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बच्ची के सिर में घुसी लोहे की रॉड, गोद लिए बच्चे की मौत... NDLS भगदड़ की ये कहानी सुनकर रो देंगे आप

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात हुए भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए. मरने वालों में बिहार के भी कई लोग हैं. इस हादसे में किसी ने अपनी बेटी खो दी तो किसी के घर का चिराग ही बुझ गया. आइए, हम आपको भगदड़ की ऐसी दर्दनाक कहानी सुनाते हैं, जिन्हें पढ़कर आपकी आंखें नम हो जाएंगी...

बच्ची के सिर में घुसी लोहे की रॉड, गोद लिए बच्चे की मौत... NDLS भगदड़ की ये कहानी सुनकर रो देंगे आप
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New Delhi Railway Station Stampede: 15 फरवरी... यह वह तारीख है, जिसे कई परिवार कभी नहीं भूलेंगे. इस दिन किसी की बेटी, किसी की बहन, किसी का भाई तो किसी का पिता, हमेशा-हमेशा के लिए उनका साथ छोड़ दिया. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ में 18 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि कई लोग घायल हो गए.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के भयानक मंजर को याद अब भी कई परिवार सिहर उठते हैं. दिल्ली के रहने वाले ओपिल सिंह ने इस हादसे में अपनी 7 साल की मासूम बेटी को खो दिया. उनसे जब भगदड़ के बारे में पूछा गया तो उनकी आंखें नम हो गईं और गला रुंध गया.

बच्ची के सिर में घुसा लोहे का रॉड

ओपिल सिंह ने बताया कि जब प्लेटफॉर्म पर भगदड़ मची तो उन्होंने प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को छोड़कर अपनी छोटी बेटी रिया के साथ वापस घर लौटने लगे. इसी दौरान सामने से सैकड़ों लोग आ गए, जिससे बच्ची का हाथ उनके हाथ से छूट गया. बच्ची सीढ़ी के साथ वाले खाली हिस्से में घुस गई. इसी दौरान लोहे की एक रॉड उसके सिर में घुस गई, जिससे उसकी मौत हो गई.

पिता ने बताया कि बच्ची के सिर में रॉड घुसने पर वे मदद के लिए चीखते-चिल्लाते रहे, इधर-उधर भागते रहे, लेकिन कहीं मदद नहीं मिली. बाद में वे खुद किसी तरह से बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई. बेटी की मौत से पूरा परिवार सदमे में है. सिंह के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां थीं, जिनमें छोटी बेटी की मौत हो जाने से अब सिर्फ बड़ी बेटी ही बची हैं.

गोद लिए हुए बच्चे की हुई मौत

महाकुंभ में हुए भगदड़ में मरने वालों की लिस्ट में अधिकांश लोग बिहार के हैं. इनमें वैशाली जिले के पातेपुर डभैच का रहने वाला 12 साल का नीरज भी शामिल है. नीरज अपने चाचा-चाची के साथ बिहार आने के लिए रेलवे स्टेशन पर पहुंचा था. इसी दौरान भगदड़ में दम घुटने से उसकी मौत हो गई. उसे चाचा-चाची ने गोद लिया हुआ था. दोनों उसे अपने साथ लेकर दिल्ली आए थे. उन्होंने यहां उसका दाखिला एक स्कूल में कराया था.

नीरज पढ़ाई में अच्छा था. उसे आए हुए अभी महज 3 महीने ही हुए थे कि हादसे में उसकी जान चली गई. नीरज की मौत होने से चाचा-चाची को गहरा झटका लगा है. परिवार में मातम छा गया है. नीरज के पिता संजीत पासवान ने कहा कि रेलवे की लापरवाही ने उनके बेटे को उनसे छीन लिया. हादसे में चाचा-चाची भी घायल हुए हैं.

11 साल की सुरुचि की मौत

बिहार के ही मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली 11 साल की सुरुचि की भी हादसे में मौत हो गई. वह दिल्ली में अपने नाना-नानी के साथ महाकुंभ जाने के लिए निकली हुई थी, लेकिन नियति ने उसे हमेशा-हमेशा के लिए अपने परिवार से दूर कर दिया. सुरुचि बरियारपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बहादुरपुर गांव की रहने वाली थी. उसकी मौत की खबर सुनने के बाद परिवार में मातम पसर गया है.

सुरुचि छठवीं कक्षा में पढ़ती थी. वह बीते कई साल से अपने माता-पिता के साथ दिल्ली में रहती थी. उनका ननिहाल समस्तीपुर जिले के कोठिया हैं. नाना-नानी एक दिन पहले ही दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन तीनों की भगदड़ में मौत हो गई.

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