झारखंड में इंफ्लुएंसर्स के लिए तोहफा, सरकार देगी 10 लाख तक का इनाम! जानें कैसे कमा सकते हैं आप पैसे?
झारखंड सरकार ने सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे इंफ्लुएंसर्स के लिए एक बड़ा तोहफा तैयार किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर यह योजना शुरू की गई है, जिसमें उन सभी लोगों को 10 लाख रुपये तक का इनाम दिया जाएगा, जो राज्य की संस्कृति, कला और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने में योगदान देंगे.

झारखंड राज्य अक्सर खनिज संपदा और जंगलों की धरती के रूप में जाना जाता है. अब अपनी पहचान बदलने की तैयारी में है. इस बार सरकार ने एक अनोखा कदम उठाया है. सरकार ने इंफ्लुएंसर्स को 10 लाख रुपये देने का एलान किया है. सोशल मीडिया के जरिए राज्य की खूबसूरती और संस्कृति को दुनिया के सामने पेश करने का.
हेमंत सोरेन सरकार ने ‘इन्फ्लुएंसर इंगेजमेंट प्रोग्राम 2025’ लॉन्च किया है, जो न सिर्फ पर्यटन को गति देगा बल्कि कंटेंट क्रिएटर्स के लिए भी सुनहरा अवसर साबित होगा.
डिजिटल क्रिएटर्स के लिए सुनहरा मौका
पर्यटन विभाग की इस नई पहल के तहत सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को उनकी पॉपुलैरिटी और कंटेंट की क्वालिटी के आधार पर आर्थिक मानदेय दिया जाएगा. यह राशि 3 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक होगी. इसमें नैनो, माइक्रो, मैक्रो और मेगा, हर कैटेगरी के इन्फ्लुएंसर को शामिल किया गया है. यानी चाहे कोई छोटा रील मेकर हो या बड़ा यूट्यूबर, अगर उसके कंटेंट में दम है तो यह मंच उसके लिए खुला है.
झारखंड की खूबसूरती अब स्क्रीन पर
सरकार का इरादा साफ है कि झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता, झरनों, पहाड़ियों, सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक खानपान को सोशल मीडिया पर वायरल करना. इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक या एक्स, जहां भी क्रिएटर्स एक्टिव हैं, वे इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं. ट्रैवल व्लॉगर्स, फूड ब्लॉगर, कल्चर इन्फ्लुएंसर और शॉर्ट वीडियो क्रिएटर्स सभी के लिए इसमें जगह है.
सरकार और क्रिएटर्स दोनों को फायदा
इस योजना से झारखंड सरकार को तो अपने टूरिज्म को प्रमोट करने का मौका मिलेगा ही, साथ ही क्रिएटर्स को भी बड़ा फायदा होगा. उन्हें न सिर्फ पैसा मिलेगा बल्कि उनके कंटेंट को राज्य सरकार का आधिकारिक मंच भी मिलेगा. पर्यटन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह पहल क्रिएटर्स का आत्मविश्वास बढ़ाएगी और उनकी रचनात्मकता को एक नया आयाम देगी.
झारखंड को कैसे होगा फायदा?
झारखंड की यह पहल इस बात का उदाहरण है कि अब पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केवल पारंपरिक विज्ञापन या पोस्टरों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता. डिजिटल युग में क्रिएटर्स ही सबसे बड़ा पुल हैं, जो किसी जगह की कहानी को सीधे लोगों तक पहुंचाते हैं और जब यह कहानियां सोशल मीडिया पर लाखों-करोड़ों दर्शकों तक जाएंगी, तो झारखंड का नाम भी विश्व पर्यटन मानचित्र पर और चमकदार होगा.