कितनी घातक होगी भारतीय सेना की नई ताकत? अक्टूबर तक तैयार होंगे पहले ‘भैरव कमांडो’; चीन-पाकिस्तान होशियार
भारतीय सेना अपनी स्ट्राइक क्षमता बढ़ाने के लिए ‘भैरव कमांडो’ यूनिट्स तैयार कर रही है. 31 अक्टूबर तक पांच बटालियन पूरी होंगी, जो पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं पर तेज़, हाई-इंपैक्ट ऑपरेशन्स करेंगी. हर बटालियन में 250 सैनिक होंगे, अत्याधुनिक हथियार, ड्रोन और AI तकनीक से लैस. ये कमांडो Para-SF और नियमित इन्फेंट्री के बीच की गैप भरेंगे. खास ट्रेनिंग में नाइट ऑपरेशन, पहाड़-रेगिस्तान-जंग, और हिट-एंड-रन स्ट्रैटेजी शामिल है। यह कदम सेना को अधिक घातक, लचीला और भविष्य की जंग के लिए सक्षम बनाएगा.

भारतीय सेना अपनी रणनीतिक ताकत और सीमा सुरक्षा को नए स्तर पर ले जाने के लिए एक अहम बदलाव करने जा रही है. इसके तहत ‘भैरव कमांडो’ नामक नई स्पेशल फोर्स यूनिट्स बनाई जा रही हैं, जो अक्टूबर 2025 तक तैयार हो जाएंगी. इन बटालियनों का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं पर तेज़, प्रभावी और अत्याधुनिक ऑपरेशन्स करना होगा. पारंपरिक इन्फेंट्री और Para-SF के बीच की क्षमता को पाटने के लिए डिजाइन की गई यह यूनिट छोटी, लचीली और हाई-टेक होगी. हर बटालियन में केवल 250 चुनिंदा सैनिक होंगे, जिन्हें विशेष ट्रेनिंग और अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाएगा.
इनके ऑपरेशन में ड्रोन, AI आधारित सर्विलांस और हिट-एंड-रन रणनीतियां शामिल होंगी. सेना का यह कदम केवल संगठनात्मक बदलाव नहीं बल्कि भविष्य की जंग की तैयारी है, जहां छोटे, तेज़ और सटीक मिशन ही निर्णायक साबित होंगे. ‘भैरव कमांडो’ आने से Para-SF गंभीर और बड़े मिशनों पर फोकस कर सकेंगी, जबकि सीमाओं पर हर छोटे-बड़े हमले का तुरंत जवाब दिया जा सकेगा. यह नई पहल भारतीय सेना को और अधिक घातक, सक्षम और आधुनिक बनाएगी.
क्या है ‘भैरव’ कमांडो फोर्स?
‘भैरव कमांडो’ को सेना ने इस तरह डिज़ाइन किया है कि वे नियमित इन्फेंट्री और पैरा स्पेशल फोर्सेस (Para SF) के बीच का गैप भरें. भारतीय सेना की कुल ताकत लगभग 11.5 लाख सैनिकों की है, जिसमें से 4.15 लाख नियमित इन्फेंट्री बटालियन में हैं. अब इन्हीं से चुने गए 250-250 सैनिकों को विशेष ट्रेनिंग और अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर ‘भैरव कमांडो’ तैयार किया जा रहा है.
कितनी बटालियन होंगी?
फिलहाल सेना का प्लान है कि 23 भैरव बटालियन बनाई जाएंगी. इनमें से पहली पांच बटालियन अक्टूबर के अंत तक तैयार हो जाएंगी.
तीन बटालियन उत्तरी कमान (Udhampur HQ) के तहत होंगी -
- 14 कॉर्प्स (लेह)
- 15 कॉर्प्स (श्रीनगर)
- 16 कॉर्प्स (नागरोता)
चौथी यूनिट पश्चिमी सेक्टर के रेगिस्तानी इलाके में होगी. पांचवीं यूनिट पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाकों में तैनात की जाएगी.
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क्यों है जरूरत?
भारतीय सेना के पास पहले से ही 10 Para-SF और 5 Para (Airborne) बटालियन हैं. हर एक बटालियन में लगभग 620 सैनिक होते हैं, जो बेहद कठिन ट्रेनिंग के बाद चुने जाते हैं. ये फोर्सेज दुश्मन की सीमा के भीतर जाकर गुप्त ऑपरेशन करने, आतंकवादियों के ठिकाने खत्म करने और स्पेशल मिशन अंजाम देने में माहिर हैं. लेकिन अक्सर Para-SF को छोटे-छोटे ऑपरेशन्स में भी इस्तेमाल करना पड़ता है. ऐसे में उनकी क्षमता बड़े और स्ट्रैटेजिक मिशनों के लिए पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हो पाती. यही गैप भरने के लिए ‘भैरव कमांडो’ बनाए जा रहे हैं.
