जिहादी और आतंकवादी हमलों में कमी, हथियारों की लूट ने बढ़ाई चिंता; NCRB की रिपोर्ट में क्या-क्या पता चला?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 रिपोर्ट में चरमपंथ, आतंकवाद और विद्रोही हिंसा में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. जिहादी आतंकी घटनाएँ 87% घटीं, नक्सल हिंसा 44% कम हुई और पूर्वोत्तर में विद्रोह 61% घटा. हालांकि, मणिपुर में जातीय संघर्ष और चरमपंथियों द्वारा हथियारों की बढ़ती लूट ने गंभीर सुरक्षा चिंताएँ खड़ी कर दी हैं. रिपोर्ट बताती है कि नागरिक मौतें कम हुईं, लेकिन सुरक्षाबलों की शहादत में 50% की बढ़ोतरी हुई है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट ने देश में उग्रवाद और आतंकी गतिविधियों पर नई रोशनी डाली है. आंकड़े दिखाते हैं कि बीते साल चरमपंथी, विद्रोही और आतंकी हिंसा के मामलों में 63% तक की गिरावट आई है. 2022 में जहां ऐसे मामलों की संख्या 446 थी, वहीं 2023 में यह घटकर मात्र 163 रह गई. यह गिरावट न केवल सुरक्षा बलों की रणनीति की सफलता दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि स्थानीय स्तर पर लोगों का भरोसा धीरे-धीरे लौट रहा है.
जिहादी आतंकवादी घटनाओं में कमी सबसे ज्यादा रही. 2022 में 126 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जबकि 2023 में यह घटकर केवल 15 रह गईं. यह 87% से ज्यादा की गिरावट है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह सफलता खुफिया तंत्र की मजबूती और आतंकियों की फंडिंग पर शिकंजा कसने का नतीजा है. हालांकि, रिपोर्ट चेतावनी भी देती है कि जिहादी नेटवर्क अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और सतर्कता बनाए रखना बेहद जरूरी है.
वामपंथी उग्रवाद पर कड़ी मार
नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सुधार दिखा है. 2022 की तुलना में 2023 में वामपंथी चरमपंथ से जुड़ी हिंसा 44% तक कम हुई. सरकार की "विकास और सुरक्षा" की डबल स्ट्रैटेजी, जिसमें सड़कें, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया गया, इसका बड़ा कारण मानी जा रही है. लेकिन चिंता की बात यह रही कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों की संख्या 417 से घटकर 318 हो गई. यानी 23% की कमी. यह संकेत है कि या तो चरमपंथी अब हथियार डालने से हिचक रहे हैं या फिर संगठन भीतर से मजबूत होते हुए और ज्यादा समय तक टिके रहने की कोशिश कर रहा है.
पूर्वोत्तर: मणिपुर ने बढ़ाई चिंता
हालांकि, पूर्वोत्तर की तस्वीर जटिल है. एक ओर विद्रोह से जुड़ी घटनाओं में 61% कमी आई, लेकिन मणिपुर में हालात सबसे खराब रहे. मई 2023 से मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष ने राज्य को हिंसा की आग में झोंक दिया. NCRB रिपोर्ट बताती है कि अकेले मणिपुर में 14,427 हिंसक अपराध दर्ज हुए, जबकि 2022 में यह संख्या मात्र 631 थी. यह रिकॉर्ड वृद्धि बताती है कि जातीय और सामुदायिक तनाव देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है.
जम्मू-कश्मीर: धीरे-धीरे कम हो रही अशांति
कश्मीर घाटी से रिपोर्ट अपेक्षाकृत सकारात्मक है. 2021 से 2023 के बीच कुल आपराधिक मामलों में 2,080 की गिरावट आई है. आईपीसी और एसएलएल (विशेष एवं स्थानीय कानून) के तहत दर्ज मामलों की संख्या 2021 में 31,675 थी, जो 2023 में घटकर 29,595 हो गई. यह ट्रेंड बताता है कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों, सुरक्षाबलों की लगातार सख्ती और सामान्य नागरिकों की सहयोगी भूमिका से घाटी में धीरे-धीरे हालात स्थिर हो रहे हैं.
हथियार लूट सबसे गंभीर खतरा
जहां हिंसा घटी है, वहीं हथियारों की लूट के मामले चिंताजनक रूप से बढ़े हैं. 2023 में उग्रवादियों ने 706 हथियार और लगभग 20,000 कारतूस सुरक्षाबलों से छीन लिए. जबकि 2022 में यह आंकड़ा केवल 36 हथियार और 99 कारतूस था. यह सीधा इशारा करता है कि चरमपंथी संगठन संख्या में भले घट रहे हों, लेकिन उनकी रणनीति और ताकत को लेकर नए खतरे उभर रहे हैं.
हताहतों का नया पैटर्न
कुल मिलाकर 2022 की तुलना में मौतों में कमी आई है. 2022 में कुल 118 मौतें हुई थीं, जबकि 2023 में यह घटकर 103 रह गईं. लेकिन इसमें एक खतरनाक पैटर्न दिखाई देता है. आम नागरिकों की मौतें घटी हैं, लेकिन पुलिस और सेना के जवानों की शहादत 50% तक बढ़ गई. यानी अब चरमपंथी संगठन सीधे सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं. यह बदलाव भविष्य की रणनीतियों के लिए बड़ी चुनौती है.
राहत और चेतावनी का मेल
NCRB की 2023 रिपोर्ट एक मिश्रित तस्वीर पेश करती है. एक ओर हिंसा और आतंकवादी घटनाओं में ऐतिहासिक गिरावट हुई है, दूसरी ओर मणिपुर जैसी घटनाएँ और हथियार लूट की बढ़ती घटनाएँ चिंता बढ़ा रही हैं. यह साफ है कि सरकार और सुरक्षाबलों ने सही दिशा में कदम बढ़ाए हैं, लेकिन "पूर्ण शांति" हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है.