Ajay Devgn की फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर मचाया धमाल, 'Raid 2' ने 100 करोड़ का आंकड़ा पार
फिल्म ने अपनी रफ्तार बनाए रखी है, चाहे नई रिलीज़ हो या नहीं. रिपोर्ट के मुताबिक, 'रेड 2' की हिंदी ऑक्यूपेंसी शुक्रवार को 9.04% रही, जो इस फिल्म के लिए एक अच्छा आंकड़ा है.

अजय देवगन (Ajay Devgn) की मचअवेटेड फिल्म 'रेड 2' (Raid 2) 1 मई को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई. यह उनकी 2018 की हिट फिल्म "रेड" का सीक्वल है, जिसमें अजय के साथ वाणी कपूर और रितेश देशमुख भी मुख्य भूमिका में हैं. Sacnilk.com के अनुसार, फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है और भारत में ₹100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है.
रेड 2 ने अपने पहले हफ्ते के अंत में 95.75 करोड़ की कमाई की थी और अब, दूसरे शुक्रवार के कलेक्शन के साथ, इसका कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ₹100.21 करोड़ तक पहुंच चुका है. फिल्म ने अपने पहले दिन 19.25 करोड़ की अच्छी कमाई की थी. यह अजय देवगन की 2022 में रिलीज़ हुई "दृश्यम 2" से भी बेहतर ओपनिंग साबित हुई, जिसने 15.38 करोड़ कमाए थे.
100 करोड़ के साथ बनी हिट
फिल्म ने अपनी रफ्तार बनाए रखी है, चाहे नई रिलीज़ हो या नहीं. रिपोर्ट के मुताबिक, 'रेड 2' की हिंदी ऑक्यूपेंसी शुक्रवार को 9.04% रही, जो इस फिल्म के लिए एक अच्छा आंकड़ा है. कुल मिलाकर, 'रेड 2' ने दर्शकों को सस्पेंस और थ्रिल से खूब एंटरटेन किया है, और इसके प्रदर्शन को देखते हुए यह साफ है कि अजय देवगन की यह फिल्म एक और बॉक्स ऑफिस हिट बन चुकी है. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करते हुए 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है, और अब आगे भी इसके कलेक्शन में वृद्धि होने की संभावना है.
फिल्म की कहानी और भूमिका
'रेड 2' में अजय देवगन एक बार फिर अमय पटनायक नामक भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी की भूमिका में लौटते हैं, जो दादा मनोहर भाई की संपत्ति पर छापा मारते हैं. फिल्म में वाणी कपूर और सौरभ शुक्ला भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. सौरभ शुक्ला ने "रेड" में अपनी भूमिका को फिर से दोहराया है. फिल्म को मिले रिव्यू में कहा गया है कि 'रेड 2' की शुरुआत दर्शकों से उम्मीदों के साथ होती है और फर्स्ट पार्ट में लगभग हर मोड़ पर एक ट्विस्ट होता है, जो दर्शकों को अनुमान लगाने पर मजबूर करता है. फिल्म के निर्देशक राज कुमार गुप्ता, जो 'नो वन किल्ड जेसिका' जैसी थ्रिलर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, ने घटनाओं पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी है. हालांकि, फिल्म का सबसे बड़ा कमजोर पहलू यह है कि यह 1990 के दशक में सेट की गई है और इसमें अमय पटनायक को लगातार सहजता से मदद मिलती है, जिससे दर्शकों को यह महसूस होता है कि फिल्म की कहानी कहीं न कहीं सुविधाजनक हो गई है. इसके कारण रितेश देशमुख के "दादा भाई" के करैक्टर को उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया है, जितना कि वह होना चाहिए था.