ट्रूडो की खालिस्तानी खिचड़ी का जायका फीका कर रहे कार्नी, PM मोदी ने कौन सी घुट्टी पिलाई कि कनाडा के बदल गए तेवर?

कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने मौका मिलते ही पीएम मोदी को जी7 की बैठक में खुद फोन कर उनकी तारीफ की और कनाडा आने के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की. साथ ही भरोसा दिया है कि हमारी सरकार भारत-कनाडा संबंधों के महत्व और चिंताओं और संवेदनशीलताओं के लिए आपसी सम्मान, लोगों के बीच मजबूत संबंधों और कारोबार को बढ़ाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाएगी.;

भारत और कनाडा दुनिया के प्रमुख लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे. कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो की खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी नीतियों की वजह से दोनों के बीच दशकों के चले आ रहे मधुर संबंध लगभग समाप्त हो गए थे. इस बीच कनाडा में ससंदीय चुनावों के बाद ट्रूडो की पार्टी चुनाव हार गई. मार्क कार्नी वहां के नए पीएम बने हैं. उसके बाद से संबंधों सुधार को संकेत मिले हैं, लेकिन जी 7 की बैठक में पीएम मोदी को आमंत्रित करने और उसके बाद द्विपक्षीय बातचीत में कई मसलों पर सहमति बनने बाद से इस बात के संकेत मिले हैं कि मार्क कार्नी भारत से बेहतर संबंधों के इच्छुक है. कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी लगातार भारत के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं.  

आइए, यह जानने की कोशिश करते हैं कि कैसे ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकवादियों को बढ़ावा देने के कारण कनाडा से मैत्रीपूर्ण संबंधों को नुकसान पहुंचा?

इंडिया कनाडा के बीच इसलिए बिगड़े संबंध

दरअसल, भारत की तरह पिछले दो कार्यकाल -2015 से 2025 तक- जस्टिन ट्रूडो कनाडा के पीएम रहे. ट्रूडो को भारत विरोधी खालिस्तानी एनडीपी और उनके नेता जगमीत सिंह समर्थक हैं. दूसरे कार्यकाल  के दौरान उन्होंने गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था. यही वजह है कि खालिस्तानी चरमपंथियों को खुश करने  के लिए ट्रूडो ने घरेलू विफलताओं को नजरअंदाज करते हुए अपने भारत विरोधी तत्वों को आंख मूंदकर बढ़ावा दिया. हद तो तब हो गई जब खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्झर की हत्या में बिना पुख्ता सबूतों के भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया. इतना ही नहीं, कनाडा की जांच एजेंसी का दुरुपयोग करते हुए यह साबित करने की कोशिश की कि निज्झर की हत्या में भारत का हाथ है. इसको लेकर भारत सरकार और कनाडा के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि राजनयिक संबंध तक बिगड़ गए. दोनों देशों के  बीच व्यापार भी बहुत कम हो गया. इसका सीधा असर यह है कि इंडिया-कनाडा के बीच संबंध सबसे खराब दौर में पहुंच गए.

मार्क कार्नी ने ऐसे की संबंधों में सुधार की पहल

कुछ महीने पहले कनाडा में संपन्न संसदीय चुनाव में ट्रूडो की पार्टी चुनाव हार गई. इतना ही उनके करीबी जगमीत सिंह और उनकी पार्टी एनडीपी बुरी तरह से चुनाव हार गई. .अब ट्रूडो के बाहर होने और मार्क कार्नी पीएम बने. अब वह कनाडा में पूर्ववर्ती ट्रूडो सरकार द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई करना चाहता है.

मार्क कार्नी ने मौका मिलते ही पीएम मोदी को जी7 की बैठक में खुद निमंत्रण फोन कर उनकी तारीफ की और कनाडा आने के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की. बैठक के दौरान उन्होंने भारत-कनाडा संबंधों के महत्व और चिंताओं और संवेदनशीलताओं के लिए आपसी सम्मान, लोगों के बीच मजबूत संबंधों और कारोबार को बढ़ाने पर जोर दिया.

संबंधों में सुधार के लिए उठाए ये कदम

इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि दोनों पक्ष संबंधों में स्थिरता बहाल करने के लिए संतुलित और रचनात्मक कदम उठाने पर सहमत हुए हैं, संबंधों की शुरुआत एक-दूसरे की राजधानियों में उच्चायुक्तों की जल्द वापसी से होगी.

पीएम मोदी और कानी ने आपसी विश्वास को पहले वाले स्तर पर लाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में वरिष्ठ मंत्रिस्तरीय बातचीत को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई. पीएम मोदी और पीएम कार्नी ने ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एलएनजी, खाद्य सुरक्षा, खनिज, उच्च शिक्षा और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में भविष्य के सहयोग के अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देने में अपनी साझा रुचि की पुष्टि की. नेताओं ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के लिए प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते पर रुकी हुई वार्ता को फिर से शुरू करने के महत्व पर भी चर्चा की.

खुफिया एजेसी ने भारत के दावे को माना सही

पीएम मार्क कार्नी ने कनाडा में सक्रिय खालिस्तानियों को उग्रवादी तक करार दिया है. पीएम मोदी के कनाडा दौरे से पहले खालिस्तानियों के वहां की पुलिस और जांच एजेंसियों ने अभियान भी चलाए हैं. वहीं, कनाडा खुफिया एजेंसियों की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी आतंकियों को लेकर भारत का दावा सही है. कनाडा में खालिस्तान समर्थक यहां की भूमि को पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

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