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गोधरा कांड के 14 गवाहों की हटाई गई सुरक्षा, केंद्र सरकार ने क्यों लिया फैसला?

गोधरा कांड के 14 गवाहों की सिक्योरीटी हटा ली गई है. दरअसल ट्रेन में लगी आग के बाद काफी दंगे फैले थे. कई लोगों की जान गई थी. ऐसे में ये 14 गवाहों को सुरक्षा प्रदान करना और भी महत्व हो जाता था. SIT की रोपोर्ट के बाद ये फैसला गृह मंत्रालय द्वारा लिया गया है.

गोधरा कांड के 14 गवाहों की हटाई गई सुरक्षा, केंद्र सरकार ने क्यों लिया फैसला?
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( Image Source:  Social Media: X )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Published on: 5 March 2025 6:26 PM

गुजरात में हुए गोधरा कांड पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार के फैसले के बाद गोधरा कांड के 14 गवाहों की सुरक्षा हटा ली गई है. दरअसल ट्रेन में लगी आग के बाद काफी दंगे फैले थे. कई लोगों की जान गई थी. ऐसे में ये 14 गवाहों को सुरक्षा प्रदान करना और भी महत्व हो जाता था. सरकार ने फैसला लिया और इन 14 लोगों को 150 जवानों द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई.

SIT रिपोर्ट के बाद लिया गया ये फैसला

आपको बता दें कि साल 2023 में इस मामले पर SIT ने 10 नवंबर को एक रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट सौंपकर गवाहों की सुरक्षा हटाने की मांग की गई थी. गृह मंत्रालय ने इसी रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने ये निर्णय लिया है. जानकारी के अनुसार गवाहों की सुरक्षा दो दिन पहले हटाई गई थी. इस तरह पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत मनमोहन सरकार के फैसले को रद्द किया गया. उनकी सरकार ने ही इन गवाहों को सुरक्षा मुहैया करवाई थी.

इन लोगों की सुरक्षा हटाई गई

जिन गवाहों की सुरक्षा हटाने का फैसला लिया गया है. उनमें हबीब रसूल सय्यद, अमीनाबेन हबीब रसूल सय्यद, अकीलाबेन यासीनमिन, सैय्यद यूसुफ भाई, अब्दुलभाई मरियम अप्पा, याकूब भाई नूरान निशार, रजकभाई अख्तर हुसैन, नजीमभाई सत्तार भाई, माजिदभाई शेख यानुश महामद, हाजी मयुद्दीन, समसुद्दीन फरीदाबानू, समदुद्दीन मुस्तफा इस्माइल, मदीनाबीबी मुस्तफा, भाईलालभाई चंदूभाई राठवा का नाम शामिल हैं.

ट्रेन को जलाकर किया आग के हवाले

साल 2002 में 27 फरवरी को हुए गोधरा कांड ने सभी को हैरत में डाल दिया था. इस दर्दनाक घटना ने कई लोगों से उनके अपनों को छीना. आपको बता दें कि गुजरात की साबमती एक्सप्रेस ट्रेन को आग के हवाले किया गया था. उस दौरान ट्रेन में 59 यात्री सवार थे. अधिकतर हिंदू जो अयोध्या मंदिर से लौट रहे थे. वहीं इस हमले ने न सिर्फ अपनों को छीना उस समय की सरकार के खिलाफ भी खूब नाराजगी जाहिर की गई और कई दंगे हुए. गुजरात में हिंसा फैल गई. कई हफ्ते बीते और अशांति बनी रही. अशांति की चपेट में कई लोग आए और उनकी मौत हो गई. इस घटना ने गुजरात के सांप्रदायिक सौहार्द को गहरी चोट पहुंचाई.

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