क्‍या सच में जेल से रिहा होंगे इमरान खान, ऑपरेशन सिंदूर के बाद बैकफुट पर आए आर्मी चीफ असीम मुनीर झुकेंगे?

इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी की 11 जून को होने वाली सुनवाई पाकिस्तान की राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकती है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत से मिली शिकस्त और जनता के बढ़ते गुस्से ने पाकिस्तानी सेना को बैकफुट पर ला दिया है. अब कोर्ट में इमरान को जमानत मिलने की संभावना जताई जा रही है. जेल में रहते हुए भी इमरान ने आंदोलन की चेतावनी दी है. क्या असीम मुनीर की पकड़ ढीली पड़ रही है या यह सिर्फ़ एक और फौजी साज़िश है?;

Edited By :  प्रवीण सिंह
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जिस सेना ने खुद को देश का माई-बाप समझ लिया है, वही अब अपने ही रचे जाल में फंसती दिख रही है. जनरल असीम मुनीर की अगुवाई में पाकिस्तानी फौज ने इमरान खान को जेल में डालकर सोचा था कि उनके विरोध की आवाज हमेशा के लिए दबा दी जाएगी, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत से मिली शिकस्त और देश के भीतर बढ़ते जनविरोध ने फौज की चूलें हिला दी हैं.

अब जब 11 जून को इमरान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी की सजा पर कोर्ट में सुनवाई है, तो पाकिस्तानी फौज के कदम लड़खड़ाने लगे हैं. क्या यही वो दिन होगा जब असीम मुनीर की हुकूमत का सबसे बड़ा झूठ बेनकाब होगा? या फिर ये भी फौजी साजिश का अगला चैप्टर है?

रिहाई की तारीख तय?

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई को लेकर एक बार फिर हलचल तेज हो गई है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के प्रमुख गौहर अली खान ने दावा किया है कि 11 जून 2025 को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में इमरान खान को ज़मानत मिल सकती है. यह वही केस है जो 190 मिलियन पाउंड के अल-कादिर ट्रस्ट घोटाले से जुड़ा है.

खुद को बनाया पार्टी का संरक्षक, जेल से ही दी आंदोलन की धमकी

गौहर अली खान के दावे के पीछे एक बड़ा राजनीतिक संकेत भी है. इमरान खान ने खुद को PTI का ‘पैट्रन-इन-चीफ’ घोषित करते हुए जेल से ही देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था. PTI के अनुसार, इमरान किसी समझौते के तहत नहीं, बल्कि कानूनी प्रक्रिया से बाहर आएंगे.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद दबाव में पाक फौज?

भारत द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तानी सेना और आर्मी चीफ असीम मुनीर को बैकफुट पर ला दिया है. भारत के मिसाइल और ड्रोन स्ट्राइक्स से न केवल पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठाएं तहस-नहस हुईं, बल्कि असीम मुनीर की छवि भी धूमिल हुई. इस माहौल में इमरान खान को लेकर लचीला रुख अपनाना सेना की रणनीतिक मजबूरी भी मानी जा रही है.

बुशरा बीबी के मामले में भी सुनवाई

इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी, जिन्हें जनवरी 2024 में तौहफा घोटाले (Toshakhana case) में 14 साल की सजा हुई थी, उनके केस की सुनवाई भी इसी दिन (11 जून) होनी है. गौहर अली खान ने कहा है कि यह दिन दोनों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है.

‘मिलिट्री-पॉलिटिक्स’ की बिसात पर अगला मोहरा?

विश्लेषकों का मानना है कि गौहर अली खान का यह दावा महज न्यायिक संभावना नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत भी है. असीम मुनीर की अगुवाई में पाकिस्तानी सेना के लिए यह एक सॉफ्ट रिट्रीट हो सकता है. मगर पाकिस्तान में 'न्याय की गारंटी' तब तक नहीं मानी जाती जब तक फैसला कोर्ट से न आ जाए.

‘विंडिक्टिव’ मुनीर बनाम जुझारू इमरान

इमरान खान ने सीधे-सीधे असीम मुनीर पर अपनी और अपनी पत्नी की गिरफ्तारी का आरोप लगाया है. उन्होंने मुनीर को ‘बदले की भावना’ से काम करने वाला व्यक्ति कहा है. इमरान खान ने कहा है, "बुशरा बीबी की अमानवीय जेल स्थिति असीम मुनीर की व्यक्तिगत प्रतिशोध की उपज है."

क्या सच में रिहा होंगे इमरान?

इमरान खान अगस्त 2023 से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं. उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया है और इस दौरान उनकी पार्टी ने कई बार इस्लामाबाद की घेराबंदी जैसी बड़ी कार्रवाइयां कीं. अब 11 जून को देश की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी होंगी - क्या मौजूदा सत्ता और फौज का शिकंजा ढीला होगा? या फिर यह सिर्फ़ एक और राजनीतिक भ्रम निकलेगा?

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