Exclusive: पंधेर-कोहली 'निठारी किलिंग' के गुनहगार नहीं तो CBI अपनी गर्दन बचाने को बताए नरसंहार का जिम्मेदार कौन?
निठारी सीरियल किलिंग कांड में सुप्रीम कोर्ट के हालिया रुख के बाद सवाल उठ रहे हैं कि अगर मनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली दोषी नहीं हैं, तो 16 से अधिक बच्चों के कत्ल का जिम्मेदार आखिर कौन है? पीड़ित परिवारों और वकीलों का आरोप है कि सीबीआई ने जानबूझकर कमजोर जांच की, जिससे आरोपी बरी हो रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सीबीआई की नाकामी न सिर्फ देश के लिए शर्मनाक है बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है.

देश-दुनिया को हिला डालने वाले निठारी सामूहिक नरसंहार या सीरियल किलिंग लोमहर्षक कांड में ले देकर जो दो संदिग्ध मुजरिम मनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली थे. वे भी सीबीआई की ढीली जांच के चलते एक के बाद एक मुकदमे में अपनी गर्दन साफ बचाने में कामयाब होते जा रहे हैं. मंगलवार भारत के सर्वोच्च न्यायालय के रुख से यह बात तकरीबन साफ होती दिखाई दी. ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि अगर दिल्ली से सटे यूपी के हाईटेक शहर नोएडा में हुए इस सीरियल किलिंग का इन दो में से कोई गुनहगार नहीं है, तब भी पंधेर की एक ही कोठी डी-5 में आखिर एक के बाद एक 16-18 मासूम बच्चों के कत्ल किसने किए?
यूपी पुलिस ने मामले की शुरुआती जांच में जब लीपापोती करनी शुरू की थी. तब इस सनसनीखेज सीरियल किलिंग कांड की जांच कफन-दफन करने के लिए सीबीआई के हवाले कर दी गई थी. हालांकि, पीड़ित परिवारों से यह कहा गया था कि अगर उन्हें राज्य पुलिस की जांच पर संदेह है तो जांच को सीबीआई के हवाले कर दिया जा रहा है. इससे पीड़ित पक्षों को सांत्वना मिली और ढाढस बंधा कि चलो अब सीबीआई देश की इकलौती काबिल एजेंसी, इस सीरियल किलिंग में कत्ल कर डाले गए बच्चों और उनके पीड़ितों को न्याय दिलवा देगी.
कफन-दफन करने के लिए सीबीआई के हवाले की गई थी जांच
ऐसा सोचते वक्त मगर पीड़ित परिवार यह भूल गए थे कि राज्य पुलिस से कहीं ज्यादा घाघ होती है केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई. जिसके लिए अमूमन अधिकांश मुकदमे जांच के लिए वे ही दिए जाते हैं जिन्हें राजनीतिक षडयंत्र के तहत राज्य सरकारें या फिर केंद्रीय हुकूमत दबाकर कफन-दफन करने की मैली मंशा रखती है. फिर चाहे वह भारत के पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र का सनसनीखेज हत्याकांड हो, पटना (बिहार) का 3 जुलाई 1999 को हुआ हाईप्रोफाइल शिल्पी जैन और गौतम सिंह डबल मर्डर या फिर अब नोएडा का निठारी सीरियल हत्याकांड.
सीबीआई की नाकामी देश और हुकूमत दोनों के लिए शर्मनाक
इन सभी सनसनीखेज मामलों की जांच में सीबीआई कामयाब नहीं रह सकी थी या कहिए कि सिरे से फेल हो गई. आखिर क्यों, जबकि सीबीआई तो देश की नंबर-1 काबिल पड़ताली जांच एजेंसी है. जिसकी काबिलियत के कसीदे गढ़ते-पढ़ते भारत की केंद्रीय हुकमतें थकती ही नहीं हैं. सीबीआई आखिर इस तरह क्यों तमाम हाईप्रोफाइल मामलों की पड़ताल में फेल हो जाती है? स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन द्वारा पूछने पर, सीबीआई के रिटायर्ड संयुक्त निदेशक और मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट, ऑपरेशन ब्लू स्टार, अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी सैय्यद मोदी हत्याकांड का खुलासा कर चुके शांतनु सेन कहते हैं, “ऐसे मुकदमों या आपराधों की संख्या नगण्य ही होनी चाहिए जिन्हें सीबीआई न खोल सके. वरना सीबीआई का तो काम ही हर उलझे हुए मुकदमे को खोलकर मुजरिमों को सजा करवाने की जिम्मेदारी है. अगर एक के बाद एक सीबीआई मुकदमे या आपराधिक मामलों को खोल पाने में नाकाम हो रही है. तो यह सीबीआई और देश की हुकूमत दोनों के लिए जहां शर्मनाक है. वहीं, कानून और अपराध से पीड़ितों के लिए यह चिंता का विषय है कि, जब सीबीआई ही आपराधिक मामलों को नहीं खोल सकेगी, तब राज्य पुलिस तो वैसे से ही बीते कई दशक से सनसनीखेज मामलों को निजी स्वार्थों और राजनीतिक दवाबों के चलते कफन-दफन करने के लिए बदनाम है.
