वंदे मातरम के हुए 150 साल, छठ पूजा से लेकर संस्कृति और पर्यावरण तक; पढ़ें पीएम मोदी की ‘मन की बात’ की बड़ी बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 127वीं ‘मन की बात’ में छठ पूजा की महिमा, संस्कृत का महत्व, वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ, भारतीय कॉफी की विविधता, मैनग्रोव संरक्षण और देशी कुत्तों की बहादुरी पर जोर दिया गया. युवाओं और नागरिकों के लिए प्रेरक संदेश साझा करते हुए पीएम ने सामाजिक एकता, संस्कृति, पर्यावरण और देशभक्ति की सीख दी. इस एपिसोड में 15 बड़े संदेश शामिल हैं जो भारत की प्राचीन परंपरा और आधुनिक दृष्टिकोण को जोड़ते हैं.
देशभर में दीपावली की रौशनी अभी फीकी भी नहीं पड़ी थी कि लोग छठ पूजा की तैयारी में जुट गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी 127वीं 'मन की बात' में इस पर विशेष ध्यान दिया. उन्होंने कहा कि छठ महापर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और संस्कृति के गहरे मूल्य का प्रतीक है. गंगा, सरयू, कावेरी या अपने स्थानीय घाटों पर हजारों लोग सामूहिक रूप से सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. इस आयोजन में हर वर्ग और उम्र के लोग शामिल होते हैं, जो भारतीय समाज की असली एकता और सहिष्णुता की मिसाल है.
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों से संवाद करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति और परंपराएँ ही हमें जोड़ती हैं और यह आवश्यक है कि हम इनका सम्मान करें. उन्होंने यह भी जोर दिया कि विज्ञान, कला और प्रकृति के प्रति हमारी संवेदनशीलता इसी तरह के त्योहारों में स्पष्ट रूप से झलकती है. छठ पूजा, दीपावली और अन्य त्योहार हमें अपने सामाजिक दायित्व और देश के प्रति प्रेम का अहसास कराते हैं.
मन की बात की बड़ी बातें
- संस्कृत का महत्व: प्रधानमंत्री ने बताया कि संस्कृत सिर्फ़ धार्मिक ग्रंथों की भाषा नहीं रही, बल्कि यह एक समय में संवाद की भाषा भी थी. सोशल मीडिया पर युवा संस्कृत में संवाद करते हुए दिख रहे हैं, जिससे इसकी आधुनिक प्रासंगिकता बढ़ रही है.
- वेदों की प्रासंगिकता: वेदों ने भारतीय सभ्यता की नींव रखी. उनमें मां पृथ्वी और मानव के संबंध की भावना प्रकट होती है. यह ज्ञान आज भी हमारे जीवन और सामाजिक दृष्टिकोण में उपयोगी है.
- वंदे मातरम का 150वां वर्ष: 7 नवंबर को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होंगे. यह गीत राष्ट्रभक्ति और मातृभूमि के प्रति कर्तव्य की भावना जगाने वाला है.
- राष्ट्रगीत का महत्व: 'वंदे मातरम' भारतीयों के लिए भावनाओं का स्रोत है. संकट के समय यह 140 करोड़ भारतीयों को एकजुटता और शक्ति प्रदान करता है.
- त्योहारों का संदेश: दीपावली के तुरंत बाद छठ महापर्व शुरू होता है. प्रधानमंत्री ने इसे संस्कृति, प्रकृति और समाज की गहरी एकता का उदाहरण बताया.
- छठ महापर्व का सामाजिक संदेश: छठ केवल पूजा का पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है. यह सभी वर्गों को जोड़ने वाला महापर्व है.
- कॉफी की खेती और विविधता: प्रधानमंत्री ने कोरापुट और अन्य राज्यों में भारतीय कॉफी की गुणवत्ता और वैश्विक पहचान का ज़िक्र किया. यह किसानों की मेहनत और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है.
- सरदार पटेल की 150वीं जयंती: सरदार पटेल की याद में 31 अक्टूबर को 'रन फॉर यूनिटी' आयोजित की गई. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और देश की एकता में अमूल्य योगदान दिया.
- भारतीय कुत्तों की बहादुरी: Mudhol Hound और अन्य देशी कुत्तों ने बीएसएफ और सीआरपीएफ में अपनी बहादुरी दिखाई है. इन कुत्तों ने विस्फोटक खोजने और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
- वृक्ष और पेड़-पौधों का महत्व: प्रधानमंत्री ने 'एक पेड़ माँ के नाम' अभियान का समर्थन किया. पेड़ जीवन की हर जरूरत को पूरा करते हैं और प्रकृति संतुलन बनाए रखते हैं.
- मैनग्रोव वनों का संरक्षण: गुजरात के ढोलेरा में मैनग्रोव वनों की वृद्धि से डॉल्फ़िन, क्रैब और प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ी है. ये तटीय पारिस्थितिकी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.
- तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा: मैनग्रोव वनों की स्थिति तटीय क्षेत्रों को सुनामी और तूफ़ान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखती है.
- बेंगलुरु में तालाब और कुओं का पुनरुद्धार: इंजीनियर कपिल शर्मा ने बेंगलुरु में 40 कुओं और 6 तालाबों का पुनरुद्धार किया, जिसमें स्थानीय लोगों और निगमों की भागीदारी रही.
- पर्यावरणीय संवेदनशीलता: प्रधानमंत्री ने कहा कि त्योहारों और सामाजिक गतिविधियों के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखना आवश्यक है.
- युवा और संस्कृति: युवाओं को संस्कृत, राष्ट्रगीत और परंपराओं में अपनी भागीदारी बढ़ाने की सलाह दी गई, ताकि सांस्कृतिक चेतना मजबूत हो.





