क्या है e-साइन? EC ने मतदाताओं के लिए इसे क्यों कर दिया मैंडेटरी, कहीं राहुल गांधी के हमलों का असर तो नहीं!
चुनाव आयोग ने अब e-sign को मतदाता पंजीकरण और उसमें किसी भी तरह के संशोधन के लिए अनिवार्य कर दिया है. अब मतदाताओं को आधार व ओटीपी के जरिए डिजिटल हस्ताक्षर होंगे. जानें, क्या है e-साइन, चुनाव आयोग ने क्यों लिया ऐसा फैसला और क्या इसके पीछे राहुल गांधी के हमलों का दबाव छिपा है?

चुनाव आयोग (EC) ने अब मतदाताओं के लिए e-साइन को अनिवार्य (Mandatory) कर दिया है. यानी अब मतदाता पंजीकरण और उससे जुड़े दस्तावेजों पर इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Digital Signature) से ही जरूरी प्रक्रिया पूरी कर पाएंगे. चुनाव आयोग का यह कदम चुनावी पारदर्शिता और धोखाधड़ी रोकने की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह निर्णय राहुल गांधी के हालिया हमलों और चुनावी प्रक्रियाओं पर उठाए गए सवालों का असर है?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने यह कदम विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा 2023 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले कर्नाटक के अलंद निर्वाचन क्षेत्र में ऑनलाइन मतदाता नाम हटाने के फॉर्म के दुरुपयोग का आरोप लगाने के एक हफ़्ते से भी कम समय बाद उठाया है. इससे पहले, आवेदक अपने फ़ोन नंबर को मौजूदा मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर से जोड़कर चुनाव आयोग के ऐप और पोर्टल पर फॉर्म जमा कर सकते थे, बिना यह सत्यापित किए कि जानकारी सही में उनके हैं या नहीं.
ई-साइन सुविधा जो सोमवार तक उपलब्ध नहीं थी, मंगलवार को चुनाव आयोग के ईसीआईनेट पोर्टल पर फॉर्म जमा करते समय देखी जा रही है. ईसीआईनेट पोर्टल पर फॉर्म 6 (नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए), या फॉर्म 7 (मौजूदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने/हटाने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए), या फॉर्म 8 (प्रविष्टियों में सुधार के लिए) भरने वाले आवेदकों को अब ई-साइन की आवश्यकता पूरी करनी होगी. ऐसा किए बगैर मतदाता इनमें से कोई काम नहीं कर पाएंगे.
दरअसल, चुनाव आयोग का पोर्टल आवेदक को यह सुनिश्चित करने के लिए चेतावनी देता है कि वे जिस वोटर कार्ड का उपयोग कर रहे हैं, उस पर उनका नाम उनके आधार कार्ड पर दिए गए नाम के समान ही हो और वे जिस मोबाइल नंबर का उपयोग कर रहे हैं, वह भी आधार से जुड़ा हो.
ई-साइन के तहत नाम हटाने या आपत्तियों के लिए आवेदन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले फॉर्म 7 में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिसमें उस व्यक्ति का पूरा विवरण साझा करना आवश्यक होता है, जिसका नाम हटाया जाना है या जिस पर आपत्ति की जानी है. आवेदक द्वारा फॉर्म भरने के बाद, उन्हें सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (CDAC) द्वारा होस्ट किए गए एक बाहरी ई-साइन पोर्टल पर ले जाया जाता है, जो केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन संचालित है. CDAC पोर्टल पर, आवेदक को अपना आधार नंबर दर्ज करना होता है और फिर एक 'आधार ओटीपी' जनरेट करना होता है, जहां ओटीपी उस आधार नंबर से जुड़े फोन नंबर पर भेजा जाता है.
वेरिफिकेशन से पहले बदलाव मुश्किल
इसके बाद आवेदक को आधार-आधारित प्रमाणीकरण के लिए सहमति देनी होती है और सत्यापन पूरा करना होता है. यह प्रक्रिया पूरा होने के बाद ही आवेदक को फॉर्म जमा करने के लिए ECINet पोर्टल पर पुनः निर्देशित किया जाता है. सूत्रों का कहना है कि ई-साइन सुविधा शुरू होने के साथ, अलंद में जो हुआ, उसकी संभावना कहीं और होने की बहुत कम हो गई है.
राहुल ने लगाए थे नाम हटाने के आरोप
18 सितंबर को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'किसी ने ऑनलाइन आवेदनों के माध्यम से अलंद के मतदान केंद्रों से लगभग 6,000 मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश की थी और ज्यादातर मामलों में आवेदन पत्र जमा करने के लिए वास्तविक मतदाताओं की पहचान का दुरुपयोग किया गया था. जांच के दौरान फॉर्म जमा करने व ओटीपी प्राप्त करने के लिए उपलब्ध फोन नंबर भी उन मतदाताओं के नहीं पाए गए, जिनके नाम पर फॉर्म भरे गए थे. इस बात को ध्यान में रखते हुए अब चुनाव आयोग ने ECINet पोर्टल पर ई-साइन मैंडेटरी कर दिया है.