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EXCLUSIVE: सिर्फ नक्सली बसवराज नहीं, CRPF ने अपना मोस्ट वॉन्टेड 'ओसामा बिन लादेन', नक्सलियों का PM 'ठोंका' है!

“डेढ़ करोड़ का इनामी बसवराज आम-आदमी या किसी और की नजर में भले ही खूंखार नक्सली भर हो, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ (Central Reserve Police Force CRPF) के लिए तो बसवराजू अपना मोस्ट वॉन्टेड ओसामा-बिन-लादेन (Osama-Bin-Laden) था. खुद के लिए और नक्सलियों की दुनिया का वह प्राइम-मिनिस्टर था.” यह कहना है बसवराज और उसके जैसे हजारों अन्य नक्सलियों का पीछा करते हुए भटकने वाले पूर्व कोबरा कमांडो चीफ कमल कांत शर्मा यानी केके शर्मा का...

EXCLUSIVE: सिर्फ नक्सली बसवराज नहीं, CRPF ने अपना मोस्ट वॉन्टेड ओसामा बिन लादेन, नक्सलियों का PM ठोंका है!
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 26 May 2025 11:24 AM IST

“21 मई 2025 यानी बीते बुधवार को छत्तीसगढ़ में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ने जिस खूंखार नक्सली नंबाल्ला केशव राव उर्फ बसवराज उर्फ बसवराजू (70) को गोलियों से भून डाला, उसके 30 के करीब अन्य माओवादी-नक्सली मार डाले गए. इन दुर्दांतों की मौत पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) यूं ही केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए दिल-खोलकर बधाई नहीं दे रहे है, बल्कि इसके पीछे बहुत छोटी, मगर अहम वजह है. ढेर किया जा चुका डेढ़ करोड़ का इनामी बसवराज आम-आदमी या किसी और की नजर में भले ही खूंखार नक्सली भर हो, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ (Central Reserve Police Force CRPF) के लिए तो बसवराजू अपना मोस्ट वॉन्टेड ओसामा-बिन-लादेन (Osama-Bin-Laden) था. खुद के लिए और नक्सलियों की दुनिया का वह प्राइम-मिनिस्टर था.” यह कहना है किसी जमाने में छत्तीसगढ़ (खासकर अबूझमांड़ के बियाबान जंगलों में), बिहार, आंध्र-प्रदेश, झारखंड के जंगलों में इसी बसवराज और उसके जैसे हजारों अन्य नक्सलियों का पीछा करते हुए भटकने वाले पूर्व कोबरा कमांडो चीफ कमल कांत शर्मा यानी केके शर्मा का.

के के शर्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (KK Sharma Retired IG CRPF) के रिटार्यड आईजी (महानिरीक्षक) हैं. 23 मई 2025 को के के शर्मा स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इनवेस्टीगेशन) के साथ पॉडकास्ट/अनफिल्टर्ड अड्डा में विशेष बात कर रहे थे. सीआरपीएफ के यह वही पूर्व कोबरा कमांडो चीफ केके शर्मा हैं, जो ऐसे नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए साल 2003 के आसपास, 10 हजार अर्धसैनिक बल के रणबांकुरों के साथ अबूझमाड़ के जंगलों में खाक छाना करते थे. बसवराजू तो अब मारा गया है. उसकी जन्मकुंडली मगर इन केके शर्मा के पास अब से 25 साल पहले भी थी. विशेष बातचीत के दौरान वह कहते हैं, “अब बसवराजू के मारे जाने के बाद नक्सलों में उसके जूनियर हिडमा का खात्मा होना अभी बाकी है. बसवराज का जन्म आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियान्नापेटा गांव में हुआ था.”

“बसवराज ने लिट्टे के शिविरों में ली हथियार चलाने की ट्रेनिंग”

बसवराज उर्फ बसवराजू की कुंडली मुंहजुबानी रटे बैठे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक कमल कांत शर्मा ने आगे कहा कहा, “उसने वारंगल के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया था. पढ़ाई के बाद वह लिट्टे के शिविरों में हथियार चलाने की गुरिल्ला ट्रेनिंग लेने चला गया. सन् 1970 के दशक में उसने नक्सली आंदोलन से जुड़कर प्रकाश, कृष्णा, विजय, उमेश और कमलू जैसे कई छद्म नामों से नक्सलियों के बीच छलांग लगा दी. नंबाल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का महासचिव भी था. अपने वरिष्ठ माओवादी- नक्सली नेता गणपति के बाद बसवराज ने बागडोर अपने हाथ में ली थी.”

100 से ज्यादा नक्सली ढेर

यहां यह बताना जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 से पहले देश से माओवाद-नक्सलवाद का खात्मा करने का वचन लिया हुआ है. इसी अभियान के तहत 'ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट' के दौरान सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना में बीते कुछ वक्त में 100 से भी ज्यादा नक्सली निपटा दिए हैं. इतने ही नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्म समर्पण किया है.

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में हुआ बसवराजू का जन्म

जहां तक सवाल ढेर हुए 70 साल के बसवराजू का है तो उसका जन्म आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक गांव में हुआ था. सन् 1980 के दशक में तेलंगाना के वारंगल के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी) से पढ़ाई के दौरान ही उसने, रेडिकल स्टूडेंट यूनियन के बैनर तले कॉलेज छात्र संघ का चुनाव भी लड़ा था. जिसमें उसे छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना गया था. 1980 के दशक में ही वह पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्लूजी) का सदस्य भी बन गया था.

हिडमा की मौत से टूट जाएगी नक्सलवाद की कमर

अभी और कितने बसवराजू या बसवराज जिंदा बचे हैं, जिन्हें निपटाने के बाद ही नक्सलवाद खत्म माना जा सकता है? पूछने पर पूर्व आईजी सीआरपीएफ के के शर्मा ने कहा, “कम से कम 1000-1500 जिंदा बचे होंगे, लेकिन जिस तरह का धक्का या झटका बसवराज की मौत से नक्सलवाद को लगा है. यह पहली बार है. उम्मीद है कि अगर इसी तरह के अब बसवराज का शिष्य और नक्सलियों में नंबर-2 की हैसियत वाला हिडमा भी घेर लिया जाए, तब समझिए कि देश में नक्सलवाद की कमर टूट गई और गर्दन काटना बाकी रह जाएगा.”

Chhattisgarh Newsस्टेट मिरर स्पेशल
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