आरोपी बरी हो रहे हैं और सीबीआई तमाशा देख रही
जहां तक बात निठारी सीरियल किलिंग की है तो इसमें देख सुन पढ़ रहा हूं कि एक के बाद एक मुजरिमों के ऊपर से मुकदमे हटते जा रहे हैं. अरे भाई एक दो मुकदमों में आरोपी बरी हो जाएं तो समझ आता है. इस कांड में तो सीबीआई की अधिकांश तफ्तीशें ही इस कदर की बेदम सिद्ध होती देख पढ़ और सुन रहा हूं कि जिनके चलते मुजरिम बच जा रहे हैं. मेरे हिसाब से तो निठारी कांड में एक के बाद एक कई कत्ल हुए हैं. किसी कत्ल की तफ्तीश में तो सीबीआई अंत तक मुजरिमों या किसी मुजरिम को सजा कराने जैसी पड़ताल सुप्रीम कोर्ट तक ले जाती. यह तो हैरान करने वाला तमाशा देख रहा हूं कि हर मुकदमे में आरोपी बरी होते जा रहे हैं और सीबीआई मूकदर्शक बनी खड़ी है अदालतों में.”
सीबीआई की मंशा पर अक भी सवाल
इस बारे में स्टेट मिरर हिंदी ने बात की अभियोजन पक्ष यानी निठारी कांड में कत्ल की जा चुकी बड़ी पायल, रंपा हलदर सहित कई पीड़ितों के वकील रहे मोहम्मद खालिद से. उन्होंने कहा, “सीबीआई ने हर मामले में ऐसी तफ्तीश की है कि जिसमें उसने घटना के समय कोठी के मालिक और सामूहिक हत्याकांड या सीरियल किलिंग के मुख्य मुजरिम मनिंदर सिंह पंधेर को, घटना घटित होने के वक्त घटनास्थल से दूर दिखाया है. ऐसे में तो सीबीआई की मंशा से साफ जाहिर होता है वह घटनास्थल डी-5 के कोठी मालिक मनिंदर सिंह पंधेर को हर-हाल में साफ साफ बचाने के लिए जांच पड़ताल करती रही है.”
सीबीआई भी पंधेर और कोली की तरह ही जिम्मेदार
एडवोकेट मोहम्मद खालिद खान आगे कहते हैं, “जमाने के सामने है कि सीबीआई ने किस और कितने घटिया स्तर की पड़ताल करके मुकदमों को अदालतों में दाखिल किया. जिसके चलते लाइन लगाकर कभी मनिंदर सिंह पंधेर और कभी उसका नौकर सुरेंद्र कोली एक के बाद एक मुकदमे में बरी होते जा रहे हैं. या फिर बरी होने के मुकाम पर अदालतों के कटघरों में खड़े होकर सीबीआई की घटिया तफ्तीश का फायदा मिलने की खुशी में खड़े-खड़े देखकर मुस्करा रहे हैं. अब तो मैं कहूंगा कि मनिंदर सिंह पंधेर या सुरेंद्र कोली के साथ-साथ सीबीआई भी इन्हीं दोनों की तरह से निठारी लोमहर्षक सीरियल किलिंग कांड के लिए जिम्मेदार है. मुजरिम और जांच एजेंसी सब मिल-बांटकर एक दूसरे का साथ देने की बेहया कोशिशों में जुटे हैं.”
कोर्ट सीबीआई के ऊपर अपनी ताकत का चाबुक क्यों नहीं चला रही?
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में वकील मोहम्मद खालिद खान बोले, “यहां मैं अदालतों से भी दरखास्त करुंगा कि वह सीबीआई की कमजोर पड़ताल पर मनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को छोड़ क्यों रही है? कोर्ट सीबीआई के ऊपर अपनी ताकत का चाबुक क्यों नहीं चला रही है? कोर्ट क्यों सीबीआई से नहीं पूछती है कि अगर पंधेर और कोली दोनो में से कोई भी मुजरिम नहीं है तब फिर, नोएडा के निठारी सीरियर किलिंग कांड का मास्टरमाइंड यानी मुख्य मुजरिम आखिर है कौन? जब, अदालतें सीबीआई से यह भी पूछेंगीं तब सीबीआई देखिए कैसे एकदम अपनी गर्दन बचाने के लिए इन्हीं पंधेर और सुरेंद्र कोली को मुजरिम साबित करके इन्हें सजा दिलाने के सबूत लाकर अदालत में रख देगी. सवाल फिर वही कि कानून का चाबुक तो चले सीबीआई के ऊपर. सीबीआई को पता है कि वह जैसी ढीली-ढाली पड़ताल सप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, जिला अदालतों के सामने रख देगी, जज साहब सीबीआई की उसी तफ्तीश को सही मानकर, संदिग्धों को बरी करते जाएंगे. और इस सबमें सीबीआई का कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकेगा. जिस दिन देश का सर्वोच्च न्यायालय सीबीआई से कहेगा कि पंधेर और कोली अगर निठारी सीरियल किलिंग के जिम्मेदार नहीं है तब फिर सीबीआई 16-18 हत्याओं के किसी तीसरे जिम्मेदार को लाकर कानून के कटघरे में पेश करे. बस, यहीं सीबीआई को पसीना आ जाएगा और आज सीबीआई जिस उल्टी चाल से चल रही है, सीबीआई की वह चाल कोर्ट के कानूनी चाबुक से खुद ब खुद सीधी हो जाएगी.”