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अमेरिका-भारत रिश्तों की राजनीति में क्यों कमजोर पड़ा ट्रंप-मोदी का 'ब्रोमांस'? जानें 5 वजह

India-US Relation: कभी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती को "ब्रोमांस" कहा जाता था. ट्रंप के कार्यकाल में दोनों नेताओं की सार्वजनिक मुलाकातें और रैलियां भी चर्चा में रहीं, लेकिन वक्त के साथ यह रिश्ता कमजोर पड़ गया. टैरिफ वार ने तो इसे और गहरा दिया.आखिर क्यों टूटा ट्रंप-मोदी का यह करिश्माई जुड़ाव? आइए जानते हैं 5 बड़ी वजहें, जिन्होंने दोनों देशों के रिश्तों की दिशा बदल दी.

अमेरिका-भारत रिश्तों की राजनीति में क्यों कमजोर पड़ा ट्रंप-मोदी का ब्रोमांस?  जानें 5 वजह
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( Image Source:  ANI )

Trump Modi Friendship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच 'ब्रोमांस' (सीमा से पडे जाकर दोस्ती और भावनात्मक रिश्ता) की दुनिया भर के मीडिया वाले मिसाल दिया करते थे, लेकिन अब वही दोस्ती कई कारणों से दुश्मनी की हद तक लगभग पहुंच गई है. इसके संकेत ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत में ही मिलने लगे थे. अमेरिकी राष्ट्रपति के दूसरे कार्यकाल में इसे फिर से जगाने की कोशिशों के बावजूद यह कमजोर होती रही.

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक के पहले कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस में सेवा दे चुके अधिकारियों ने आपसी मतभेदों का पता 22 जुलाई, 2019 को ही लग गया था. जब अमेरिकी राष्ट्रपति, जो उपमहाद्वीप से जुड़े मुद्दों के मामले में नौसिखिए थे, ने व्हाइट हाउस की अपनी यात्रा के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से कहा था कि अगर दोनों देश सहमत हों तो वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि मोदी ने उनसे इसमें भूमिका निभाने के लिए कहा था. उनकी इस टिप्पणी ने नई दिल्ली को चौंका दिया, जिसने कहा कि मोदी की ओर से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया गया था, जो भारत के लंबे समय से चले आ रहे इस रुख के अनुरूप है कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को बर्दाश्त नहीं करता.

1. पीएम मोदी के संकेत को नहीं समझ पाए ट्रंप

व्हाइट हाउस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार ट्रंप की यह गलती उस समय हुई जब क्षेत्र के जानकार वरिष्ठ अधिकारियों ने 45 मिनट की ब्रीफिंग में इसकी पेचीदगियों को समझाया - जिसके लिए जाहिर तौर पर उनके पास बैंडविड्थ नहीं थी. उनकी मध्यस्थता की पेशकश मोदी के साथ एक निजी फोन पर हुई बातचीत की गलतफहमी पर भी आधारित हो सकती है, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख को नरम करने का सुझाव दिया हो. सूत्रों ने कहा कि किसी भी स्थिति में, ट्रंप इस बात से हैरान थे कि कोई उनकी मध्यस्थता की पेशकश को क्यों अस्वीकार करेगा. हालांकि, कोविड लॉकडाउन से कुछ ही दिन पहले नमस्ते ट्रंप रैली के लिए भारत की एक शानदार यात्रा ने उस गड़बड़ी को ढक दिया.

2. ट्रंप ने कर दी मोदी से मुलाकात की घोषणा

दूसरी गड़बड़ी सितंबर 2024 में हुई जब मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा और राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका का दौरा कर रहे थे. भारतीय वार्ताकारों ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव प्रचार कर रहे ट्रंप से मुलाकात की व्यवस्था करने के लिए संपर्क किया. साथ ही उनकी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस से भी संपर्क किया. ट्रंप भारतीय प्रधानमंत्री से मिलने के लिए तुरंत तैयार हो गए और मिशिगन में एक चुनावी कार्यक्रम में यह घोषणा भी कर दी कि वह मोदी से मिलेंगे, लेकिन हैरिस के अभियान ने इससे इनकार कर दिया.

