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EXCLUSIVE: तुर्की के ‘ड्रोन्स’ अच्छे हैं मगर उसके नेता और फौज, चीन - पाकिस्तान जैसे ही भारत के दुश्मन हैं...

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत की आंखें खोल दीं. रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी का कहना है कि तुर्की, चीन और अमेरिका जैसे देशों की नीयत पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता. भारत ने तुर्की की भूकंप त्रासदी में सबसे पहले मदद की थी, फिर भी तुर्की ने पाकिस्तानी ड्रोन भेजे. भारतीय फौज ने उन्हें नष्ट कर मुंहतोड़ जवाब दिया. भारत को तुर्की को भी पाकिस्तान-चीन की तरह ही समझकर सतर्क रहना चाहिए.

EXCLUSIVE: तुर्की के ‘ड्रोन्स’ अच्छे हैं मगर उसके नेता और फौज, चीन - पाकिस्तान जैसे ही भारत के दुश्मन हैं...
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 26 May 2025 11:27 AM IST

“भारत की फौज में तीन मूलमंत्र हर फौजी को सिखाये जाते हैं... RESPECT ALL, SUSPECT ALL AND INSPECT ALL यानी सबको सम्मान दो, सबको शक की नजर से देखो और सबको जांचो-परखो. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) ने भी भारतीय फौजों को इसी मूलमंत्र पर चलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है. ऑपरेशन सिंदूर ने तुर्की के मामले में तो विशेषकर, यह तीन मंत्र का फार्मूला पूरी तरह से खरा उतरा है.

तुर्की (Turkey) के ड्रोन्स काबिल हो सकते हैं और हैं. तुर्की देश और उसकी हुकूमत या फौज मगर भारत के लिए कभी भी न सही थी न सही होगी न ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान भारत की हितकारी साबित हुई. जब बात पक्ष और विपक्ष में खड़े होने की आई तो, तुर्की ने अपनी औकात कहिए या चेहरे के पीछे छिपा हुआ चेहरा सामने ला दिया. उस भारत के पक्ष में खड़ा होने की जगह, पाकिस्तान का सपोर्ट करके, जिस भारत ने तुर्की में आए भूकंप के दौरान दुनिया के तमाम देशों की भीड़ में, सबसे पहले उसकी (तुर्की) मदद की थी.”

तुर्की को खरी-खरी सुनाने वाले सुधाकर जी

तुर्की को यह तमाम दो टूक और खरी-खरी सुनाई है सुधाकर जी ने. सुधाकर जी भारतीय थलसेना (Indian Army) के रिटायर्ड मेजर जनरल (Retired Major General Sudhakar Jee) हैं और इन दिनों अमेरिका के लंबे प्रवास पर हैं. वह बीती रात नई दिल्ली में मौजूद स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम-इनवेस्टीगेशन) से अमेरिका (America) से ही विशेष बातचीत कर रहे थे. उनसे सवाल किया गया था कि ऑपेरशन सिंदूर (Operation Sindoor) में वह तुर्की देश भारत (India) के पक्ष में खड़ा न होकर, भारत के दुश्मन नंबर-1 पाकिस्तान(Pakistan) के पक्ष में क्यों खड़ा हो गया? जिस तुर्की में भूकंप से हुई तबाही में सबसे पहले मदद करने वाला देश भारत ही था!

तुर्की ही क्यों, चीन-अमेरिका को भी गिनो

सवाल के जवाब में रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी बोले, ‘सिर्फ तुर्की ही क्यों आप चीन (China), अमेरिका, बांग्लादेश (Bangladesh) और यूरोपीय देशों (European Country) को क्यों भूल जाते हैं? यह सब मक्कार हैं. इनमें कोई भी भारत का सगा नहीं है. जहां तक सवाल तुर्की का है तो उसने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को खुला सपोर्ट करके, भारत की वह तमाम गलतफहमियां दूर कर दी हैं, जो अब तक भारत सोच-समझ रहा था कि हमने तुर्की के हर दुख में साथ दिया है, इसलिए तुर्की अगर भारत के पक्ष में नहीं बोलेगा तो वह, पाकिस्तान के भी पक्ष में न बोलकर खुद को तटस्थ रखेगा. ऐसा नहीं हुआ. मेरी नजर में तो यही अवश्यंभावी भी था. हुआ एकदम इस सबके उल्टा ही है.

तुर्की से भारत को सतर्क रहने की जरूरत है

तुर्की ने न केवल खुलकर पाकिस्तान (Pakistan) का सपोर्ट किया, बल्कि भारत में तबाही मचाने के लिए तुर्की ने अपने यहां निर्मित खतरनाक ड्रोंस (Turkey Drons) की बड़ी खेप भी भेजी. यह तो भला हो भारतीय फौजों का कि जो उन्होंने, तुर्की के इन करीब 700 ड्रोन्स को हवा में ही तबाह करके, तुर्की और पाकिस्तान दोनो के मुंह पर कालिख पोत डाली. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन का झुकाव हमेशा पाकिस्तान की ओर था है और आइंदा भी रहेगा. भारत को जरूरत है कि अब ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई दिए तुर्की के भारत-विरोधी चेहरे को जेहन में रखते हुए उसे भी, अपने लिए पाकिस्तान और चीन जैसा ही माने.”

