क्‍या होती है Planetary Defence Force? धरती की ओर बढ़ रही 'मौत' को रोकने की है तैयारी

चीन ने प्लेनेट्री डिफेंस फोर्स के गठन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और अब भारत भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है. यह मिशन न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, बल्कि यह पृथ्वी की सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य साबित होगा. अगर भारत इस परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाता है, तो वह अमेरिका, चीन और रूस के साथ स्पेस डिफेंस सिस्टम में एक मजबूत वैश्विक खिलाड़ी बन सकता है.;

( Image Source:  NASA )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 17 Feb 2025 6:30 PM IST

चीन ने अंतरिक्ष से आने वाले संभावित खतरों से निपटने के लिए प्लेनेट्री डिफेंस फोर्स में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह कदम विशेष रूप से 2032 में संभावित क्षुद्रग्रह (ऐस्टेरॉयड) टकराव के खतरे को देखते हुए उठाया गया है.

चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि 2024YR4 नामक ऐस्टेरॉयड धरती से टकरा सकता है, जिससे भारी तबाही हो सकती है. इस खतरे को रोकने के लिए चीन तेजी से अपने स्पेस डिफेंस सिस्टम को मजबूत कर रहा है. खास बात यह है कि भारत भी इस दिशा में पहल कर चुका है.

चीन के युवाओं को किया गया इनवाइट

चीन के राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग प्रशासन ने प्लेनेट्री डिफेंस फोर्स के लिए योग्य युवाओं से आवेदन मांगे हैं. यह विज्ञापन चीन की प्रमुख मैसेजिंग एप वीचैट पर पोस्ट किए गए हैं. उम्मीदवारों के लिए शर्त रखी गई है कि उन्हें खगोल विज्ञान, स्पेस रिसर्च या एयरोस्पेस में पोस्ट ग्रेजुएट होना चाहिए. इसका उद्देश्य ऐसे विशेषज्ञों को तैयार करना है, जो ऐस्टेरॉयड की निगरानी कर सकें और किसी भी खतरे को रोकने की तकनीक विकसित कर सकें.

क्या है प्लेनेट्री डिफेंस फोर्स?

प्लेनेट्री डिफेंस फोर्स (ग्रह रक्षा बल) एक विशेष सैन्य अनुसंधान संगठन होता है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष से आने वाले खतरों, विशेष रूप से ऐस्टेरॉयड्स, धूमकेतु और अन्य खगोलीय पिंडों से पृथ्वी की रक्षा करना होता है. यह बल ऐस्टेरॉयड की पहचान, निगरानी और उनके प्रभाव को रोकने के लिए विशेष रणनीतियां विकसित करता है. वर्तमान में, चीन, अमेरिका और रूस इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन अब भारत भी इसमें शामिल होने की योजना बना रहा है.

धरती से टकरा सकता है 2024YR4 ऐस्टेरॉयड

2024YR4 नामक ऐस्टेरॉयड, जिसकी पहचान 2023 में हुई थी, अब धरती के लिए गंभीर खतरा बन रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह क्षुद्रग्रह 2032 में पृथ्वी के बहुत करीब पहुंच सकता है और इसके टकराने की संभावना 2.2% तक बढ़ गई है. चीन और संयुक्त राष्ट्र के अंतरिक्ष मिशन इस पर लगातार चर्चा कर रहे हैं और संभावित समाधान तलाश रहे हैं.

इसरो उठा सकता है बड़ा कदम

भारत ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है. इसरो के पूर्व अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने क्षुद्रग्रह टकराव को रोकने के लिए अंतरिक्ष यान मिशन की योजना का सुझाव दिया था. हालांकि, इसपर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि इसरो जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर सकता है. अगर भारत इस दिशा में आगे बढ़ता है, तो यह न केवल खगोलीय खतरों से निपटने में सक्षम होगा, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्पेस डिफेंस नेटवर्क का हिस्सा भी बन सकता है.

क्षुद्रग्रह से कितना बड़ा खतरा?

ऐस्टेरॉयड धरती के लिए हमेशा से खतरा बने हुए हैं. हर दिन हजारों छोटे क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पास आते हैं, लेकिन वे या तो जलकर नष्ट हो जाते हैं या इतना प्रभावी नहीं होते कि गंभीर नुकसान पहुंचा सकें. 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क शहर के ऊपर 20 मीटर चौड़ा एक क्षुद्रग्रह 30 किमी की ऊंचाई पर विस्फोट कर गया था, जिससे सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. अगर कोई बड़ा ऐस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता है, तो यह एक भयानक प्राकृतिक आपदा को जन्म दे सकता है.

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