BJP ने राहुल गांधी को कहा 'मीर जाफर', जानें देश के सबसे बड़े गद्दार के बारे में
अमित मालवीय का एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें राहुल गांधी को को आज के दौर का मीर जाफर कहा है. इस पोस्ट में राहुल सरकार से सवाल पूछते हैं कि इस लड़ाई में हमने कितने जेट खोए. अब ऐसे में सवाल बनता है कि आखिर मीर जाफर था कौन.

देशभर में जब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्व और उत्साह की लहर दौड़ रही थी, तो विपक्ष के नेता राहुल गांधी का रुख कुछ और ही था. प्रधानमंत्री को बधाई देने के बजाय उन्होंने बार-बार एक ही सवाल दोहराया हमने कितने जेट खोए? इस बयान ने न सिर्फ सरकार के समर्थकों को हैरान किया, बल्कि सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में भी एक नई बहस छेड़ दी.
अब इस बीच अमित मालवीय ने एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को नए दौर का मीर जाफर कहा है. अब ऐसे में सवाल बनता है कि आखिर कौन है मीर जाफर.
कौन था मीर जाफर?
मीर जाफर को देश का गद्दार कहा जाता है. प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ था. जहां दूसरी ओर मीर जाफर एक आर्मी जनरल था. कहा जाता है कि मीर ने इस दौरान मुर्शिदाबाद के अपने नवाब के साथ छल कर अंग्रेजों की मदद की थी. इसके अलावा, मीर जाफर ने सिराजुद्दौला को भी धोखा दिया था, क्योंकि वह भी नवाब बनना चाहता था.
अमित मालवीय का पोस्ट
यह हैरानी की बात नहीं है कि राहुल गांधी पाकिस्तान और उसके हितैषियों की भाषा बोल रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री को ऑपरेशन सिंदूर के लिए बधाई नहीं दी, जो स्पष्ट रूप से भारत के प्रभुत्व को दर्शाता है. इसके बजाय, वे बार-बार पूछते हैं कि हमने कितने जेट खो दिए- एक सवाल जो पहले ही DGMO ब्रीफिंग में संबोधित किया जा चुका है.
पाकिस्तानी जेट के लिए कोई सवाल नहीं
मजे की बात यह है कि उन्होंने एक बार भी यह नहीं पूछा कि संघर्ष के दौरान कितने पाकिस्तानी जेट मार गिराए गए, या भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी एयरबेस पर बमबारी के दौरान कितने विमान अपने हैंगर में खड़े रहते हुए नष्ट हो गए. राहुल गांधी के लिए आगे क्या है? निशान-ए-पाकिस्तान?
पवन खेड़ा ने कही ये बात
भाजपा नेता अमित मालवीय के 'एक्स' पर सोशल मीडिया पोस्ट पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि 'हम इस देश के राजनीतिक नेतृत्व से पूछना चाहते हैं कि आपने पाकिस्तान को पहले से सूचित किया. क्या यही कारण है कि अजहर मसूद और हाफिज सईद बच निकले? जहां तक निशान-ए-पाकिस्तान का सवाल है, उनके नेता मोरारजी देसाई एकमात्र भारतीय राजनेता थे जिन्हें यह सम्मान दिया गया था. कुछ और लोग भी निशान-ए-पाकिस्तान के हकदार हैं, जैसे लाल कृष्ण आडवाणी और वह व्यक्ति जो बिना बुलाए नवाज़ शरीफ़ के साथ बिरयानी खाने चला गया. हमें लगता है कि उसे निशान-ए-पाकिस्तान मिलेगा.