मां की चिता की राख ठंडी भी नहीं हुई थी, बेटियों के सिर से उठा पिता का साया, एयर इंडिया हादसे ने उजाड़ी दो बहनों की दुनिया
सोचिए क्या हो जब महज 18 दिन के अंतर में बच्चों के सिर से मां और पिता दोनों का साया उठ जाए? एयर इंडिया प्लेन क्रैश हादसे में अर्जुन पटोलिया की जान गई, जो अपनी भारत अपनी पत्नी की अस्थियां विसर्जित करने आए थे.

12 जून 2025 की वह सुबह, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने आसमान की ओर उड़ान भरी, किसी ने नहीं सोचा था कि यह उड़ान एक परिवार के लिए हमेशा के लिए दर्द और अकेलेपन की कहानी लिख जाएगी. उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद ही फ्लाइट एक रिहायशी इलाके में क्रैश हो गई. 270 लोगों की जान चली गई. उन्हीं में से एक थे 37 साल के अर्जुन पटोलिया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अर्जुन लंदन में अपनी दो नन्ही बेटियों को छोड़ गए, जिनकी उम्र चार और आठ साल है. इन मासूमों की किस्मत ने ऐसा क्रूर मज़ाक किया कि सिर्फ 18 दिनों के भीतर दोनों अनाथ हो गईं. उनकी मां भारती 26 मई को कैंसर से जूझते हुए दुनिया छोड़ गई थीं और अब दूसरी ओर मां की चिता की राख ठंडी भी नहीं हुई थी कि उनके सिर से पिता का साया उठ गया.
पत्नी की अंतिम इच्छा और अधूरी वापसी
अर्जुन भारत अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने आए थे. उनकी पत्नी भारती ने इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार भारत में हो. अर्जुन ने उनकी अस्थियां नर्मदा नदी में विसर्जित कीं और अपने पैतृक गांव वडिया में अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कीं. जैसे ही वे वापस अपनी बेटियों के पास लौट रहे थे, उनकी किस्मत ने फिर छल किया.
मां का टूटता दिल
सूरत में रहने वाली अर्जुन की मां की आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे. पहले बहू और अब बेटा उनसे छीन लिया गया. इस हादसे पर उन्होंने कहा कि ' कभी नहीं सोचा था कि हम कुछ ही दिनों बाद अर्जुन का अंतिम संस्कार करेंगे.'
ताऊ के साए में दो नन्हीं बेटियां
अर्जुन की बेटियों की देखभाल अब उनके छोटे भाई गोपाल के हवाले है, जो लंदन में रहते हैं. पूरा परिवार हाल ही में भारती का अंतिम संस्कार करने के लिए इकट्ठा हुआ था और अब उन्हें अर्जुन को विदा देने के लिए फिर से जुटना पड़ रहा है. यह दिल तोड़ देने वाला वक्त है, जब एक परिवार को इतने कम दिनों में दो बार जख्म सहना पड़ता है.
प्यार की एक कहानी, जो अधूरी रह गई
अर्जुन सूरत के स्वामीनारायण गुरुकुल से पढ़ाई करके 20 साल की उम्र में यूके चले गए और पिछले 17 सालों से लंदन में रह रहे थे. अर्जुन और भारती की मुलाकात फर्नीचर की दुकान पर हुई थी, जहां वे काम करते थे. भारती कच्छ की रहने वाली थीं. उनके बीच की मोहब्बत ने परिवार बनाया, लेकिन अब यह परिवार दो भयंकर हादसों में टूट चुका है. 4 और 8 साल की बेटियां अब बिन पिता के अपने जीवन की नई जंग लड़ रही हैं.