अगर वंदे मातरम् न तोड़ा जाता तो देश का बंटवारा नहीं होता... राज्यसभा में कांग्रेस पर जमकर बरसे अमित शाह- भाषण की 10 बड़ी बातें
राज्यसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई विशेष चर्चा की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह ने की. उन्होंने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि वंदे मातरम् आज़ादी के संघर्ष से लेकर 2047 के महान भारत के निर्माण तक प्रेरणा का मंत्र है. शाह ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस द्वारा वंदे मातरम् को खंडित करना तुष्टिकरण की राजनीति की शुरुआत था और अगर इसे न तोड़ा गया होता तो देश का बंटवारा भी नहीं होता.
Amit Shah on Vande Mataram 150 years debate in Rajya Sabha: राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने के अवसर पर मंगलवार को राज्यसभा में एक विशेष चर्चा का आगाज़ हुआ, जिसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की. उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ को न सिर्फ देख रहे हैं बल्कि इस चर्चा का हिस्सा भी बन रहे हैं. शाह ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा कि सोमवार को लोकसभा में कुछ सदस्यों ने सवाल उठाया था कि वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि जिसे यह समझ नहीं आ रहा कि वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों ज़रूरी है, उसे अपनी समझ को नए सिरे से समझने की ज़रूरत है.
अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम् जब लिखा गया था तब इसकी जरूरत थी, आजादी के आंदोलन के दौरान और भी अधिक जरूरत थी, और 2047 में जब ‘महान भारत’ की रचना होगी तब भी जरूरत रहेगी. उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर वंदे मातरम का खंड खंड नहीं किया जाता तो देश का बंटवारा नहीं होता.
स्टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्सक्राइब करने के लिए क्लिक करें
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए भाषण के 10 बड़ी बातें
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की रचना वंदे मातरम् पहली बार सार्वजनिक हुई. शुरू में इसे एक साहित्यिक कृति माना गया, लेकिन जल्द ही यह आज़ादी, त्याग और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया. उन्होंने आगे कहा, “वंदे मातरम् गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का नारा था, आजादी का उद्घोष था, और शहीदों के अंतिम बलिदान का मंत्र था.”
- अमित शाह ने महर्षि अरविंद का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने वंदे मातरम् को 'भारत के पुनर्जन्म का मंत्र' बताया था. शाह ने ऐतिहासिक तथ्य रखते हुए बताया कि जब अंग्रेजों ने वंदे मातरम् पर प्रतिबंध लगाए, तब बंकिमचंद्र ने कहा था कि मेरा साहित्य चाहे गंगा में बहा दो, लेकिन वंदे मातरम् का मंत्र अमर रहेगा. यह मंत्र वंदे मातरम्, अनंत काल तक जीवित रहेगा, यह एक महान गान होगा और लोगों के हृदय को जीत लेगा और भारत के पुनर्निर्माण का यह मंत्र बनेगा.
- शाह ने कहा कि आज बंकिम बाबू के ये शब्द सच हुए हैं. देर से ही सही, ये पूरा राष्ट्र आज सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की परिकल्पना को स्वीकार कर आगे बढ़ रहा है. हम सब जो भारत माता की संतानें हैं, मानते हैं कि ये देश कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है, इसको हम मां के रूप में देखते हैं और भक्तिगान भी करते हैं और ये भक्तिगान वंदे मातरम् है.
गृह मंत्री ने कहा कि सब जानते हैं कि हमारा देश अनोखा है. दुनिया में कई देश कानूनों से बने, कई युद्धों से, और कई युद्धों के बाद हुई संधियों से. लेकिन भारत अकेला ऐसा देश है जिसकी सीमाएं संस्कृति से बनीं, और इसी संस्कृति ने हमारे देश को एक रखा है. इसलिए बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ही सबसे पहले विदेशी राज के समय में कल्चरल नेशनलिज़्म का विचार जगाया था.
- शाह ने कहा, मैं कल देख रहा था कि कांग्रेस के कई सदस्य, वंदे मातरम् की चर्चा को, राजनीतिक हथकंडा या मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथियार मान रहे थे. मुद्दों पर चर्चा करने से हम नहीं डरते. संसद का बहिष्कार हम नहीं करते. अगर संसद का बहिष्कार न किया जाए और संसद चलने दी जाए तो सभी मुद्दों पर चर्चा होगी. हम डरते नहीं हैं और न ही हमारे पास कुछ छिपाने को है. कोई भी मुद्दा हो, हम चर्चा करने को तैयार हैं...
- शाह ने कहा कि जब वंदे मातरम् के 50 साल पूरे हुए, तब देश आजाद नहीं हुआ था, और वंदे मातरम् की जब स्वर्ण जयंती हुई, तब जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम् के दो टुकड़े कर उसे दो अंतरों तक सीमित कर दिया और वहीं से तुष्टिकरण की शुरुआत हुई और ये तुष्टिकरण देश के विभाजन का आधार बना. मेरे जैसे कई लोगों का मानना है, अगर कांग्रेस, तुष्टिकरण की नीति के तहत वंदे मातरम् का बंटवारा नहीं करती तो देश का बंटवारा नहीं होता, आज देश पूरा होता.
- गृह मंत्री ने कहा कि जब वंदे मातरम् 100 साल का हुआ, तब महिमामंडन नहीं हुआ क्योंकि वंदे मातरम् बोलने वालों को इंदिरा गांधी ने जेल में बंद कर दिया था. देश में आपातकाल लगाया गया था, विपक्ष के लाखों लोगों को, लाखों स्वयंसेवियों, लाखों समाजसेवियों को जेल में बंद कर दिया गया. बिना किसी कारण अखबारों पर ताले लगा दिए गए.
- शाह ने कहा कि भारत सिर्फ़ ज़मीन का एक टुकड़ा नहीं है. हम अपने देश को अपनी मां की तरह देखते हैं. हम उसे अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं, और उस श्रद्धा का इज़हार वंदे मातरम है. वंदे मातरम में भारत माता के विचार को बहुत खूबसूरती से बताया गया है। उन्हें पानी, फल और खुशहाली देने वाली के तौर पर दिखाया गया है.
- गृह मंत्री ने कहा कि 1992 में भाजपा सांसद राम नाईक ने एक शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन के माध्यम से वंदे मातरम् को संसद में फिर से गाने का मुद्दा उठाया. उस समय प्रतिपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी जी ने बहुत प्रमुखता से लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि इस महान सदन के अंदर वंदे मातरम् का गान होना चाहिए क्योंकि संविधान सभा ने इसे स्वीकार किया है. तब लोकसभा ने सर्वसम्मति से लोकसभा में वंदे मातरम् के गान की शुरुआत की. उस समय, जब हम वंदे मातरम् के गान की शुरुआत कर रहे थे, तब इंडी अलायंस के ढेर सारे लोगों ने कहा कि हम वंदे मातरम् नहीं गाएंगे... और मैंने यह भी देखा है कि जब संसद में वंदे मातरम् का गान होता है, तो इंडी अलायंस के कई सदस्य, जो लोकसभा में बैठे होते हैं, बाहर चले जाते हैं.
शाह ने आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष के कई सांसद वंदे मातरम् शुरू होते ही सदन से बाहर चले जाते हैं. शाह ने कहा कि वह चाहें तो उन सांसदों की सूची सदन में रख सकते हैं, लेकिन यह चर्चा का हिस्सा बनना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ को पूरे देश में भव्य और ऐतिहासिक तरीके से मनाया जाएगा.





