DGP साहब का बन गया अप्रैल फूल, BSF के डीआईजी बनाए जाने के आदेश को समझ लिया मजाक
गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ के डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव को बीएसएफ में डीआईजी के रूप में नियुक्त किया, जिससे प्रशासनिक हलचल मच गई. यह नियुक्ति इतनी अप्रत्याशित थी कि कई अधिकारियों ने इसे अप्रैल फूल की शरारत समझा. यह फैसला केंद्र सरकार की बढ़ती पकड़ को दर्शाता है, जिससे आईपीएस कैडर में नई बहस छिड़ गई है. सवाल उठ रहा है कि यह पदावनति है या रणनीतिक बदलाव?

गृह मंत्रालय ने एक अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुरेंद्र सिंह यादव को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के रूप में नियुक्त किया है. इस आदेश के जारी होने के बाद नौकरशाही और पुलिस विभाग में हलचल मच गई. कई अधिकारियों ने इसे एक असामान्य फैसला माना, तो कुछ ने इसे अप्रैल फूल की शरारत समझकर नजरअंदाज कर दिया.
गृह मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, यादव को तुरंत अपने नए पद का कार्यभार संभालना था. लेकिन यह फैसला इतना असामान्य था कि अधिकांश आईपीएस अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. सूत्रों के अनुसार, यादव का नाम केंद्र में वरिष्ठ पदों के लिए सूचीबद्ध नहीं था, जिससे उनके डीआईजी पद पर प्रतिनियुक्ति को लेकर सवाल खड़े हो गए.
नए नियमों के तहत नियुक्ति
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि यह नियुक्ति हाल ही में बनाए गए नए नियमों के तहत की गई है, जिसके अनुसार किसी राज्य में डीआईजी स्तर पर कार्यरत अधिकारी को केंद्र में भी डीआईजी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है. हालांकि, इस फैसले को कई वरिष्ठ अधिकारियों के लिए एक संकेत माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अब नियुक्ति और पदोन्नति में अधिक नियंत्रण रखना चाहती है.
केंद्र की नीति का संकेत
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह नियुक्ति उन अधिकारियों के लिए एक संदेश भी है, जो राज्यों में अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) या महानिरीक्षक (IG) के रूप में कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें अभी तक केंद्र स्तर पर पैनल में शामिल नहीं किया गया है. इससे संकेत मिलता है कि भविष्य में केंद्र सरकार राज्य स्तर के अधिकारियों को केंद्रीय एजेंसियों में अपनी आवश्यकता के अनुसार तैनात कर सकती है.
कौन बने चंडीगढ़ के नए DGP?
चंडीगढ़ के पुलिस बल में नेतृत्व की निरंतरता बनाए रखने के लिए, गृह मंत्रालय ने राज कुमार सिंह को अगले आदेश तक डीजीपी चंडीगढ़ का कार्यभार संभालने के लिए नियुक्त किया है. इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र ने इस बदलाव की पूरी तैयारी पहले ही कर ली थी.
डिमोशन या प्रमोशन?
एक डीजीपी को डीआईजी स्तर पर भेजा जाना न केवल एक वरिष्ठ अधिकारी के लिए असामान्य है, बल्कि यह केंद्र सरकार की नियुक्तियों पर बढ़ते प्रभुत्व को भी दर्शाता है. डीजीपी के रूप में पूरी फोर्स की अगुवाई करने के बाद, यादव के लिए डीआईजी के रूप में कार्य करना कठिन हो सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह फैसला महज प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है, या इसके पीछे कोई और रणनीति छिपी हुई है?