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कौन थी 'एक्टिंग की सरस्वती' B. Saroja Devi? 190 से ज्यादा फिल्मों किया काम, 87 की उम्र कहा दुनिया को अलविदा

बी. सरोजा देवी ने अपने करियर में 190 से अधिक फिल्में कीं, और कई भाषाओं में काम करते हुए उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. उनकी तमिल फिल्म 'नादोदी मन्नान' (1958), जिसमें वह एम.जी. रामचंद्रन (MGR) के साथ नज़र आईं, सुपरहिट रही और इस फिल्म ने उन्हें तमिल सिनेमा की टॉप एक्ट्रेस बना दिया.

कौन थी एक्टिंग की सरस्वती B. Saroja Devi? 190 से ज्यादा फिल्मों किया काम, 87 की उम्र कहा दुनिया को अलविदा
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( Image Source:  X : @rgtwtz )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 14 July 2025 1:08 PM IST

दक्षिण भारतीय फिल्मों की जानी-मानी दिग्गज एक्ट्रेस बी. सरोजा देवी का सोमवार, 15 जुलाई 2025 को निधन हो गया. 87 साल की सरोजा देवी पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थी और बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित अपने निवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है. बी. सरोजा देवी सिर्फ एक एक्ट्रेस नहीं थी वो एक युग थीं, जिन्होंने दक्षिण भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम काल को अपनी अदाकारी, सौंदर्य और गरिमा से रोशन किया.

कौन थीं बी. सरोजा देवी?

बी. सरोजा देवी का जन्म 1938 में कर्नाटक में हुआ था. उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में 1955 में कन्नड़ फिल्म 'महाकवि कालिदास' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. इस फिल्म में उनकी एक्टिंग को नेशनल लेवल पर सराहा गया, और उन्हें अपना पहला अवार्ड भी मिला। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो धीरे-धीरे तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों की सबसे पॉपुलर एक्ट्रेस में शुमार हो गईं. तमिल दर्शक उन्हें प्यार से 'कन्नड़थु पैंगिली' (कन्नड़ की कोमल कोकिला) कहते थे, जबकि कन्नड़ सिनेमा में उन्हें 'एक्टिंग की देवी' के रूप में पूजा जाता था.

उनकी फिल्में और सफर

बी. सरोजा देवी ने अपने करियर में 190 से अधिक फिल्में कीं, और कई भाषाओं में काम करते हुए उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. उनकी तमिल फिल्म 'नादोदी मन्नान' (1958), जिसमें वह एम.जी. रामचंद्रन (MGR) के साथ नज़र आईं, सुपरहिट रही और इस फिल्म ने उन्हें तमिल सिनेमा की टॉप एक्ट्रेस बना दिया. उनकी जोड़ी एमजीआर, एनटीआर, अक्किनेनी नागेश्वर राव और राजकुमार जैसे सुपरस्टार्स के साथ खूब सराही गई. 'एंगा वीटू पिल्लई', 'अंबे वा', 'अरुनोदयम', 'सिकंदर-ए-आज़म' जैसी फिल्मों ने उन्हें हर घर में जाना-पहचाना चेहरा बना दिया. 1967 में उनकी शादी हो गई थी, लेकिन शादी के बाद भी उनकी फिल्मों में मांग बनी रही, खासकर तमिल फिल्मों में. हालांकि सरोजा देवी ने अपने एक्टिंग करियर के साथ-साथ समाज सेवा और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी हिस्सा लिया। उन्होंने नेशनल और स्टेट लेवल अवार्ड्स से सम्मानित होकर भारतीय सिनेमा में एक स्थायी छवि बनाई.

श्रद्धांजलियों का सिलसिला

उनके निधन की खबर सुनकर सिनेमा जगत और उनके फैंस में शोक की लहर दौड़ गई. एक्ट्रेस खुशबू सुंदर ने सोशल मीडिया पर इमोशनल होकर लिखा, 'एक युग का अंत हो गया #सरोजादेवी अम्मा सर्वकालिक महान थी. साउथ की किसी भी अन्य महिला कलाकार को उनके जितना नाम और प्रसिद्धि नहीं मिली। वह बेहद प्यारी और मनमोहक आत्मा थी.'

फिल्म क्रिटिक श्रीधर पिल्लई ने ट्वीट कर लिखा, 'उन्होंने साउथ सिनेमा के सुनहरे युग में राज किया! एमजीआर-सरोजा देवी की जोड़ी को कौन भूल सकता है.'

सम्मान और विरासत

बी. सरोजा देवी को उनकी फिल्मों के लिए कई अवार्ड्स और अचीवमेंट्स हासिल की. उन्हें पद्मश्री (1969), पद्म भूषण (1992), नेशनल फिल्म अवार्ड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से कई स्टेट अवार्ड्स, दादा साहेब फाल्के अवार्ड के लिए नॉमिनेट भी हुई थी. उनका योगदान सिर्फ फिल्म तक सीमित नहीं था, उन्होंने समाज में महिलाओं की भूमिका, सांस्कृतिक एकता और भाषा के पार सहयोग को बढ़ावा देने का काम किया

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