आदिवासी कला और खादी को नई पहचान दिलाने वाले कौन हैं आशीष सत्यव्रत साहू? मन की बात में पीएम मोदी ने की तारीफ
पीएम की सराहना पर आशीष सत्यव्रत साहू ने भावुक होकर कहा, 'यह हमारे लिए गर्व और प्रेरणा का पल है. प्रधानमंत्री द्वारा हमारे प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना, हमारे बुनकरों और कारीगरों की मेहनत और प्रतिभा का सम्मान है.

भारतीय फैशन जगत से एक प्रेरणादायक खबर आई है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम 'मन की बात' के 126वें संस्करण में 'जोहारग्राम' और इसके संस्थापक आशीष सत्यव्रत साहू का नाम लेकर उनकी सराहना की. प्रधानमंत्री ने कहा कि आशीष का काम न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि वे खादी और आदिवासी परिधानों को नई पहचान दे रहे हैं. आशीष सत्यव्रत साहू लंबे समय से खादी के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं. उनके लिए खादी सिर्फ पहनने का कपड़ा नहीं है, बल्कि यह एक विचार, एक आंदोलन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है.
उन्होंने झारखंड में 'जोहारग्राम' की स्थापना की, जो आज आदिवासी वस्त्रों और कला को न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों तक पहुंचा रहा है. इस पहल से स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को रोजगार मिल रहा है और आदिवासी पहचान को सम्मान भी मिल रहा है. इसी साल जुलाई में उन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की ओर से 'खादी मार्क' प्रदान किया गया. यह मान्यता इस बात का प्रमाण है कि उनका काम खादी को प्रामाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है.
प्रधानमंत्री की तारीफ से बढ़ा मनोबल
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा, 'जोहारग्राम, जिसकी स्थापना निफ्ट गांधीनगर के पूर्व छात्र और फैशन डिजाइनर आशीष सत्यव्रत साहू ने की है, पिछले कई सालों से झारखंड की आदिवासी बुनकरी, परंपरागत वस्त्र और शिल्प को नई पहचान देने के लिए लगातार काम कर रहा है.' उन्होंने आगे कहा कि इस प्रयास से न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंच रही है, बल्कि सैकड़ों बुनकरों और कारीगरों को आजीविका का अवसर और सम्मानजनक रोजगार भी मिल रहा है. प्रधानमंत्री के इन शब्दों ने आशीष और उनकी पूरी टीम का हौसला और बढ़ा दिया.
आशीष की प्रतिक्रिया
पीएम की सराहना पर आशीष सत्यव्रत साहू ने भावुक होकर कहा, 'यह हमारे लिए गर्व और प्रेरणा का पल है. प्रधानमंत्री द्वारा हमारे प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना, हमारे बुनकरों और कारीगरों की मेहनत और प्रतिभा का सम्मान है. जोहारग्राम हमेशा झारखंड की जड़ों से जुड़ा रहेगा और वैश्विक मंच पर हमारी परंपराओं को नई पहचान दिलाता रहेगा.'
जोहारग्राम का योगदान
अब तक जोहारग्राम ने झारखंड के कई जिलों में सक्रिय रहकर आदिवासी वस्त्रों और डिज़ाइनों को आधुनिक फैशन के साथ जोड़ा है. इसने इन परिधानों को राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों और फैशन मंचों तक पहुंचाया और 150 से अधिक बुनकरों और कारीगरों को सीधे या परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराया. हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित 'रिद्म ऑफ द रूट्स – इंडीजीनस टेक्सटाइल्स ऑफ इंडिया' नामक विशेष फैशन शो में जोहारग्राम ने खादी की प्रस्तुति की. इस शो में झारखंड के अलावा बिहार, ओडिशा, गुजरात, मणिपुर और महाराष्ट्र के हैंडलूम और स्वदेशी वस्त्रों को प्रदर्शित किया गया.
लोकल से ग्लोबल तक का सफर
'जोहारग्राम' आज सिर्फ झारखंड या भारत तक सीमित नहीं रहा. यह एक ग्लोबल फैशन ब्रांड बन चुका है. दुनिया भर के फैशन और लाइफस्टाइल ब्रांड्स को ट्रेंड्स और इनसाइट्स देने वाला मशहूर प्लेटफॉर्म वर्थ ग्लोबल स्टाइल नेटवर्क (WGSN) ने भी 'जोहारग्राम' की कहानी को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था. यह वही प्लेटफॉर्म है जिसकी रिपोर्ट्स और ट्रेंड एनालिसिस को दुनिया की बड़ी कंपनियां और नामी डिजाइनर्स फॉलो करते हैं ताकि वे अपने नए कलेक्शन और प्रोडक्ट्स की योजना बना सकें. इस मान्यता ने ‘जोहारग्राम’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत पहचान दिलाई है.