UNESCO में चमकी भारत की दीपावली! रोशनी का त्योहार बना दुनिया की सांस्कृतिक धरोहर
भारत की त्योहारों की परंपरा सिर्फ रंग- रोशनी का उत्सव नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था, एकता और मानवीय मूल्यों का जीवंत रूप है. इसी सांस्कृतिक समृद्धि का वैश्विक सम्मान तब और बढ़ गया जब दीपावली को UNESCO की Intangible Cultural Heritage सूची में शामिल किया गया.
दुनिया भर में जब भी रौशनी, उम्मीद और अच्छाई की जीत की बात होती है, तो भारत का दीपावली त्यौहार अपनी अलग चमक बिखेरता है. अब उसी रोशनी को वैश्विक मंच पर एक ऐतिहासिक पहचान मिली है. यूनेस्को ने दीपावली को Intangible Cultural Heritage of Humanity की लिस्ट में शामिल कर लिया है.
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यह सम्मान केवल एक त्योहार की जीत नहीं, बल्कि भारत की हज़ारों साल पुरानी सांस्कृतिक परंपराओं का वैश्विक उत्सव है. योग और दुर्गा पूजा के बाद दीपावली अब उन भारतीय विरासतों में शामिल हो गई है, जिन्हें पूरी दुनिया सम्मानित करना चाहती है.
दीपावली को मिला वैश्विक सम्मान
संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीपावली को UNESCO की सूची में शामिल किए जाने को भारत के लिए ऐतिहासिक पल बताया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की संस्कृति को दुनिया भर में पहले से कहीं ज्यादा पहचान मिल रही है. इसी बैठक में जॉर्जिया की 'Georgian wheat culture: traditions and rituals' को भी लिस्ट में जगह मिली. इससे यह साबित होता है कि UNESCO दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों को सुरक्षित रखने और देशों को आपस में जोड़ने के लिए लगातार काम कर रहा है.
भारत में पहली बार आयोजित यूनेस्को का बड़ा सम्मेलन
यह उपलब्धि उस समय मिली है, जब नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में यूनेस्को की 20वीं इंटरगवर्नमेंटल कमिटी की बैठक 8 से 13 दिसंबर तक हो रही है. पहली बार भारत इस महत्वपूर्ण बैठक की मेजबानी कर रहा है. यहां दुनिया के 79 देशों से आए प्रतिनिधि अपनी-अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल कराने के लिए प्रस्तुति दे रहे हैं. इस साल कुल 67 सांस्कृतिक परंपराएं रजिस्ट्रेशन में थीं, जिनमें भारत की दीपावली भी शामिल थी.
भारत की रौशनी अब विश्व की धरोहर
यूनेस्को का यह ऐतिहासिक निर्णय केवल दीपावली की नहीं, बल्कि एक ऐसी भारतीय संस्कृति की जीत है जो प्रकाश, प्रेम और सकारात्मकता पर आधारित है. यह सम्मान इस बात का प्रतीक है कि भारतीय परंपराएं सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की धरोहर हैं.





