भारत इतना दुर्भाग्यशाली नहीं, जो एक युद्ध अपराधी से... नेतन्याहू ने टैरिफ पर सलाह देने की पेशकश की तो भड़क गए ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कड़ी आलोचना की, जब नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर सलाह देने की पेशकश की. ओवैसी ने नेतन्याहू को 'युद्ध अपराधी' करार दिया और उन पर गाजा में हजारों फिलिस्तीनियों के नरसंहार का आरोप लगाया. उन्होंने मोदी से अनुरोध किया कि वे इस संघर्ष में निष्क्रिय न रहकर सही पक्ष पर खड़े हों.
हैदराबाद के सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर कड़ी टिप्पणी की. यह प्रतिक्रिया तब आई, जब नेतन्याहू ने भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत आयात शुल्क के मामले में ट्रंप से निपटने के लिए सलाह देने की पेशकश की.
ओवैसी ने X पर लिखा, “भारत इतना दुर्भाग्यशाली नहीं है कि उसके प्रधानमंत्री को ऐसे युद्ध अपराधी और नरसंहार के आरोपी से सलाह लेनी पड़े, जिस पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) का वारंट जारी है.” उन्होंने नेतन्याहू पर गाजा में 65,000 फिलिस्तीनियों के नरसंहार का आरोप लगाया, जिनमें 20,000 बच्चे भी शामिल हैं.
'गाजा में 12 लाख लोग बेघर हो चुके हैं'
AIMIM प्रमुख ने कहा कि गाजा में 12 लाख लोग बेघर हो चुके हैं और 2,000 से अधिक संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी मारे गए हैं, जबकि इजरायल के खिलाफ दो अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले भी आ चुके हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी इतिहास के सही पक्ष में खड़े होंगे और निष्क्रिय नहीं रहेंगे. ओवैसी लंबे समय से अक्टूबर 2023 में हमास के हमलों के बाद इजरायल की गाजा में सैन्य कार्रवाई के आलोचक रहे हैं.
इस बीच नेतन्याहू ने मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप उनके 'बेहतरीन दोस्त' हैं और वे मोदी को ट्रंप से निपटने के लिए निजी तौर पर सलाह देना चाहते हैं. उन्होंने भारत आने की इच्छा भी जताई.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्रंप के साथ व्यापारिक तनाव और टैरिफ विवाद को सुलझाने के लिए निजी तौर पर सलाह देने की पेशकश की. इस कदम ने राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर चर्चा छेड़ दी. भारत ने परंपरागत रूप से रूस और अमेरिका समेत कई देशों के साथ अपनी कूटनीति में संतुलन बनाए रखा है, लेकिन गाजा संघर्ष के चलते भारत के भीतर इस मुद्दे पर विभिन्न मतभेद भी उभर रहे हैं. ओवैसी का बयान इस राजनीतिक और सामाजिक बहस का हिस्सा है, जो भारत में इजरायल की नीतियों के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण को दर्शाता है.
नेतन्याहू का मोदी और ट्रंप के साथ गहरा व्यक्तिगत और कूटनीतिक संबंध रहा है, और उनकी भारत यात्रा की योजना भी इसी कड़ी में आती है. इस संदर्भ में दोनों नेताओं के बीच यह गतिरोध और संवाद भारत के विदेश नीति और क्षेत्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है.





