जब तक जिंदा हूं कुकर्मों में मुल्ला-मौलवियों का साथ नहीं दूंगी, हलाला तीन-तलाक, कम उम्र में विवाह पर बोलती रहूंगी: नाजिया इलाही खान
नाजिया इलाही खान ने फिर से हलाला, तीन तलाक और कम उम्र में विवाह जैसी कुरीतियों पर खुलकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वह किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ हैं जो धर्म की आड़ में गलत काम करते हैं. नाजिया का कहना है कि वह जब तक जीवित हैं, तब तक इन बुराइयों के खिलाफ बोलती रहेंगी, चाहे कोई भी नाराज़ क्यों न हो. वह धर्म की गलत व्याख्या और शोषण के विरोध में अपनी आवाज़ बुलंद करती रहेंगी.

सोशल मीडिया की ‘वायरल-गर्ल’ के नाम से चर्चित नाजिया इलाही खान (Nazia Elahi Khan) बीते लंबे अरसे से दो-टूक खरा-खरा बोलकर आग उगलती रही हैं. यह वह आग है जो उन्हीं के मूल धर्म यानी इस्लाम धर्म के कुछ ठेकेदारों को सबसे ज्यादा झुलसाती है. नाजिया इलाही जब-जब कोई बयान देती हैं तब-तब समझिए इस्लाम के कथित ठेकेदारों के सीनों पर ‘जलजला’ सा कहर बरपने लगता है. अब नाजिया इलाही खान ने कहा है कि वो इस्लाम हो या फिर हिंदू अथवा कोई और धर्म. मैं किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हूं. मैं अगर साथ हूं तो फिर इंसान और इंसानियत के.
नाजिया कहती हैं, ''जब-जब मैं इस्लाम से जुड़े कुछ धर्मभीरू धर्मगुरुओं में मौजूद उनकी कमियों को लेकर बेबाकी से कुछ भी बयान करती हूं. तब-तब वे (कुछ मुस्लिम धर्मगुरू) मुझे इस्लाम विरोधी और सनातन की चेली-चमची कहना-बकना शुरू कर देते हैं. हालांकि मेरे ऊपर इस सबका कोई फर्क नहीं पड़ता है. क्योंकि मैं वही करती-कहती हूं जो सही हो. वही सही बात कहती हूं जो इस्लाम और सनातन में सही कही गई है. अब सोचिए कि भला किसी भी उस धर्मांध को यह बात कैसे अच्छी लगेगी, जो उन्हें घेरती हो. बस इसीलिए जब-जब इस्लाम का झंडा यूं ही हवा में ऊल-जुलूल बातें करके बुलंद करना शुरू किया. मैंने उन्हें घेर लिया. मेरा बोलना सबसे ज्यादा आखिर इस्लाम के नाम पर अपनी दुकान चलाने वाले धर्म के कुछ ठेकेदारों को ही बुरा क्यों लगता है?''
''मतलब, मैं जो बोल रही हूं वह सच है. और चूंकि सच हमेशा कड़वा होता है. सच हमेशा धर्म की आड़ में या धर्म के नाम पर अपनी दुकान चलाने वालों की राह का रोड़ा होता है. इससे उनकी धर्म की आड़ में चल रही बेजा दुकान पर दुकानदारी कमजोर होती है. तो ऐसे में अगर नाजिया इलाही खान किसी बेतुके धर्मांध को नागवार गुजरती है. या फिर ऐसा कोई इंसान नाजिया इलाही खान को अपना और अपने धर्म का दुश्मन बना या मान लेता है. तो इसमें नाजिया इलाही खान क्या करेंगीं? इस तरह की सोच रखने वालों को लेकर मैं कतई चिंतित नहीं रहती हूं.''
'मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं'
यह तमाम बेबाक और खरी-खरी बातें नाजिया इलाही खान ने स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन से एक्सक्सूलिव बातचीत के दौरान बयान कीं. उन्होंने कहा, “दरअसल चूंकि मैं किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हूं. मैं खिलाफ हूं उनके जो धर्म की आड़ में धर्म की ऊंची-नीची गलत-सलत व्याख्या करके अपने स्वार्थ की रोटियां सेंकते हैं. वह भी अपने ही धर्म के लोगों को बेवकूफ बनाकर. फिर चाहे ऐसे लोग सनातन धर्म में हो या फिर इस्लाम में. मैं ऐसी किसी भी शख्शियत के साथ कतई नहीं खड़ी हूं, जो सिर्फ और सिर्फ धर्म को अपने लिए इस्तेमाल भर करता हो. जो लोग मुझे इस्लाम धर्म की कट्टर दुश्मन कहते या मानते हैं. मैं उन्हें क्यों नहीं पचती हूं यह भी आज खुलकर बताती हूं.”
