एक से ज्यादा बीवियां रख सकते हैं मुस्लिम मर्द, अगर... : इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पुरुष चार शादियां कर सकते हैं, लेकिन सभी पत्नियों से समान व्यवहार जरूरी है. फुरकान पर धोखे और बलात्कार का आरोप था, पर कोर्ट ने धार्मिक अनुमति मानते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाई. कोर्ट ने साफ किया कि धार्मिक स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है और संविधान की सीमाओं में रहकर ही उसका पालन होगा.

"शरीयत चार शादियों की इजाजत देता है, मगर शर्त है – इंसाफ करना सीखो!" इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई मुस्लिम पुरुष एक से ज़्यादा शादियां कर सकता है, बशर्ते वह सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार करे.
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देसवाल ने मुरादाबाद निवासी फुरकान के खिलाफ दर्ज एक मामले की सुनवाई के दौरान की. फुरकान पर एक महिला ने बिना पहली शादी की जानकारी दिए दूसरी शादी करने और बलात्कार का आरोप लगाया था.
"शरियत की छांव में, लेकिन संविधान की निगरानी में"
कोर्ट ने कहा कि कुरान में बहुविवाह की इजाजत "कुछ परिस्थितियों में दी गई है, लेकिन अक्सर इसे स्वार्थवश गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है." न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि, "अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन यह पूर्णतः निरंकुश नहीं है. यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के अधीन है, और राज्य इसे नियंत्रित कर सकता है."
इतिहास की पृष्ठभूमि से मिली थी बहुविवाह की छूट
कोर्ट ने बहुविवाह के पीछे के ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों को रेखांकित करते हुए कहा कि "इस्लाम के शुरुआती दौर में अरब में कबीलों के झगड़ों में बड़ी संख्या में महिलाएं विधवा हो गई थीं और बच्चे अनाथ हो गए थे. ऐसे में महिलाओं और बच्चों की रक्षा के लिए कुरान में बहुविवाह की सशर्त अनुमति दी गई."
फुरकान को राहत, पुलिस को फटकार
फुरकान के वकील ने दलील दी कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत एक पुरुष चार निकाह कर सकता है. कोर्ट ने यह मानते हुए कि शादी धार्मिक रूप से वैध थी, उस पर द्विविवाह या बलात्कार की धाराएं लागू नहीं होतीं. कोर्ट ने महिला को नोटिस जारी किया और पुलिस को फुरकान या अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न करने का आदेश दिया. फुरकान की ओर से अदालत में वकील आलोक कुमार पांडेय, प्रशांत कुमार और सुशील कुमार पांडेय पेश हुए.