पाकिस्तान में भी जुबिन गर्ग उतने ही मशहूर, कराची के कॉन्सर्ट में गूंजा 'या आली', रॉक बैंड खुदगर्ज ने दी श्रद्धांजलि- देखिए VIDEO
पाकिस्तान में भी भारतीय गायक जुबिन गर्ग की लोकप्रियता कम नहीं है. हाल ही में कराची में आयोजित एक कॉन्सर्ट में उनके मशहूर गाने 'या आली' की धुन गूंज उठी. इस दौरान पाकिस्तान के रॉक बैंड खुदगर्ज ने जुबिन को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके संगीत की सराहना की.;
असम के दिग्गज गायक और संगीतकार Zubeen Garg के जान जाने की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया था. 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर के लाज़रस आइलैंड में स्विमिंग के दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और 52 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत की वजह 'ड्राउनिंग' बताई गई थी, लेकिन असम पुलिस ने बाद में हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की और मामले में हर दिन नए- नए खुलासे हो रहे हैं. अब हाल ही में Zubeen Garg को लेकर पाकिस्तान से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसने हर संगीत प्रेमी की आंखें नम कर दीं.
कराची के मंच पर गूंजा 'या अली'
कराची में आयोजित एक म्यूज़िक कॉन्सर्ट में पाकिस्तानी रॉक बैंड ‘ख़ुदगर्ज़’ ने जुबिन गर्ग को श्रद्धांजलि देते हुए उनके आइकॉनिक गाने ‘या अली’ (फिल्म गैंगस्टर) को लाइव परफॉर्म किया. जैसे ही बैंड ने गाना शुरू किया, पूरा हॉल तालियों और जुबिन के नाम के नारों से गूंज उठा. इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए वीडियो में बैंड ने लिखा कि 'कराची से प्यार के साथ, ज़ुबीन गर्ग, आप हमेशा हमारी प्लेलिस्ट का हिस्सा बने रहेंगे. शुक्रिया.”वीडियो पर भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के यूज़र्स ने एक सुर में कमेंट किया. 'कला की कोई सरहद नहीं होती.'
फैंस बोले- संगीत ही असली धर्म
ख़ुदगर्ज़ बैंड अपने अनोखे फ्यूज़न और रॉक स्टाइल के लिए जाना जाता है. उनकी इस परफॉर्मेंस ने साबित कर दिया कि जुबिन गर्ग का संगीत सीमाओं से कहीं आगे है. सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा कि 'संगीत ही असली धर्म है.' ज़ुबिन जैसे कलाकार कभी नहीं मरते.'
जुबिन गर्ग- एक आवाज़ जो सीमाओं से परे थी
असमिया, हिंदी, बंगाली और ओड़िया गानों में अपनी अद्भुत पकड़ रखने वाले जुबिन ने ‘या अली’, ‘दिल तू ही बता’, और ‘भेजा कम’ जैसे हिट गानों से देशभर में दिल जीते. उनके निधन के बाद गुवाहाटी में हजारों फैंस उमड़े थे. असम सरकार ने उन्हें 21 तोपों की सलामी के साथ अंतिम विदाई दी. जो राज्य के किसी कलाकार को दिया गया सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है. जुबिन के संगीत ने न केवल भारत बल्कि पड़ोसी देशों में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है. कराची का यह ट्रिब्यूट इस बात का सबूत है कि कला और संगीत इंसानियत की सबसे बड़ी भाषा है.