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'शाहरुख की थी अलग...',मनोज बाजपेयी ने किंग खान के स्टारडम को लेकर कही ये बात

मनोज बाजपेयी और शाहरुख बैचमेट रह चुके हैं. इसके कारण मनोज बाजपेयी से कई सवाल किए जाते हैं. अक्सर लोग उनसे पूछते हैं कि क्या वह शाहरुख के स्टारडम से खुश नहीं है? इस पर एक्टर ने अपनी चुप्पी तोड़ी है.

शाहरुख की थी अलग...,मनोज बाजपेयी ने किंग खान के स्टारडम को लेकर कही ये बात
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( Image Source:  Instagram/bajpayee.manoj )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Published on: 13 Dec 2024 3:47 PM

यह बात हम सभी जानते हैं कि मनोज बाजपेयी दिल्ली में एक्टिंग कोच बैरी जॉन के ट्रेनिंग में शाहरुख खान के साथ बैचमेट थे. हालांकि, दोनों एक-साथ नहीं घूमते थे, क्योंकि दोनों की दुनिया अलग-अलग थी. साथ ही, वह अपनी जिंदगी से अलग-अलग चीजें चाहते थे. उन्होंने बताया कि शाहरुख को फॉलोअर्स से घिरे रहने की जरूरत महसूस नहीं होती थी.

मोजो स्टोरी पर बरखा दत्त के साथ एक इंटरव्यू में मनोज से पूछा गया कि शाहरुख और आप एक साथ थे. ऐसे में क्या आप शाहरुख के स्टारडम से दुखी हैं? इस पर मनोज ने कहा कि शाहरुख खान हमेशा प्यार पाना चाहते थे.स्टार बनना चाहते थे.सभी का फोकस सेंटर बनना चाहते थे. जबकि मेरे मामले में ऐसा नहीं था.

फेलियर से टूटता है कॉन्फिडेंस

इस बात पर मनोज बाजपेयी ने कहा कि मैं अपने थिएटर ग्रुप में 20 लोगों से घिरे न रहने के लिए राजी था. साथ ही, मुझे इस बात से कोई परेशान नहीं थी कि कोई मेरी ओर देखता नहीं है. मैं दीवार पर मक्खी बनकर रहने से पूरी तरह से सहमत था. इसके अलावा, जब उनसे पूछा गया कि क्या ये अंतर उनके सेल्फ कॉन्फिडेंस पर असर डालता है, तो उन्होंने कहा कि इसलिए नहीं कि वे मुझसे ज्यादा फेमस हैं. बल्कि फेलियर के बाद आत्मविश्वास टूट जाता है.

बैरी जॉन के लिए कही ये बात

साथ ही मनोज बाजपेयी ने बैरी जॉन की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने अंग्रेजी न बोल पाने के लिए मुझे कभी जज नहीं किया. इसके आगे उन्होंने बताया कि जब वह शाहरुख, दिव्या या ऋतुराज के साथ इंग्लिश प्ले करते थे, तो वह एक छोटा सा रोल देते थे.

'हम मिल नहीं सकते हैं'

यह पूछे जाने पर कि क्या वह और शाहरुख कंटेंपरेरीज़ थे? मनोज ने कहा कि हम एक-दूसरे को जानते थे, लेकिन हमारे दोस्तों का दायरा एक जैसा नहीं था.लोगों को समझना होगा, हम अलग-अलग दुनिया से आते हैं. लोग पूछते हैं कि हम क्यों नहीं मिलते और मैं उनसे कहता हूं कि हम मिल नहीं सकते हैं. तब भी, वह एक खास दुनिया से थे. सिर्फ इसलिए कि कोई जामिया में पढ़ता है, वह आम इंसान नहीं बन जाता हैं.

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