बैंक कॉल के नाम पर अब आपको ठग नहीं पाएंगे स्कैमर्स, 1 जनवरी से बैंकों से आने वाले फोन ‘1600’ नंबर से होंगे शुरू
TRAI ने वित्तीय धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकों, NBFCs, म्यूचुअल फंड, स्टॉकब्रोकर और अन्य BFSI संस्थाओं को ‘1600’ नंबरिंग सीरीज़ अपनाने की सख्त समयसीमा जारी की है. इससे ग्राहक असली वित्तीय कॉल्स की पहचान आसानी से कर सकेंगे और स्कैम पर रोक लगेगी. विभिन्न नियामक संस्थाओं के अधीन आने वाली इकाइयों को 2026 की शुरुआत से मार्च तक चरणबद्ध तरीके से नई सीरीज़ में माइग्रेट होना अनिवार्य किया गया है. अब तक 485 संस्थाएं इस व्यवस्था से जुड़ चुकी हैं.
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (BFSI) क्षेत्र के लिए ‘1600’ नंबरिंग सीरीज़ को अपनाना अनिवार्य कर दिया है. यह कदम बढ़ते वित्तीय धोखाधड़ी और इम्परसनेशन आधारित स्कैम को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है.
पिछले कुछ वर्षों में फर्जी कॉलर्स द्वारा बैंक और वित्तीय संस्थाओं के नाम पर ग्राहकों से OTP, PIN और संवेदनशील जानकारी ठगने के मामलों में भारी वृद्धि हुई है. अधिकतर स्कैमर साधारण दस अंकों वाले मोबाइल नंबरों से कॉल करते हैं, जिसके कारण ग्राहक असली और नकली कॉल के बीच भेद नहीं कर पाते. ऐसे में TRAI का मानना है कि एक समर्पित और स्पष्ट नंबरिंग सीरीज़ से ग्राहक आसानी से पहचान सकेंगे कि कॉल वास्तव में किसी अधिकृत वित्तीय संस्था द्वारा की जा रही है, जिससे धोखाधड़ी के मामलों में भारी कमी आएगी.
TRAI ने तय कर दी डेडलाइन
TRAI ने इस नई व्यवस्था के लिए अलग-अलग वित्तीय नियामकों के अधीन आने वाली संस्थाओं के लिए चरणबद्ध समयसीमा तय की है. कमर्शियल बैंकों को, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक और विदेशी बैंक शामिल हैं, एक जनवरी 2026 तक पूरी तरह ‘1600’ सीरीज़ में माइग्रेट करना होगा. वहीं म्यूचुअल फंड हाउस और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिए 15 फरवरी 2026 की समयसीमा तय की गई है. योग्य स्टॉक ब्रोकरों को 15 मार्च 2026 तक इस सीरीज़ को अपनाने का निर्देश दिया गया है. SEBI के अन्य रजिस्टर्ड इंटरमीडियरी अभी चाहें तो स्वेच्छा से इस व्यवस्था से जुड़ सकते हैं, लेकिन उनसे भविष्य में अनिवार्य माइग्रेशन की उम्मीद है.
NBFCs और इंश्योरेंस कंपनियां भी आएंगी दायरे में
RBI-नियंत्रित संस्थाओं के लिए भी TRAI ने चरणों में डेडलाइन तय की है. पहले चरण में बड़े NBFCs, पेमेंट बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक को 1 फरवरी 2026 तक माइग्रेशन पूरा करना होगा. इसके बाद 1 मार्च 2026 तक अन्य NBFCs, कोऑपरेटिव बैंक, रीज़नल रूरल बैंक और छोटे वित्तीय संस्थानों को ‘1600’ सीरीज़ अपनानी होगी. PFRDA के अधीन आने वाली सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसियों और पेंशन फंड मैनेजर्स को 15 फरवरी 2026 तक इस नई व्यवस्था में शामिल होना है. बीमा कंपनियों के लिए अंतिम तिथि अभी IRDAI के साथ चर्चा में है और जल्द घोषित की जाएगी.
ऑनलाइन ठगी रोकने के लिए सख्त कम जरूरी
TRAI ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में BFSI क्षेत्र के रेगुलेटर्स और टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है. इस दौरान सभी पक्षों ने माना कि बढ़ती वित्तीय ठगी को रोकने के लिए एकीकृत कॉलिंग पहचान प्रणाली बेहद आवश्यक है. इन प्रयासों के चलते करीब 485 संस्थाएं पहले ही ‘1600’ सीरीज़ अपना चुकी हैं और अब तक 2800 से अधिक नंबर आवंटित किए जा चुके हैं. इतने बड़े पैमाने पर संस्थाओं के जुड़ने के बाद TRAI का मानना है कि अब इस व्यवस्था को समयबद्ध तरीके से सभी पर लागू करना जरूरी है, ताकि जो संस्थाएं अभी भी दस अंकों वाले साधारण नंबरों से सेवा या ट्रांजेक्शनल कॉल कर रही हैं, वे भी इस सुरक्षित प्रणाली में शामिल हों.
ग्राहकों के लिए होगी बड़ी राहत
ग्राहकों के नजरिए से देखें तो यह कदम कई मायनों में राहत देने वाला होगा. नई प्रणाली आने के बाद ग्राहकों को हर कॉल का सोर्स पहचानना आसान होगा. जब किसी बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनी या वित्तीय संस्था से कॉल आएगी, तो ‘1600’ सीरीज़ देखकर ग्राहक तुरंत समझ सकेंगे कि यह कॉल असली है. इससे OTP, PIN या अन्य महत्वपूर्ण जानकारी चुराने वाले फर्जी कॉलर्स की कोशिशें काफी हद तक बेअसर हो जाएंगी. साथ ही स्पैम कॉल्स पर भी अंकुश लगेगा और BFSI सेक्टर के प्रति ग्राहकों का भरोसा मजबूत होगा. डिजिटल लेन-देन में सुरक्षा बढ़ने से वित्तीय प्रणाली भी अधिक सुदृढ़ होगी.
सुरक्षित बनेगा भारत का डिजिटल वित्तीय इकोसिस्टम
TRAI ने यह भी स्पष्ट किया है कि वित्तीय संस्थाओं को अब इस व्यवस्था को गंभीरता से लागू करना होगा. जो संस्थाएं अभी सामान्य मोबाइल नंबरों से ग्राहकों को कॉल कर रही हैं, उन्हें जल्द से जल्द ‘1600’ सीरीज़ में माइग्रेट करना होगा, ताकि ग्राहक भ्रमित न हों और वित्तीय धोखाधड़ी पर पूर्ण विराम लगाया जा सके. TRAI का यह निर्णय भारत के डिजिटल वित्तीय इकोसिस्टम को सुरक्षित, विश्वसनीय और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. 2026 तक पूरे BFSI सेक्टर में सेवा और लेन-देन से जुड़ी कॉलिंग प्रणाली में बड़ा बदलाव दिखाई देगा, जिससे ग्राहकों को अधिक सुरक्षा और सुविधा प्राप्त होगी.