पाकिस्तान-तुर्की एक ही थैली के चट्टे-बट्टे

जो तुर्की खुद ही आर्थिक, सैन्य, सामाजिक-सामरिक, कूटनीतिक, राजनीतिक स्थिति पर डांवाडोल हैं, वह तुर्की भारत से दोस्ती क्यों नहीं रखना चाहेगा? स्टेट मिरर हिंदी के सवाल के जवाब में पूर्व मेजर जनरल सुधाकर जी बोले, “इसलिए क्योंकि तुर्की की फौज और वहां की हुकूमत भी चीन-पाकिस्तान-अमेरिकी की तरह ही मक्कार-मतलबपरस्त है. मतलब साधने के लिए तुर्की कब किधर को लुढ़क जाए? यह भारत की समझ से बाहर ही होना चाहिए. तुर्की की हालत भी आप पाकिस्तान से बदतर ही समझिए. तुर्की को जो भी हथियार, अन्न-पानी, गोला-बारूद देगा, उसके साथ भी मुसीबत में तुर्की काम आएगा इसकी कोई गारंटी नहीं. जैसे कि मक्कार पाकिस्तान?”

इसलिए तुर्की सुपर पावर नहीं बन सकेगा...

तुर्की क्यों और कैसे मक्कारी-धूर्रतता पर उतरा है? पूछने पर सुधाकर जी बोले, ‘तुर्की चाहता है कि विश्व का जो अटोमेन एंपायर की एक इमेज थी, जैसे ईरान किसी वक्त में एक परशीयन लीडर हुआ करता था विश्व के पटल पर. इसी तरह अटोमेन एंपायर भी एक सुपर पावर हुआ करता था. मैं फिर दोहराऊंगा कि आज तुर्की अपने बदतर हालातों में भी खुद को अमेरिका की तरह अपने मुंहलगे देशों का खुद को दादा या बॉस बनाने के चक्कर में है. हालांकि, उसकी यह तमन्ना पूरी नहीं हो सकेगी क्योंकि उसकी आर्थिक हालत खस्ता है. हां, फिर भी मैं इतना जरूर कहूंगा कि तुर्की की फौज के पास मौजूद सैन्य-तकनीक अव्वल दर्जे की है. उसके द्वारा निर्मित ड्रोन्स की मारक क्षमता उच्च स्तर की है. इसमें शक नहीं होना चाहिए. इनके ड्रोन्स का टारगेट इंगेजमेंट बहुत ही सफलता से हो रहा है. चाहे अर्मेनिया की लड़ाई देख लीजिए या फिर रूस और यूक्रेन की लड़ाई में तुर्की को देख लीजिए. तुर्की ने जिसकी भी मदद अपने सैन्य सामान से की, वह किसी भी नजरिए से हल्की या बेकार सिद्ध नहीं हुई है.”

विश्व जीओ पॉलिटिक्स में घुसपैठ तुर्की की तमन्ना

मेजर जनरल सुधाकर जी कहते हैं कि, भले ही अपने आप में तुर्की बहुत ज्यादा दमदार देश न हो. उससे भले ही अपनी फौज और अपना घर न संभल रहा हो. इसके बाद भी उसे विश्व की जिओ-पॉलिटिक्स में घुसपैठ का बहुत शौक है. यह बात मैंने तुर्की के मामले में कश्मीर को लेकर बहुत पहले से देखी है. तुर्की ने ऑपरेशन सिंदूर में तो भारत के खिलाफ जाकर, पाकिस्तान की मदद अब की है. कश्मीर के मुद्दे को लेकर तो तुर्की बीते 2 दशक से पाकिस्तान की मदद कर रहा है. दरअसल यह सब लड़ाई एक सिविलाइजेशन की है. चूंकि कश्मीर की लड़ाई जिओ-पॉलिटिक्स भी है दूसरे, यह धर्म (भारत पाकिस्तान के बीच) की भी लड़ाई है. ऐसे में भला तुर्की या उसके मौजूदा राष्ट्रपति धर्म की इस लड़ाई में अपनी टांग अड़ाने से क्यों चूकना चाहेंगे?”

तुर्की ने जान-बूझकर आंखें बंद कर ली हैं

उन्होंने आगे कहा, “ऑपेरशन सिंदूर में तो भारत और उसकी फौजों ने पाकिस्तान को नंगा करके चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है. मगर इस ऑपेरशन सिंदूर के दौरान मक्कार तुर्की ने तो खुद ही अपने पांव पर जिओ-पॉलिटिक्स, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, विदेश नीति-कूटनीति स्तर पर अपने पांव पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है. भारत के विरोध में पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होकर. जबकि तुर्की जानता है कि खुद भूखा प्यासा-भिखारी पाकिस्तान भला तुर्की को जरूरत के वक्त क्या दे पाएगा? इसके बाद भी मगर तुर्की और पाकिस्तान कौम के नाम पर एक हैं. जबकि भारत तुर्की और पाकिस्तान कौम के नाम पर ही एक रास्ते पर नहीं चल सकते हैं. इसलिए भारत को तुर्की से चिंतित होने की जरूरत नहीं है. उससे सतर्क रहने की जरूरत है.”

ऑपरेशन सिंदूरस्टेट मिरर स्पेशल
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