान की जा रही है, जो भारत के भीतर और बाहर रेक्रूटमेंट की चेन चला रहे हैं. अफ़सरों का कहना है कि समय रहते इस मॉड्यूल को तोड़कर उन्होंने ‘खामोश लेकिन विनाशकारी’ हमले को टाल दिया है, मगर डिजिटल युद्ध का अगला मोर्चा पहले से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण होगा.