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कौन हैं फीमेल रैपर और एक्टिविस्ट माही घने? आदिवासी समाज से निकलकर हिप-हॉप की दुनिया में छाई

शुरुआत में माही बस इतनी चाहती थीं कि उनके जैसे युवा समाज की खबरों से जुड़े रहें, जागरूक बने और जब उन्हें लगा कि सिर्फ बातचीत से काम नहीं चलेगा, तो उन्होंने अपनी बात को बीट्स पर रख दिया.

कौन हैं फीमेल रैपर और एक्टिविस्ट माही घने? आदिवासी समाज से निकलकर हिप-हॉप की दुनिया में छाई
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( Image Source:  Instagram : mahig_55 )
रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Published on: 8 Jun 2025 12:50 PM

भारत में हिप-हॉप एक ऐसा मंच है, जो तेज़ बीट्स और कड़े शब्दों से सजी एक पूरी दुनिया है. लेकिन इस दुनिया में औरतों की आवाज़ आज भी गूंजने से पहले ही दबा दी जाती है. मगर माही जी इस खामोशी को तोड़ने निकली हैं. एक आदिवासी लड़की, जो अपने समाज के लिए एक नई लय लेकर आई है. माही का जन्म हुआ महाराष्ट्र के मधुरा गांव में और उनकी परवरिश कलान में हुई, जो मुंबई से सटा एक छोटा सा इलाका है. वे महादेव कोली जनजाति से आती हैं.

एक ऐसा समुदाय जो आज भी सामाजिक भेदभाव और रूढ़ियों का बोझ ढो रहा है. यहां लड़कियां अक्सर बचपन में ही किताबों से रिश्ता तोड़कर विवाह की डोली में बैठा दी जाती हैं. लेकिन माही ने ठान लिया था कि वह इस कहानी को नया मोड़ देंगी. उनकी मां, जो खुद भी अपने समाज की सीमाओं से अच्छी तरह वाकिफ थीं, माही के लिए ढाल बनकर खड़ी रही. अगर तू पढ़ाई करेगी, तो तेरे ख्वाब भी सच होंगे," मां ने कहा और वही वाक्य माही की ज़िंदगी का मंत्र बन गया.

डेब्यू ट्रैक 'जंगल चा राजा'

शुरुआत में माही बस इतनी चाहती थीं कि उनके जैसे युवा समाज की खबरों से जुड़े रहें, जागरूक बने और जब उन्हें लगा कि सिर्फ बातचीत से काम नहीं चलेगा, तो उन्होंने अपनी बात को बीट्स पर रख दिया. 2019 में दिल्ली के किसान आंदोलन पर उनकी पहली कविता इंस्टाग्राम पर पोस्ट हुई, तभी 300 फॉलोअर्स थे, लेकिन शब्दों में आग थी. यही आग उनके डेब्यू ट्रैक 'जंगल चा राजा' में भी झलकी, जिसे म्यूजिक प्रोड्यूसर रैपबॉस के साथ मिलकर उन्होंने बनाया. गाने ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया, और उनके फॉलोअर्स एक झटके में 14,000 के पार चले गए. देश के अलग-अलग शहरों में मंचों पर परफॉर्म करते हुए, माही एक आवाज़ बन गईं- हाशिए पर खड़े लोगों की.

कोयला खनन के खिलाफ उठती आवाज

उनका रैप सिर्फ म्यूजिक नहीं है, ये लड़ाई है....उनके गाने 'हसदेव की कहानी' में कोयला खनन के खिलाफ उठती आवाज़ है, तो 'हक़ से ट्रांसजेंडर हूं' ट्रांसजेंडर समुदाय की शान में लिखा गया गान है. माही कहती हैं, 'मैं ऐसे लोगों में पली-बढ़ी हूं जिन्होंने भले ही कई दर्द झेले, लेकिन कभी शिकवा नहीं किया, वे मुस्कुराते हैं, और जीते हैं. मुझे उन पर गर्व है, और मैं चाहती हूं कि दुनिया भी उन्हें देखे.' माही जी उस बदलाव की झलक हैं, जिसकी भारत को सख्त ज़रूरत है. एक ऐसी युवा महिला, जो अपने रैप से न सिर्फ माइक थामे है, बल्कि समाज की अनसुनी आवाज़ों को दुनिया के सामने रख रही है.

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