जाति जनगणना कराएगी केंद्र सरकार, कैबिनेट मीटिंग में बड़ा फैसला; अश्विनी वैष्णव ने क्यों दिलाई मनमोहन सिंह की याद?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को प्रेस वार्ता में घोषणा की कि सरकार ने आगामी जनगणना में जाति सर्वेक्षण को शामिल करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा, "कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने आज निर्णय लिया है कि आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किया जाएगा." यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब देश में जाति आधारित जनगणना की मांग तेज़ हो रही है, विशेषकर सामाजिक न्याय और कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के संदर्भ में...

Modi Sarkar on Caste Census: केंद्र सरकार ने बुधवार (30 अप्रैल) को बड़ा फैसला लिया. सरकार अब मुख्य जनगणना के साथ जाति जनगणना भी कराएगी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट मीटिंग के फैसलों के बारे में बताते हुए यह जानकारी दी.
वैष्णव ने बताया कि केंद्र सरकार ने मुख्य जनगणना में जाति सर्वेक्षण को शामिल करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए.
कांग्रेस पर बोला हमला
वैष्णव ने जाति जनगणना का 'विरोध' करने के लिए कांग्रेस पर निशाना भी साधा. उन्होंने दावा किया कि डॉ. मनमोहन सिंह ने 2010 में कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है. 2010 में डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए. इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया. अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है.
कुछ राज्य सरकारों ने गैर-पारदर्शी तरीके से किए जाति सर्वेक्षण
वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने गैर-पारदर्शी तरीके से राजनीतिक दृष्टिकोण से जाति सर्वेक्षण किए हैं. मंत्री की यह टिप्पणी कांग्रेस शासित तेलंगाना और कर्नाटक में किए गए सर्वेक्षणों के संदर्भ में थी.
उन्होंने कहा कि यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके इंडिया गठबंधन के सहयोगियों ने जाति जनगणना का इस्तेमाल केवल एक राजनीतिक उपकरण के रूप में किया है. कुछ राज्यों ने जातियों की गणना करने के लिए सर्वेक्षण किए हैं, जबकि कुछ राज्यों ने यह अच्छा किया है. वहीं कुछ अन्य ने केवल गैर-पारदर्शी तरीके से राजनीतिक दृष्टिकोण से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं. ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में संदेह पैदा किया है.
यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हो, सर्वेक्षणों के बजाय जाति गणना को जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए