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चीन का J-35 भी छिप नहीं पाएगा Surya VHF Radar से, भारत का ‘एंटी-स्‍टे‍ल्‍थ ब्रह्मास्‍त्र’, दुश्‍मनों की हेकड़ी निकालने को तैयार!

भारत ने एक और निर्णायक कदम बढ़ाते हुए अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और भी धारदार बना लिया है. अब भारतीय वायुसेना (IAF) के पास एक ऐसा रडार आ चुका है जो दुनिया के सबसे खतरनाक और अदृश्य माने जाने वाले स्टेल्थ फाइटर जेट्स को भी पहचान सकता है. हम बात कर रहे हैं भारत में बने ‘सूर्य VHF रडार’ की.

चीन का J-35 भी छिप नहीं पाएगा Surya VHF Radar से, भारत का ‘एंटी-स्‍टे‍ल्‍थ ब्रह्मास्‍त्र’, दुश्‍मनों की हेकड़ी निकालने को तैयार!
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 29 May 2025 1:15 PM IST

पाहलगाम आतंकी हमले के बाद जब पूरा देश शोक में डूबा था, तब भारतीय सेना ने आतंक के खिलाफ एक ऐसा सर्जिकल प्रहार किया जिसने दुश्मनों की रीढ़ तोड़ दी - नाम था ऑपरेशन सिंदूर. 6-7 मई की रात भारत ने पाकिस्तान और POK में मौजूद 9 आतंकी अड्डों को तहस-नहस कर दिया, और जवाबी हमले में पाकिस्तान के 11 एयरबेस भी तबाह कर दिए गए. इस पूरे अभियान में भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली और सैन्य रणनीति की दुनिया भर में सराहना हुई.

भारत से मुंह की खाए पाकिस्‍तान ने जब अपने जिगरी चीन से मदद मांगी तो चीन भी अपनी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान J-35 उसे देने को तैयार हो गया, वो भी भारी डिस्‍काउंट पर. यह भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता था, लेकिन भारत के हाथ एक ऐसा रडार लग गया है जो दुश्‍मन के तमाम मंसूबों पर पानी फेर देगा.

हम बात कर रहे हैं भारत में बने ‘सूर्य VHF रडार’ की, जिसे बेंगलुरु की अल्फा डिज़ाइन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (ADTL) ने तैयार किया है. यह देसी तकनीक पर आधारित एंटी-स्टेल्थ रडार, पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों के फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट्स को भी पकड़ने की क्षमता रखता है.

200 करोड़ की लागत, पहली यूनिट डिलीवर

रिपोर्ट के अनुसार, 200 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस रडार प्रणाली की पहली यूनिट मार्च 2025 के मध्य में भारतीय वायुसेना को सौंप दी गई है. कुल 6 यूनिट्स बनाए जाने की योजना है. यह प्रणाली खासतौर पर स्टेल्थ तकनीक से लैस पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स जैसे कि चीन का J-35 या अमेरिका का F-35 जैसी तकनीकों को मात देने के लिए डिज़ाइन की गई है.

सूर्य VHF रडार की 5 सबसे बड़ी खूबियां

  1. यह रडार बहुत लंबी तरंगदैर्ध्य (Very High Frequency) पर काम करता है, जो स्टेल्थ एयरक्राफ्ट द्वारा उपयोग की जाने वाली ‘रेडार-अवशोषित सामग्री’ को बेअसर करता है. यही इसे अदृश्य फाइटर जेट्स की पहचान में सक्षम बनाता है.
  2. सूर्य रडार की डिटेक्शन रेंज 360 किलोमीटर तक है (जब लक्ष्य का रडार क्रॉस सेक्शन 2 वर्ग मीटर हो). यानी दुश्मन के जहाज को काफी पहले भांप लिया जाएगा.
  3. यह रडार हर मिनट में 10 बार घूमता है, जिससे यह सभी दिशाओं में निगरानी रख सकता है.
  4. सूर्य रडार को दो 6x6 वाहनों पर तैनात किया जाता है, जिससे इसे जल्दी किसी भी लोकेशन पर शिफ्ट किया जा सकता है.
  5. सूर्य रडार की तैनाती भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस नेटवर्क को और ज्यादा मजबूत बनाती है, जो अब दुश्मन के स्टेल्थ हमलों को भी नाकाम कर सकती है.

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद आई नई जरूरत

पिछले महीने हुए पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और POK में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे. यह हमले 6 और 7 मई की रात को अंजाम दिए गए. जवाब में पाकिस्तान ने नागरिक और सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल अटैक किया, लेकिन भारत की एयर डिफेंस ने उन्हें नाकाम कर दिया. इसके बाद 9 और 10 मई की रात भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 11 एयरबेस तबाह कर दिए. इस हमले में भारतीय एयर डिफेंस और रडार प्रणाली की अहम भूमिका रही.

चीन-पाक गठजोड़ पर भारत की नजर

खबरों की मानें तो चीन जल्द ही अपना एडवांस फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट J-35 पाकिस्तान को सौंप सकता है. यह जेट स्टेल्थ तकनीक से लैस है और भारत के लिए रणनीतिक खतरा बन सकता है. सूर्य VHF जैसे एंटी-स्‍टे‍ल्‍थ रडार इस खतरे से निपटने के लिए गेमचेंजर साबित होंगे.

दुनिया भी कर रही है सराहना

ऑपरेशन सिंदूर और भारत की हाई-टेक रक्षा तैयारियों की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही हैः खासकर जब भारत ने एक साथ हमला भी किया और रक्षा भी, तब यह साबित हो गया कि भारत अब केवल जवाब नहीं देता – बल्कि पहले से तैयार बैठा हैः

‘सूर्य VHF रडार’ केवल एक टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर रक्षा मिशन का चमकता हुआ उदाहरण है. यह दिखाता है कि भारत अब न सिर्फ आयातित हथियारों पर निर्भर नहीं, बल्कि स्टेल्थ टेक्नोलॉजी जैसे एडवांस खतरों का देसी इलाज भी तैयार कर चुका है. अब चाहे पाकिस्तान हो या चीन, भारत के आसमान में घुसपैठ करने का ख्वाब देखने वालों को ‘सूर्य’ की नजर से बचना नामुमकिन है.

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