कैसे होंगे अलग?
‘भैरव’ बटालियन नियमित इन्फेंट्री की तुलना में कहीं अधिक छोटी, लचीली और हाई-टेक होंगी. हर बटालियन में सिर्फ 250 सैनिक होंगे जिनका नेतृत्व 7-8 ऑफिसर करेंगे. यह बटालियन अत्याधुनिक हथियार, गैजेट्स और ड्रोन से लैस होगी जो ऑपरेशन को फास्ट, फ्लेक्सिबल और टारगेटेड तरीके से अंजाम देगी.
ट्रेनिंग कैसी होगी?
सैनिकों का चयन इन्फेंट्री से किया जाएगा. 2-3 महीने की विशेष ट्रेनिंग अपने-अपने रेजिमेंटल सेंटर में होगी. इसके बाद इन्हें एक महीने Para-SF यूनिट्स से अटैच किया जाएगा, ताकि एडवांस ट्रेनिंग मिल सके.
ट्रेनिंग का फोकस होगा -
- नाइट ऑपरेशन
- ड्रोन और AI-आधारित सर्विलांस
- पहाड़, रेगिस्तान और बर्फीले इलाके में जंग
- हिट-एंड-रन स्ट्रैटेजी
इंडियन आर्मी के कायाकल्प की तैयारी
भैरव कमांडो सिर्फ एक हिस्सा हैं. आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 26 जुलाई को एलान किया था कि सेना में कई नई स्पेशल फॉर्मेशन लाई जा रही हैं, जैसे..
- ‘रुद्र’ ऑल-आर्म्स ब्रिगेड्स
- ‘शक्तिबान’ आर्टिलरी रेजिमेंट्स
- ‘दिव्यास्त्र’ सर्विलांस और लूटेरिंग म्यूनिशन बैटरियां
- हर इन्फेंट्री बटालियन में डेडिकेटेड ड्रोन प्लाटून
ये बदलाव भविष्य की जंग की रणनीति को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं, जहां ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हाई-स्पीड स्पेशल ऑपरेशन्स अहम भूमिका निभाएंगे.
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तीनों सेनाओं की स्पेशल फोर्सेज
भैरव कमांडो के अलावा, भारत के पास तीनों सेनाओं में स्पेशल फोर्सेज हैं.
- थलसेना – Para SF
- वायुसेना – गरुड़ कमांडो, 27 फ्लाइट्स में लगभग 1600 जवान
- नौसेना – MARCOS, 1400 से अधिक कमांडो
हाल ही में CDS जनरल अनिल चौहान ने एक नई Tri-Service Joint Doctrine जारी की, जिसमें कहा गया कि स्पेशल फोर्सेज अपनी तेजी, गुप्त घुसपैठ और सटीक वार से दुश्मन को असमान्य रूप से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती हैं.
सामरिक महत्व
- पाकिस्तान और चीन दोनों ही सीमाओं पर लगातार तनाव बने रहते हैं.
- पाकिस्तान फ्रंट पर आतंकवादी घुसपैठ और LoC पर छोटे-छोटे हमले बड़ी चुनौती हैं.
- चीन फ्रंट पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर आक्रामक हरकतें बढ़ रही हैं.
ऐसे में सेना को ऐसे सैनिक चाहिए जो तेजी से कार्रवाई करें, छोटे ग्रुप में गहराई तक जाएं और दुश्मन को चौंकाने वाले ऑपरेशन करें.
नतीजा क्या होगा?
भैरव कमांडो के आने से Para-SF बड़ी और गंभीर रणनीतिक कार्रवाई पर फोकस कर सकेंगी. सेना को छोटे लेकिन तेज़ ऑपरेशन्स के लिए तैयार यूनिट मिल जाएगी. सीमाओं पर दुश्मन के हर छोटे-बड़े कदम का तुरंत जवाब दिया जा सकेगा. सेना की संरचना अधिक आधुनिक और भविष्य की जंग के लिए सक्षम बनेगी.
भारतीय सेना का यह कदम केवल एक संगठनात्मक बदलाव नहीं बल्कि भविष्य की लड़ाई की तैयारी है. युद्ध का स्वरूप बदल रहा है. अब पारंपरिक लड़ाइयों की बजाय छोटे-छोटे स्पेशल ऑपरेशन्स, टेक्नोलॉजी आधारित जंग और हिट-एंड-रन मिशन अहम होते जा रहे हैं. भैरव कमांडो इसी दिशा में सेना की नई छलांग है। 31 अक्टूबर तक पहली पांच बटालियन खड़ी हो जाएंगी और आने वाले वर्षों में 23 बटालियन तैयार होंगी. यह निश्चित रूप से भारतीय सेना को और घातक, लचीला और तेज़ बनाएगा.