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कैदियों को कब और क्यों मिलता है फरलो? जानिए नियम, शर्तें और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 9 अप्रैल को फरलो पर एक बार फिर जेल से रिहा कर दिया गया. वह 21 दिन तक जेल के बाहर रहेगा. ऐसे में लोगों के मन में सवाल आ रहे हैं कि आखिर फरलो क्या है, यह पैरोल से कितना अलग है और किन परिस्थतियों में कैदियों को फरलो दिया जाता है. आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...

कैदियों को कब और क्यों मिलता है फरलो? जानिए नियम, शर्तें और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
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( Image Source:  ANI )

Furlough Rules: डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को एक बार फिर फरलो मिल गई है. वह 21 दिन के लिए जेल से बाहर निकला है. रहीम को दुष्कर्म और हत्या मामले में आरोप सिद्ध होने पर अदालत ने 20 साल कैद की सजा सुनाई है. वह इस समय रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है.

राम रहीम को कड़ी सुरक्षा के बीच 9 अप्रैल की सुबह साढ़े 6 बजे जेल से रिहा किया गया. यहां से रहीम सीधा सिरसा डेरा पहुंचा. इससे पहले, वह 28 जनवरी को 30 दिन के लिए जेल से बाहर आया था.

क्या है फरलो?

फरलो (Furlough) एक विशेष अनुमति है, जिसके तहत सजायाफ्ता कैदियों को कुछ निश्चित परिस्थितियों में जेल से अस्थायी रूप से रिहा किया जाता है. इसका उद्देश्य कैदियों को समाज के साथ पुनः एकीकृत करना और उनके सुधार में सहायता करना है.

फरलो किन परिस्थितियों में दिया जाता है?

  1. अच्छा आचरण: कैदी का जेल में व्यवहार संतोषजनक होना चाहिए. यदि जेल अधीक्षक कैदी के आचरण को अनुचित मानता है, तो फरलो नहीं दिया जाता.
  2. सजा की अवधि: आमतौर पर, केवल वे कैदी जिन्होंने अपनी सजा का एक निश्चित हिस्सा पूरा कर लिया है, फरलो के पात्र होते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों में यह नियम है कि कैदी को कम से कम एक साल की सजा काटनी चाहिए.
  3. सार्वजनिक शांति: यदि जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस अधीक्षक को लगता है कि कैदी की रिहाई से समाज में शांति भंग हो सकती है, तो फरलो नहीं दिया जाएगा.
  4. स्वास्थ्य कारण: यदि कैदी गंभीर रूप से बीमार है और जेल के बाहर इलाज से उसकी सेहत में सुधार हो सकता है, तो फरलो पर विचार किया जा सकता है.

किन्हें फरलो नहीं दिया जाता?

  1. आतंकवाद और गंभीर अपराध: आतंकवाद, डकैती, फिरौती के लिए अपहरण और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों के दोषियों को फरलो नहीं दिया जाता.
  2. जेल से भागने का प्रयास: जो कैदी पहले जेल से भागने या फरलो/पैरोल की अवधि समाप्त होने के बाद वापस न लौटने के दोषी हैं, उन्हें फरलो नहीं दिया जाता.
  3. यौन अपराधी: यौन अपराधों के दोषियों को फरलो देने से पहले विशेष सावधानी बरती जाती है, और अक्सर उन्हें यह सुविधा नहीं दी जाती.

फरलो और पैरोल में क्या अंतर है?

फरलो एक पूर्व निर्धारित अधिकार है जो अच्छे आचरण वाले कैदियों को सामाजिक पुनर्वास के उद्देश्य से दिया जाता है, भले ही कोई विशेष आपात स्थिति न हो. वहीं, पैरोल एक आपातकालीन रिहाई है, जो विशेष परिस्थितियों, जैसे परिवार में मृत्यु या गंभीर बीमारी के आधार पर दी जाती है. पैरोल के लिए कैदी को कारण प्रस्तुत करना होता है.

नियम और अदालती निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि फरलो कोई मौलिक अधिकार नहीं है और यह पात्रता मानदंडों और सीमाओं के अधीन है. इसके अलावा, गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि आतंकवादियों और कड़े अपराधियों को पैरोल या फरलो नहीं दिया जाना चाहिए.

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