इसमें नाजिया इलाही खान का क्या दोष?
दरअसल मुस्लिम कौम में (इस्लाम के अनुयायी) हलाला हो या फिर बेहद कम उम्र में ही बच्चियों की शादी का मसला. मैंने हर ऐसी कुरीति का खुलकर विरोध किया है. आज भी विरोध करती हूं. और आइंदा भी विरोध करती रहूंगी. अब आप खुद ही सोचिए कि नाजिया इलाही खान जैसी कोई बेबाक बोलने वाली लड़की या औरत इस्लाम धर्म के नाम पर अपनी-अपनी स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले कुछ मुल्ला-मौलवियों को कैसे पचेगी? मैं तो इस्लाम की कभी खिलाफत करती ही नहीं हूं. मैं हमेशा इस्लाम की आड़ में गलत कारगुजारियों को अंजाम देने वालों के प्रति मुखर रहती हूं. ऐसे में अगर अब वे लोग (मुस्लिम धर्म के कुछ कथित मुल्ला-मौलवी जो धर्म की आड़ में अपनी दुकान चलाते है) मुझे अपना, मुसलमानों का या फिर इस्लाम का दुश्मन मान लें. तो इसमें नाजिया इलाही खान का क्या दोष?
सनातन में खोट दिखेगी तो उसपर भी बोलूंगी
''आने वाले कल में अगर मुझे सनातन धर्म में कोई खोट नजर आएगी, तो मैं तो उस बिंदु पर भी खुलकर बोलूंगी. मैं कह रही हूं न कि मैं इस्लाम, मुसलमान, हिंदू या सनातन धर्म के खिलाफ नहीं हूं. मैं इन सबमें मौजूद कुरीतियों के खिलाफ हूं. अगर ऐसी नाजिया इलाही खान के भीतर भी मुस्लिम धर्म की आड़ में अपनी मतलबपरस्ती की दुकान चला रहे किस मुल्ला-मौलवी साहब को, नाजिया इलाही खान में ‘कांटे’ घुसे दिखाई पड़ रहे हों. तब इसका इलाज नाजिया इलाही खान क्यों करेंगी? मैं तो हमेशा हलाला और कम उम्र में या माहवारी शुरू होते ही किसी भी बच्ची का ‘निकाह’ कर देने के खिलाफ हमेशा बोली हूं आइंदा भी बोलूंगी.''
जब तक नाजिया इलाही खान की सांस में सांस है...
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में नाजिया इलाही खान ने कहा, “दरअसल अगर मैं मुल्ला-मौलवियों के फतवों से डरने लगूं. उनके कुकर्मों में शामिल होकर उनकी गुलामी कुबूल कर लूं.. तो सारा झंझट ही खतम हो जाए. तब मैं उनकी नजर में दुश्मन न रहूं. मतलब जैसा वे उल्टा-पुल्टा कर रहे हैं मैं उनके कुकर्मों में आज शामिल हो जाऊं तो मैं इस्लाम की खैर-ख्वाह कहलाऊंगी वरना दुश्मन. ऐसा कहां होता है कि गलत का साथ देकर, खुद को आप सही बनाए रखें. आज मैं कम उम्र की बच्चियों की शादी अधेड़ों के साथ करने, तीन तलाक का विरोध या फिर हलाला को सही बोलने लगूं, तो कई मेरे विरोध में हमेशा अखाड़ा खोदे बैठे रहने वाले कई मुल्ला-मौलवी मेरे साथ हो जाएंगे.''
''मुझे उनका साथ इसलिए नहीं चाहिए क्योंकि वे इस्लाम का भी मजाक उड़ा रहे हैं. जब वे खुद ही अपने धर्म के सगे नहीं है तब फिर अपनी कुकर्मों में नाजिया इलाही खान को क्यों शामिल करने पर आमादा हैं? इसलिए ताकि उनकी पोल-पट्टी जो मैं खोल देती हूं वह न खुल सके. नहीं ऐसा अब तो कभी नहीं होगा. जब तक नाजिया इलाही खान की सांस में सांस है, तब तक नाजिया किसी भी धर्म में मौजूद बुराई पर बेबाकी से बोलेगी. नतीजा चाहे फिर जो भी रहे. मैं कर्म में विश्वास करती हूं फल में नहीं. यही महाभारत के रणक्षेत्र में अर्जुन को भी भगवान श्रीकृष्ण ने समझाया है कि, अर्जुन निडर होकर सिर्फ अपना कर्म करें, फल की इच्छा को छोड़ दें. क्योंकि कर्म करना इंसान के वश में है. फल तो परमात्मा ही देता है.”