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16 साल के लड़के के साथ लिव-इन में रह रही थी 13 साल की लड़की, अस्पताल में बच्ची को दिया जन्म; परिवार भी था सहमत

इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं. जिला बाल संरक्षण अधिकारी अल्ताफ़ खान ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हम बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ पहले से ही अभियान चला रहे हैं. लेकिन इस घटना ने दिखाया है कि हमें और ज्यादा सख्ती और जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है.

16 साल के लड़के के साथ लिव-इन में रह रही थी 13 साल की लड़की, अस्पताल में बच्ची को दिया जन्म; परिवार भी था सहमत
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 25 Sept 2025 8:05 AM IST

झारखंड के खूंटी ज़िले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक 14 साल की लड़की मां बन गई है, जबकि वह पिछले कुछ समय से 16 साल के लड़के के साथ लिव-इन में रह रही थी. हैरान करने वाली बात यह है कि इस रिश्ते और साथ रहने की अनुमति दोनों परिवारों ने दी थी. खूंटी और आस-पास के आदिवासी इलाकों में 'ढुकू' परंपरा प्रचलित है. इस परंपरा के तहत, लड़की अपने माता-पिता की सहमति से किसी लड़के के साथ बिना शादी किए रह सकती है. यही वजह रही कि इस 14 साल की लड़की को उसके परिवार ने लड़के के साथ रहने की अनुमति दी थी.

अधिकारियों ने बताया कि यह घटना खूंटी ज़िले की केओरा पंचायत के एक गांव की है. मंगलवार देर रात लड़की को अचानक प्रसव पीड़ा हुई. पहले उसे मुरहू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में भर्ती कराया गया, जहां पता चला कि वह सात महीने की प्रेग्नेंट है. उसकी नाज़ुक स्थिति देखकर डॉक्टरों ने उसे तुरंत खूंटी के सदर अस्पताल रेफर कर दिया. अस्पताल पहुंचने के कुछ समय बाद ही लड़की ने सामान्य प्रसव के ज़रिए एक बच्ची को जन्म दिया. अधिकारी ने बताया कि मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें अस्पताल में कुछ दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा.

परिवार और बच्चों की पृष्ठभूमि

जानकारी के अनुसार, लड़की एक स्थानीय स्कूल में कक्षा 9 की छात्रा थी. पढ़ाई के लिए वह मुरहू से लगभग 14 किलोमीटर दूर किराए के मकान में रहती थी. इसी दौरान उसकी मुलाक़ात पड़ोसी गांव के 16 साल के लड़के से मुरहू बाज़ार में हुई, धीरे-धीरे दोनों के बीच संबंध बने और लड़की गर्भवती हो गई. प्रेग्नेंट होने के बाद लड़की ने स्कूल जाना छोड़ दिया. लड़के के परिवार की स्थिति भी सामान्य है. वह अपनी मां के साथ रहता है, क्योंकि उसके पिता का निधन पहले ही हो चुका है.

प्रशासन पर दबाव

इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं. जिला बाल संरक्षण अधिकारी अल्ताफ़ खान ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हम बाल विवाह और बाल श्रम के खिलाफ पहले से ही अभियान चला रहे हैं. लेकिन इस घटना ने दिखाया है कि हमें और ज्यादा सख्ती और जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है, अब हम खूंटी की सभी 86 ग्राम पंचायतों में इस अभियान को और तेज़ करेंगे.' खान ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने का सबसे बेहतर तरीका है कि ग्रामीण समुदाय को अच्छी तरह शिक्षित और जागरूक किया जाए. खासकर यह बताना ज़रूरी है कि कम उम्र में गर्भधारण से शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, पढ़ाई और सामाजिक जीवन पर कितना गंभीर असर पड़ता है। उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि अगर सही समय पर बच्चों और परिवारों को जागरूक किया जाए तो आने वाली पीढ़ी ऐसी परंपराओं और खतरनाक प्रथाओं से दूर रह सकेगी.'

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