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ये रास्ते हैं चुनौतियों के, जानिए कैसी रहेगी महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार की डगर?

देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बने हैं. उन्होंने 5 दिसंबर को पद और गोपनीयता की शपथ ली. हालांकि, पांच साल के कार्यकाल के दौरान उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

ये रास्ते हैं चुनौतियों के, जानिए कैसी रहेगी महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार की डगर?
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( Image Source:  ANI )

Devendra Fadnavis: देवेंद्र फडणवीस ने 5 दिसंबर 2024 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ शिवसेना के एकनाथ शिंदे और एनसीपी के अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ थी. सीएम बनने के बाद फडणवीस ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कैबिनेट में बड़े बदलाव नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र से से पहले पोर्टफोलियो का बंटवारा हो जाएगा.

फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई बदले की राजनीति नहीं होगी. वे महाराष्ट्र के लोगों को एक स्थिर सरकार देंगे. उन्होंने लाडकी बहिण योजना को भी जारी रखने का आश्वासन दिया. फडणवीस ने कहा कि अब एक टेस्ट मैच शुरू हुआ है. आइए, जानते हैं कि महाराष्ट्र के तीसरी बार सीएम बने फडणवीस के सामने क्या-क्या चुनौतियां होंगी...

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1- बीएमसी चुनाव

देवेंद्र फडणवीस के सामने सबसे बड़ी चुनौती बृहन्मुंबई नगर पालिका (BMC) चुनाव है. यह चुनाव विधानसभा चुनाव जितना ही महत्वपूर्ण है. फडणवीस के सामने बीजेपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है. तीन दशक से इस पर अविभाजित शिवसेना का कब्जा है. फडणवीस को खुद को साबित करने के लिए हर हाल में यह चुनाव जीतना होगा. शिंदे को सीएम पद से हटाने को शिवसेना (यूबीटी) एक मौके के रूप में देख रही है.

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2- एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ पावर शेयरिंग

जिस तरह से एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनने से पहले नाराज बताए जा रहे थे, उससे यह बड़ा सवाल बन गया है कि क्या फडणवीस पांच साल तक सफलतापूर्वक सरकार चला सकते हैं. उनके सामने शिंदे और अजित पवार के साथ पावर शेयरिंग सबसे बड़ी चुनौती होगी. उन्हें सरकार में शामिल दलों के साथ तालमेल बनाना होगा. शिंदे और अजित ने अपनी-अपनी पार्टी को तोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन बनाया है, जो यह दर्शाता है कि वे कुर्सी के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

3- लाडकी बहिण योजना की राशि को बढ़ाने जैसे वादों को पूरा

सीएम फडणवीस के सामने चुनाव के दौरान महायुति की ओर से किए गए वादों को पूरा करने की चुनौती है. इनमें लाडकी बहिण योजना की राशि 1500 रुपये से बढ़ाकर 2100 रुपये प्रतिमाह करने के साथ-साथ किसान सम्मान निधि की राशि 12 हजार से बढ़ाकार 15 हजार करना शामिल है. इसके अलावा, किसानों का ऋण माफ करना और वृद्धावस्था पेंशन आदि में बढ़ोतरी करने के वादे को भी पूरा करना है. महाराष्ट्र पर इस समय कुल कर्ज 7.82 लाख करोड़ पहुंच गया है. ऐसे में सरकार के सामने राजस्व बढ़ाने के साथ इन वादों को पूरा करने की चुनौती है.

4- मराठा आरक्षण

महाराष्ट्र की राजनीति मराठों के इर्द गिर्द घूमती है. मराठों की संख्या ज्यादा है. कई सीटों पर उनका प्रभाव देखने को मिलता है. शिंदे को सीएम पद से हटाने के बाद विपक्ष मराठों को महायुति के खिलाफ भड़काने की कोशिश करेगी. मराठा आरक्षण आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल को सबसे बड़ी दिक्कत फडणवीस से ही ही है. ऐसे में यह हो सकता है कि मनोज फिर से बड़ा आंदोलन करें. उद्धव ठाकरे भी शिवसैनिकों को अपने पाले में करने की कोशिश करेंगे.

5- गुजरात जा रहे प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र में लाना

फडणवीस के सामने सबसे बड़ी चुनौती महाराष्ट्र से गुजरात जा रहे प्रोजेक्ट को रोकना है. विपक्ष ने सवाल उठाया था कि महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट गुजरात क्यों जा रहे हैं. हालांकि, फडणवीस ने इसके लिए विपक्ष की सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. दरअसल, वेदांता ने अपनी चिप फैक्ट्री प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र की जगह गुजरात में लगाने का फैसला किया था. यह प्रोजेक्ट कुल 1.53 करोड़ रुपये का था. टाटा एयरबस सी-295 परिवहन विमान परियोजना भी गुजरात चली गई थी.

शिंदे के सामने क्या है चुनौती?

शिंदे के सामने शिवसेना के नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की चुनौती होगी. कुछ कार्यकर्ता उनके दोबारा सीएम न बनने से नाराज हैं, क्योंकि उनका मानना था कि यह चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया था. इसलिए सीएम उन्हें ही बनना चाहिए था. अब शिंदे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में कैसे जोश भरते हैं, यह देखने वाली बात होगी.

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