देवेंद्र फडणवीस का कैसे बढ़ा राष्ट्रीय कद? संघ और केंद्र को साथ में लेकर चलने की है कला
देवेंद्र फडणवीस के ताकतवर और सफल नेता होने की वजह उनकी कामकाज की शैली है. पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह यानी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का उन पर भरोसा है. फडणवीस के नेतृत्व की क्षमता और मेहनत को सराहा जा रहा है. उनके पास सत्ता के साथ साथ संगठन चलाने का भी अनुभव है. वह संघ और बीजेपी को एकसाथ लेकर चले जिसकी वजह से उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फायदा मिला.

देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ले ली है. माना जाता है कि फडणवीस संघ और बीजेपी दोनों दोनों के पसंदीदा नेता हैं. उन्होंने बार बार खुद को साबित किया है और अपना लोहा मनवाया है. उनके कामकाज और बेहतर रिजल्ट की वजह से उनका कद बढ़ता जा रहा है.
देवेंद्र फडणवीस के ताकतवर और सफल नेता होने की वजह उनकी कामकाज की शैली है. पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह यानी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का उन पर भरोसा है. फडणवीस के नेतृत्व की क्षमता और मेहनत को सराहा जा रहा है. उनके पास सत्ता के साथ साथ संगठन चलाने का भी अनुभव है. वह संघ और बीजेपी को एकसाथ लेकर चले जिसकी वजह से उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फायदा मिला.
कैसे हुई कद बढ़ने की शुरुआत?
2014 में लोकसभा चुनाव होना था. जब पीएम मोदी ने महाराष्ट्र में आखिरी प्रचार रैली की थी तो कई नेता उन्हें एयरपोर्ट छोड़ने आए थे. पीएम मोदी ने लोगों से पूछा कि महाराष्ट्र में कितनी सीटें मिलेंगी तो नेताओं ने 15-20 सीटों का आंकड़ा दिया था. जब फडणवीस से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम 40 सीटें जीत सकते हैं. जब नतीजे आए तो आंकड़ा 41 का था. बीजेपी को 23 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 18 पर जीत मिली थी.
दिल्ली से आया था सीएम बनाने का संदेश
कुछ महीने बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव आया. लोकसभा में बीजेपी ने ज्यादा सीटें जीती थीं और इसी आधार पर वह विधानसभा में ज्यादा सीटों पर दावेदारी कर रही थी. लेकिन शिवसेना अभी भी चाहती थी कि वह सीनियर बना रहे बड़ा पद मिले. इस लंबी बहस के बाद बीजेपी और शिवसेना के रास्ते अलग हो गए. दोनों ने अलग अलग चुनाव लड़ा. नतीजा ये रहा कि बीजेपी को 122 सीटों पर जीत मिली. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने को लेकर पीएम मोदी ने फडणवीस से सलाह ली थे और नतीजा पक्ष में आया. इन दोनों वाकयों में बीजेपी की जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का देवेंद्र फडणवीस पर भरोसा बढ़ गया. 2014 में जब विधानसभा का रिजल्ट आया तो अंत में देवेंद्र फडणवीस के नाम पर ही मुहर लगी. ये संदेश दिल्ली से ही आया था.
2019 में घटा था कद
फिर आया 2019 का विधानसभा चुनाव जिसमें बीजेपी को 105 सीटें मिली. इस समय बीजेपी की 17 सीटें कम हुई और उनके 5 मंत्री भी चुनाव हार गए. फडणवीस ने हार का ठीकरा बागियों पर फोड़ दिया था. 100 से ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी वह सीएम नहीं बन पाए. उद्धव ठाकरे ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली और उद्धव महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हो गए. इस समय उनका राजनीतिक कद काफी घट गया था. इसकी वजह सरकार का नहीं बना पाना था. क्योंकि शिवसेना 50-50 का फॉर्मूला अपनाना चाहती थी और बीजेपी इसपर राजी नहीं थी.
जोड़तोड़ की राजनीति
2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़ा और बीजेपी के साथ सरकार बनाई. उस समय देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मैं सरकार में नहीं रहूंगा लेकिन पीछे हमेशा खड़ा रहूंगा. इसके बाद रात में दिल्ली से एक फोन आया और अगले दिन वह डिप्टी सीएम के शपथ के लिए मान गए. कुछ समय बाद अजित पवार ने भी पार्टी तोड़ दी और महायुति में शामिल हो गए. उन्हें भी डिप्टी सीएम बनाया गया. महाराष्ट्र में महायुति के मजबूत गठबंधन के बाद फडणवीस की चर्चा ज्यादा होने लगी.
दिल्ली जाने के लग रहे थे कयास
देश में तीन बड़े नेताओं की चर्चा हमेशा होती रही है. पहले योगी आदित्यनाथ, दूसरे शिवराज सिंह चौहान और तीसरे देवेंद्र फडणवीस. इन तीनों नेताओं को बीजेपी की अगली पीढ़ी के रूप में देखा जा रहा था. संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात के बाद चर्चा थी कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम फडणवीस दिल्ली भी शिफ्ट हो सकते हैं. फडणवीस को सत्ता के साथ-साथ संगठन चलाने का भी अनुभव है. उनके लिए बीजेपी कुछ बड़ा सोच सकती है.
विधानसभा चुनाव से पहले की थी 3 मीटिंग
लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस सियासी तौर फिर से एक्टिव हो गए थे. वह एक महीने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों के साथ 3 मीटिंग की थी. फडणवीस और संघ की आखिरी बैठक 10 अगस्त को नागपुर में हुई थी. वह अपनी फील्डिंग करने के लिए संघ का साथ मांग रहे थे. इसका नतीजा यह हुआ कि महाराष्ट्र में रिजल्ट बढ़िया मिला.