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अरुंधति रॉय समेत कई साहित्यकारों की 25 किताबें बैन, कलम के नाम पर 'जहर' फैलाने का आरोप, जानें जम्मू कश्मीर सरकार का दावा

सीएम उमर अब्दुल्ला की सरकार ने प्रदेश में साहित्य के नाम पर जहर फैलाने वाली 25 किताबों को लेकर बड़ा फैसला लिया. इस फैसले के तहत प्रदेश सरकार ने अरुंधति रॉय और खालिदा नूरानी सहित कई लेखकों की 25 किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन किताबों पर आतंकवाद और अलगाववाद को महिमामंडित करने और देश की एकता-अखंडता को नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

अरुंधति रॉय समेत कई साहित्यकारों की 25 किताबें बैन, कलम के नाम पर जहर फैलाने का आरोप, जानें जम्मू कश्मीर सरकार का दावा
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( Image Source:  ANI )

जम्मू कश्मीर सरकार ने 'कलम के नाम पर जहर' फैलाने में शामिल अरुंधति रॉय समेत कई लेखकों की 25 किताबों को किया बैन कर दिया है. ये किताबें आतंकवाद को महिमामंडित करती हैं और अलगाववाद को हवा देती हैं. अब सवाल ये है कि 'अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में देशद्रोह कितनी जायज है? किताबों के लेखकों पर आरोप है कि उल्होंने लेखन के जरिए आतंकवाद और अलगाववाद को महिमामंडित करने, देश की एकता-अखंडता को खतरे में डालने, संप्रभुता को चुनौती देने के लिए युवाओं को प्रेरित करने जैसा काम किया है.

सीएम उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार ने मौलाना मौदादी, अरुंधति रॉय, एजी नूरानी, विक्टोरिया स्कोफील्ड और डेविड देवदास जैसे प्रसिद्ध लेखकों की किताबों सहित 25 किताबों के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इन किताबों को "तथ्य से परे बातों को बढ़ावा देने और आतंकवाद का महिमामंडन करने" के आरोप में जब्त किया गया है. यह आदेश सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी किया गया है.

किन-किन पुस्तकों पर लगे बैन?

जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकों में इस्लामी विद्वान और जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदादी की 'अल जिहादुल फिल इस्लाम', ऑस्ट्रेलियाई लेखक क्रिस्टोफर स्नेडेन की 'इंडिपेंडेंट कश्मीर', डेविड देवदास की 'इन सर्च ऑफ अ फ्यूचर (द स्टोरी ऑफ़ कासिमिर)', विक्टोरिया स्कोफील्ड की 'कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट (इंडिया, पाकिस्तान एंड द अनएंडिंग वॉर)', एजी नूरानी की 'द कश्मीर डिस्प्यूट (1947-2012)' और अरुंधति रॉय की 'आजादी' सहित 25 पुस्तक शामिल हैं.

जम्मू-कश्मीर सरकार का दावा

उमर अब्दुल्ला सरकार ने दावा किया है कि कुछ साहित्य जम्मू-कश्मीर में किताबों के जरिए आतंकवाद और अलगाववाद का प्रचार करते हैं." आदेश में कहा गया है कि यह साहित्य शिकायत, नागरिकों के पीड़ित होने और आतंकवादी वीरता की संस्कृति को बढ़ावा देकर युवाओं की मानसिकता पर गहरा प्रभाव डालने वाला है. साथ ही, यह भारत के खिलाफ "युवाओं को गुमराह करने, आतंकवाद का महिमामंडन करने और हिंसा भड़काने" में अहम भूमिका निभाता है.

सरकारी आदेश में ये भी कहा गया है कि जांच और विश्वसनीय खुफिया जानकारी पर आधारित उपलब्ध साक्ष्य स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि हिंसा और आतंकवाद में युवाओं की भागीदारी के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक झूठे आख्यानों और अलगाववादी साहित्य का व्यवस्थित प्रचार प्रसार करना रहा है, जो अक्सर ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणियों के रूप में प्रच्छन्न कर आंतरिक रूप से प्रसारित होता है.

प्रदेश सरकार की ओर से जारी आदेश में ये भी कहा गया है, "इस साहित्य ने जम्मू-कश्मीर में युवाओं के कट्टरपंथीकरण में जिन तरीकों से योगदान दिया है, उनमें ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ना, आतंकवादियों का महिमामंडन, सुरक्षा बलों का अपमान, धार्मिक कट्टरपंथ, अलगाववाद को बढ़ावा देना, हिंसा और आतंकवाद का मार्ग प्रशस्त करना आदि शामिल हैं."

इन धाराओं के तहत कार्रवाई के आदेश

इन पुस्तकों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 98 के अनुसार इन्हें 'जब्त' करने का आदेश दिया गया है. इन पुस्तकों और उनके लेखकों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 152, 196 और 197 के प्रावधान लागू होते हैं. भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 98 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, जम्मू और कश्मीर सरकार एतद्द्वारा 25 पुस्तकों और उनकी प्रतियों या अन्य दस्तावेजों के प्रकाशन को सरकार के अधीन जब्त करने की घोषणा की है.

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