भारतीय पक्ष ट्रंप से मुलाकात से पीछे हट गया क्योंकि वह केवल एक उम्मीदवार से मिलना नहीं चाहता था. यह बात ट्रंप को रास नहीं आई, क्योंकि उन्होंने पहले ही मोदी से मुलाकात की घोषणा कर दी थी. फिर भी, दोनों प्रमुख नेताओं के बीच मतभेद तब दूर होते दिखाई दिए जब मोदी, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बाद व्हाइट हाउस में उनसे मिलने वाले पहले विदेशी नेताओं में से एक बने.

3. टेस्ला और एप्पल के प्रस्ताव पर ऐतराज

अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस साल 13 फरवरी, 2025 को एक कार्यकारी दौरे के लिए उनकी मेजबानी की, लेकिन तब तक ट्रंप टैरिफ के मुद्दे पर न केवल भारत को इसका बादशाह कहना शुरू कर दिया था बल्कि पूरी दुनिया पर भी भड़क चुके थे. हालांकि दोनों पक्षों के अधिकारियों ने 21वीं सदी के लिए सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के अवसरों को लेकर एक समझौता प्रस्ताव तैयार किया, लेकिन उस पर सहमति दोनों के बीच सहमति नहीं बनी.

इसके अलावा, जब ट्रंप ने मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (Make America Great Again)की बात की, तो मोदी ने जवाब दिया कि यह उनके अपने MIGA, यानी विकसित भारत, के साथ सह-अस्तित्व में रह सकता है. फिर ओवल ऑफिस मीटिंग से पहले ब्लेयर हाउस में एलन मस्क द्वारा मोदी से मुलाकात की छोटी सी बात भी हुई. तब तक ट्रम्प भारत में टेस्ला और एप्पल की योजनाओं से नाराज होने लगे थे.

4. भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा

चौथा विवाद चार दिनों तक चले भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर है, जिसके बारे में ट्रंप का दृढ़ विश्वास है कि उन्होंने इसे समाप्त करवाया. हालांकि नई दिल्ली का कहना है कि संघर्ष के दौरान ट्रंप और मोदी के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति के मन में यह विचार था कि उन्होंने वेंस से फोन करवाया (संभवतः मोदी से संपर्क न कर पाने के बाद). मोदी ने खुद कहा है कि वेंस से संपर्क होने से पहले ही उनकी कई कॉल छूट गई.

5. बेमतलब का कमेंट और चेतावनी

अमेरिका और भारत के बीच मतभेद उस समय और ज्यादा गहराने लगे जब उन्होंने पाकिस्तानी नेतृत्व से बात की और उन्हें चेतावनी दी कि अगर उन्होंने लड़ाई नहीं रोकी तो वे व्यापार समझौता नहीं कर पाएंगे. भारत का कहना है कि उसने केवल युद्धविराम के पाकिस्तानी प्रस्तावों का जवाब दिया, जिस पर नई दिल्ली सहमत हो गया. एक ऐसे युद्ध को बुझाने में अपनी भूमिका से इनकार करना, जिसके बारे में उनका मानना है कि वह परमाणु युद्ध में बदल सकता था, ट्रंप को स्पष्ट रूप से नाराज कर रहा है, जो नोबेल शांति पुरस्कार की अपनी खोज में काफी पारदर्शी रहे हैं.

विवाद गहराने से पहले आखिरी पड़ाव यह रहा कि जब मोदी ने कनाडा में जी-7 से लौटते समय व्हाइट हाउस में रुकने के ट्रंप के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया, उसी दिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के वास्तविक सैन्य शासक असीम मुनीर को आमंत्रित कर दिया.

'ब्रोमांस' का मतलब क्या है?

"ब्रोमांस" का मतलब हिंदी में दो पुरुषों के बीच एक बेहद घनिष्ठ और गैर-यौन दोस्ती होता है, जिसमें प्यार और भावनात्मक जुड़ाव सामान्य दोस्ती से कहीं ज्यादा गहरा होता है. यह शब्द अनौपचारिक है और अक्सर मजाक में इस्तेमाल किया जाता है. खासकर जब पुरुष एक दूसरे के प्रति स्नेह और अंतरंगता दिखाते हैं.

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